Thursday, November 30, 2023
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बोले-वैद्य हकीम निरोगी काया शतायु की कामना करता है आयुर्वेद

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  • प्रेसवार्ता में पत्रकारों को दी गई एलोपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा की जानकारी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय में तीन दिवसीय अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के समापन पर वैद्यों ने पत्रकारों से प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने इस महासम्मेलन की सफलता के बारे में पत्रकारों को बताया। वैद्य ब्रजभूषण शर्मा महामंत्री प्रादेशिक आयुर्वेद महासम्मेलन उत्तर प्रदेश ने प्रेसवार्ता में बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्वत्ति के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने एलोपैथिक एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा के अंतर को बताया।

उन्होंने बताया कि आयुर्वेद मनुष्य के निरोगी शरीर एवं 100 वर्ष की सतायु की कामना करता है। उन्होंने आयुर्वेद को एक चिकित्सिा न बताकर उन्होंने इसे एक जीवन शैली बताया। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा ही नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन की शैली में बदलाव करता है। एलोपैथिक में चिकित्सक मनुष्य के बीमार होने पर दवाई आदि के द्वारा इलाज शुरू करता है।

वहीं, आयुर्वेद बीमार होने से पूर्व ही जीवन शैली के द्वारा शरीर को स्वस्थ रखने का कार्य शुरू कर देता है। जिसमें आयुर्वेद में लिखा है कि प्रात:काल ब्रह्ममूर्त में उठें, रात्रि में समय से सोने का प्रयास करें, वहीं रात्रि में हल्का भोजन लें। डाक्टर बताते हैं कि थकावट आदि को दूर करने के लिये हल्का मदिरा पान करना कोई गलत बात नहीं होती। जबकि आयुर्वेद में मदिरापान आदि के सेवन को गलत बताया गया है।

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एलेपैथिक हमारी जीवन शैली में कोई परेज नहीं बताती। जबकि आयुर्वेद हमें हर तरह के परहेज बताती है कि मनुष्य स्वस्थ रहकर कैसे शतायु प्रात: करे। उन्होंने बताया कि मनुष्य को दिनचार्या, आहार विहार, रात्रि में हल्का भोजन करना, मिठाई से कुछ परहेज करना। वहीं लीवर जोकि खराब होने के बाद ट्रांसप्लांट कराया जाता है, यदि आयुर्वेद जीवन शैली अपनाई जाये तो लीवर आदि खराब होने की नोबत ही नहीं आयेगी।

ग्रथों में पांच से 10 हजार वर्ष पूर्व अनेकों बीमारी एवं उनके लक्ष्ण एवं उपचार के बारे में लिखा हुआ है। जिस पर हकीम वैद्य आज आयुर्वेद पद्धति से असाध्य रोगों का भी इलाज पूरे भरोसे के साथ करते हैं। वहीं, उन्होंने जैविक खेती पर भी किसानों को ध्यान देने को कहा। वहीं जड़ी बूटी की खेती में जैसे, तुलसी, हल्दी आदि खेत में किसान उगाये और फसल के अच्छे दाम किसान प्राप्त सकता है।

वैद्यों के द्वारा नाड़ी से मर्ज की जांच, पंचकर्मा एवं भगंदर आदि का सफल उपचार आयुर्वेद में है। प्रेसवार्ता में रोहनी दिल्ली से आये 82 वर्षीय वैद्य ताराचंद शर्मा अध्यक्ष निखिल भारतवर्षीय आयुर्वेद विद्यापीठ गुरु एवं राष्टÑीय आयुर्वेद विद्यापीठ नई दिल्ली ने बताया कि उनके द्वारा इस आयुर्वेद के महासम्मेलन के दौरान नाड़ी देखकर ही मरीज के मर्ज की जांच की है।

उनके द्वारा नाड़ी से मर्ज की कैसे जांच की जाये उनके द्वारा विद्यार्थियों को नाड़ी से मर्ज देखना सीखाया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष दो विद्यार्थियों को नाड़ी से रोग की पहचान करना सीखाया जाता है। आयुर्वेद पर 40 से अधिक पुस्तकें उनकी प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने भी जीवन में आयुर्वेद के महत्व को बताया और आहार विहार, शुद्ध खानपान, फास्ट फूड को छोड़, घर का शुद्ध भोजन करें। तभी स्वस्थ रहा जा सकता है।

वहीं खेतीबाड़ी में अधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। उसे कम से कम किया जाये। इसके साथ वैद्य गोपाल दत्त शर्मा, अध्यक्ष प्रादेशिक आयुर्वेद सम्मेलन अध्यक्ष एवं वैद्य अवधेश श्रीवास्तव ओएसडी महासम्मेलन, एमएलसी एवं डायरेक्टर महावीर इंस्टीट्यूट, धर्मेंद्र भारद्वाज ने भी आयुर्वेद पर अपने विचार रखे।

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