Friday, April 19, 2024
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बच्चे के दोस्तों पर रखें नजर

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नीतू गुप्ता

पेरेंटस को चाहिए कि बच्चे और उनके दोस्तों के बीच रिश्ते अच्छे बनें। उन्हें घर पर कभी-कभी पार्टी या बर्थडे पार्टी का आयोजन कर दोस्तों को बुलाने का अवसर दें जिससे बच्चे आपस में अच्छी तरह स्वतंत्र वातावरण का आनंद ले सकें और रिश्ते को मजबूत बना सकें पर थोड़ी नजर अवश्य रखें।
यह तो सच है कि कुछ रिश्ते तो हमें जन्म से मिलते हैं। आंख खोलते ही बुआ, मासी, मामी, नानी-नाना, दादी-दादा, बहन-भाई, माता-पिता आदि रिश्ते उसी वक्त से शुरू हो जाते हैं पर दोस्ती थोड़ी समझ आने पर होती है। दोस्ती करना तो आसान है पर निभाना बहुत मुश्किल। बच्चों में दोस्ती होती भी जल्दी है और बिगड़ती भी जल्दी है क्योंकि यह उनका भोलापन होता है कि एक पल में झगड़ा, अगले पल फिर दोस्ती।
दोस्ती हर उम्र की जरूरत है, चाहे आप छोटे हैं, बड़े या बुजुर्ग। दोस्ती एक खूबसूरत रिश्ता है, अहसास है। जिसके पास अच्छा दोस्त हो, उसे दुनिया में बहुत कुछ मिल जाता है क्योंकि एक अच्छा दोस्त ही दोस्त की भावनाओं, आदतों, मूड और समस्याओं को समझ सकता है पर बचपन में दोस्ती करते समय दिमाग इतना नहीं होता। उस समय तो मौज मस्ती, खेलना-कूदना, चिढ़ाना, खाना-पीना ही अच्छा लगता है, इसलिए कभी-कभी बच्चों की दोस्ती गलत दोस्तों से हो जाती है जो थोड़ा बड़े होने पर नुकसान पहुंचाती है।
वैसे माता-पिता भी अधिक परवाह नहीं करते कि बच्चे क्या खेलते हैं, किन दोस्तों के साथ कहां जाते हैं, कैसी बातें करते हैं पर माता-पिता को बच्चों के दोस्तों पर नजर जरूर रखनी चाहिए ताकि समय रहते बच्चे को गलत दोस्तों से थोड़ा दूर किया जा सके। कभी-कभी बच्चे जल्दी मिक्सअप नहीं होते, ग्रुप में खेलने से कतराते हैं या जल्दी झगड़ा कर अलग हो जाते हैं। ऐसे में पेरेंटस को दोस्त बनाने में उनकी थोड़ी मदद करनी चाहिए और बाकी बच्चों से अकेले में अपने बच्चे के बारे में बात कर उसकी कमी जानकर बच्चे को समझाएं और दोस्ती की महत्ता बताएं और इक_े खेलने-कूदने के गुण भी समझाएं।
पेरेंटस को चाहिए कि बच्चे और उनके दोस्तों के बीच रिश्ते अच्छे बनें। उन्हें घर पर कभी-कभी पार्टी या बर्थडे पार्टी का आयोजन कर दोस्तों को बुलाने का अवसर दें जिससे बच्चे आपस में अच्छी तरह स्वतंत्र वातावरण का आनंद ले सकें और रिश्ते को मजबूत बना सकें पर थोड़ी नजर अवश्य रखें।
यदि आप नए शहर में जा रहे हैं तो यह स्पष्ट है कि नई जगह पर दोस्त बनाना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में अध्यापक की मदद लेकर अपने आस-पास रहने वाले बच्चों के पेरेंटस से मिलें और बच्चों को साथ ले जाकर उनमें दोस्ती करवाएं। फिर परिवार सहित उनको अपने यहां निमन्त्रित कर दोस्ती के खूबसूरत रिश्ते को आगे बढ़ाएं।
कभी-कभी अपने बच्चों को दूसरे बच्चों के घर ड्राप करें और एक सीमित समय देकर उन्हें वापिस पिकअप करें ताकि दोस्ती और घनिष्ठ हो सके और माता-पिता को भी यह तसल्ली रहे कि बच्चा ठीक परिवार में है।
नई जगह बच्चा दोस्त बनाने में जल्दी फ्री नहीं हो पा रहा तो माता-पिता को चाहिए कि पुराने दोस्तों से ई-मेल, पत्र, फोन द्वारा कुछ समय तक संपर्क बनवाए रखें ताकि बच्चा अकेलापन महसूस न करे।
यदि पेरेंट्स को किसी बच्चे के झगड़ालू स्वभाव या गाली गलौज की आदत के बारे में पहले से पता हो तो बच्चों को उसके साथ घुलने मिलने न दें। बच्चों को दूरी बनाए रखने के लिए सावधान करें।
बच्चों को अच्छा बुरा जानने के लिए सही वेल्यूज दें। उनके अच्छे-बुरे किरदारों के बारे में बताते रहें ताकि वे अच्छे बुरे का अंतर कर सके।
बच्चों की मदद करें। उन पर अपनी हर बात न थोपें पर नजर रखें कि कहीं बच्चा कुछ गलत न कर रहा हो ताकि समय रहते सावधान कर सकें। बच्चों को छोटी मोटी बात का फैसला करने का अधिकार दें। फिर भी उन्हें यह समझाएं कि कुछ भी फैसला करने से पूर्व पुन: स्वयं भी सोचें और समझ न आने पर माता-पिता से बात करके फैसला करें।
पेरेन्टस और बच्चों में दोस्ताना व्यवहार होना चाहिए ताकि वे कुछ छिपाएं नहीं पर दोस्ताना व्यवहार भी एक सीमा तक ही होना चाहिए। कभी-कभी अधिक दोस्ताना भी खराब होता है। बच्चे माता-पिता के सर चढ़ कर बोलने लगते हैं, माता-पिता को ब्लैकमेल करते हैं या धमकी देने में भी नहीं घबराते। मात्र इतना दोस्ताना व्यवहार हो कि बच्चे आपको अपना हमराज समझें।
बच्चों को ‘एक्सट्रा करीकुलर एक्टिीविटीज’ में भाग लेने दें ताकि दोस्ती के साथ वे मस्ती भी ले सकें और कुछ सीख भी लें जैसे स्विमिंग, डांसिंग, डिबेटिंग आदि।

 


फीचर डेस्क Dainik Janwani

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