जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत एवं उनकी पत्नी मधुलिका रावत की अस्थियां शनिवार को हरिद्वार गंगा में विसर्जित की जाएंगी।
सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत अन्य सैन्य अधिकारियों का आठ दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर दुर्घटना में आकस्मिक निधन हो गया था।
शनिवार को वीआईपी घाट पर सुबह दस बजे स्व. बिपिन रावत एवं उनकी पत्नी मधुलिका रावत की अस्थियां विसर्जित की जाएगी।
वीआईपी घाट पर विसर्जित की जाएंगी अस्थि
जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने बताया कि दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत एवं उनकी पत्नी की अस्थियां हरिद्वार पहुंचने की मौखिक जानकारी मिली है। अभी तक लिखित रूप से प्रशासन को कोई भी जानकारी नहीं आई है। लेकिन प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर दी है।
डीएम ने बताया कि अस्थियों को उनकी बेटियां कृतिका और तारिणी व पारिवारिक सदस्य हरिद्वार लेकर आएंगे। उनके काफिले में करीब छह से सात वाहन होंगे। वीआईपी घाट पर अस्थि विसर्जित की जाएंगी।
डीएम ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट के पहुंचने की भी संभावना है। हालांकि इसका लिखित कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है।
अखाड़ा परिषद बिपिन रावत की स्मृति में बनाएगा शहीद सैन्य धाम
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की देशभर की शाखाओं एवं मठों में देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी एवं अन्य सैन्य अधिकारियों के आकस्मिक निधन पर उनकी आत्माओं की शांति के लिए विशेष श्रद्वांजलि सभा एवं शांति यज्ञ आयोजित हुए।
हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़ा सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी और महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी ने कहा कि अखाड़े एवं संत समाज मिलकर जनरल बिपिन रावत की स्मृति में भव्य शहीद धाम बनाएंगे।
जो उत्तराखंड का पांचवां धाम बनेगा। उत्तराखंड के चारों पवित्र धामों की यात्रा के साथ इस धाम के दर्शन के लिए भी यात्री आएंगे।
श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा इस दुख की घड़ी में पूरा संत समाज एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दिवंगत शहीदों के परिजनों एवं राष्ट्र के साथ दृढता से खड़ा है।
उन्होंने कहा कि अमर शहीद जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के अनमोल रत्न थे। जिन्होंने अपनी चमक से पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया।
श्रीमहंत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार जनरल बिपिन रावत की स्मृति में भव्य स्मारक बनाए। यदि सरकार अखाड़ा परिषद को भूमि उपलब्ध कराती है तो अखाड़ा परिषद समस्त अखाड़ों और साधु-संतों के सहयोग से भव्य स्मारक एवं धाम बनाएंगे। उन्होंने दुर्घटना में शहीद सैन्य अधिकारियों के परिजनों को केंद्र सरकार 50-50 करोड़ आर्थिक सहायता देने की मांग की।