उमेश कुमार साहू
विविधता प्रकृति का नियम है। यहां बिल्कुल एक जैसा कुछ भी नहीं। दो सजातीय सदस्यों में भी कितनी ही भिन्नताएं होती हैं। फूल एक ही जैसे एक रंग के कहां होते हैं? इसी प्रकार दुनिया भर के वृक्ष-वनस्पतियों पर दृष्टिपात करें, तो उनमें भी एक-से-एक विलक्षण प्रकृति वाले मिलेंगे। कुछ जीवनोपयोगी पदार्थ देते हैं तो कुछ का काम प्राण हरण करना है, कुछ की छाया शीतलता व शांतिदायक होती है तो कुछ पीड़ा और वेदना प्रदान करते हैं। लीजिए प्रस्तुत है ऐसे ही विविधता से परिपूर्ण अजीबोगरीब वृक्ष-वनस्पतियों की रोचक जानकारी…
साबुन यदि पेड़ में फलने लगे तो इसे आश्चर्यजनक ही कहना पड़ेगा। ऐसा ही एक वृक्ष उत्तरी अफ्रीका के वनों में पाया जाता है। इसमें अखरोट की शक्ल के बड़े-बड़े फल लगते हैं। जब यह पकते हैं तो पेड़ से गिर पड़ते हैं। इन फलों को यदि पानी में डाला जाए तो झाग उत्पन्न होने लगता है, वह भी इतना जितना असाधारण और उच्च किस्म के साबुनों से निकलता है। आदिवासी कबीले के बंजारे इसे वस्त्र धोने और नहाने के लिए काम में लाते हैं।
मलाया, मैडागास्कर, त्रिनिदाद, बारबडोस एवं कुछ अन्य उष्णकटिबंधीय देशों में एक ऐसा वृक्ष पाया जाता है, जो मनुष्यों में डर, भय, कष्ट एवं यहां तक कि मृत्यु का संत्रस उत्पन्न करते है। इस वृ़क्ष के पत्ते अत्यंत वृहदाकार होते हैं। 8 फुट लंबाई वाले इन पत्तों की संख्या एक पेड़ में 20-24 तक होती है। वर्षा अथवा आंधी आने पर ये पत्ते परस्पर जब टकराते हैं तो अनजान व्यक्ति एकदम घबरा उठते हैं। उन्हें ‘टेऊवलर्स ट्री’ के नाम से पुकारा जाता है।
अमेरिका, आस्टेÑलिया और दक्षिणी गोलार्द्ध के कई देशों में एक ऐसा वृक्ष पाया जाता है, जिसकी सबसे बड़ी विशेषता इनकी पत्तियों की विशिष्ट भौगोलिक दिशा है। ये पत्तियां हर समय उत्तर-दक्षिण दिशा दर्शाती रहती हैं। अंधकार में भी उन्हें छूकर दिशा का ज्ञान प्राप्त कर सकना संभव है। ये वृक्ष 6-7 फुट तक ऊंचे होते हैं।
ब्राजील के जंगलों में ‘मशीनिल’ नामक पेड़ बड़ी संख्या में देखे जाते हैं। इन वृक्षों के फूलने का समय बसंत ऋतु है। जब इनमें फूल आते हैं तो संपूर्ण पेड़ गहरे लाल रंग की छटा बिखेरने लगते हैं। इन फूलों में पीले पाउडर की तरह भारी मात्र में परागकण उत्पन्न होते हैं। हवा के हल्के झोंके से ही वे आस-पास सघन रूप से बिखर जाते हैं। ऐसे समय यदि कोई व्यक्ति इनके निकट पहुंच जाए और ये कण शरीर पर पड़ जाएं तो तत्काल भयंकर खुजली होने लगती है। बाद में वे स्थान चकत्तों के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।
कई पेड़ तेज विस्फोट भी पैदा करते हैं। मैक्सिको में उगने वाले इन वृ़क्षों में बेल की शक्ल में फल लगते हैं। फल का ऊपरी आवरण अत्यंत कठोर होता है। जब वे पूरी तरह पक जाते हैं तो तीक्ष्ण आवाज के साथ फट पड़ते हैं। इस दौरान यदि वृक्ष से 10-15 फुट की परिधि में कोई आदमी अथवा जानवर रहता है तो उसके घायल होने की आशंका बनी रहती है। उस फल में एक विषैली गैस भी होती है, जो आसपास के वातावरण में फैल जाती है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
‘बैड वुमन’ नामक पेड़ मैक्सिको के मोरेलॉस राज्य में होते हैं। ये ऊसर भूमि में ही उगते हैं। पल्लव विहीन इनकी शाखाएं परस्पर बुरी तरह आलिंगनबद्ध होती हैं और ऊपर की ओर उठी होती हैं। यदि इसे किसी मनुष्य अथवा जंतु पर डाल दिया जाए, तो असह्य और तेज बुखार के साथ कुछ दिनों में उसकी मृत्यु हो जाती है।
जानवरों के शरीर तने में रगड़ जाएं तो भी वही परिणाम होता है। अंतर यह है कि इसमें मौत कुछ विलंब से होती है। प्रशासन की ओर से इन वृक्षों में खतरे का निशान अंकित करा दिया गया है। इसके अतिरिक्त इन्हें चारों ओर से जालीदार बाड़ों से घेर दिया गया है। चरवाहों को ऐसा निर्देश है कि वे अपने पशुओं को उनके समीप न ले जाएं।
जमैका और गुयाना के कुछ भागों में पेड़ों की एक ऐसी प्रजाति देखी गई है, जिससे हमेशा एक लसदार द्रव्य टपकता रहता है। यह किसी प्रकार यदि आंखों में पड़ जाए तो नेत्रज्योति चली जाती है। इसके अतिरिक्त शरीर में यह विषैला प्रभाव छोड़ता है। कहा जाता है कि इस पेड़ के नीचे कोई रात्रि विश्राम कर ले तो फिर सुबह तक वह जिंदा नहीं बचता, इसलिए स्थानीय लोग बात-बात पर उसके नीचे सो जाने की धमकी देकर सरलता से अपनी बात परिवार वालों से मनवा लेते हैं।
मध्य अमरीका के जंगलों में एक ऐसा पेड़ है जो ‘कैंडल ट्री’ के नाम से प्रसिद्ध है। नाम के अनुरूप इसका गुण भी है। इसमें 3-4 फुट लंबी फलियां लगती हैं। इनमें बड़े परिमाण में तेल पाया जाता है। इसी कारण से यहां के निवासी अपनी प्रकाश संबंधी जरूरत की पूर्ति इससे करते हैं। फलियों में मोम की भांति धागा पिरोकर उसे जलाते हैं और घर को प्रकाशित करते हैं।
अफ्रीकी देश बारबडोस की घाटियों में ऐसे वृक्ष पाये जाते हैं, जो संगीत की स्वर लहरियां पैदा करते हैं। इनकी पत्तियां और फलियां अजीबोगरीब ढंग से कटी-फटी होती हैं। इनके मध्य से जब हवा गुजरती है तो उसकी तीव्रता के हिसाब से उनसे विभिन्न प्रकार के संगीत स्वर उभरते हैं। रात के सन्नाटे में जब ये स्वर लहरियां निकलती और रह-रह कर परिवर्तित होती हैं, तो बड़ा ही डरावना प्रतीत होता है।