किसान भाई खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव एवं बुरकाव बगैर सावधानी के करते हैं। यह बात अलग है कि कंपनियां भी सुरक्षा के लिए ग्ल्प्सि आदि की इंतजाम अपने पैकेट में करती हैं लेकिन थोड़ी सी असुविधा से बचने के चक्कर में कई किसान अपनी जान तक गंवा बैठते हैं।
भारत वर्ष में कीटनाशियों की खपत विकसित देशों जैसे जापान, कोरिया, यूरोप और अमेरिका की तुलना में बहुत कम है परन्तु रसायनिक नियंत्रण पर एक रूपया खर्च करने से 10 से 20 रूपया की बचत कर भारी नुकसान से बचा जा सकता है ।
साधारणतया सभी कीटनाशी एवं फफूँदनाशी जहरीले होते हैं और इनका उपयोग करने वाले किसानों के स्वास्थ्य को सदैव खतरा बना रहता है । साथ ही कीट एवं रोग पर उचित नियंत्रण हो इसके लिए कुछ प्रमुख बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
खरीदते समय ध्यान दें
-कृषि वैज्ञानिक / कृषि विभाग के अधिकारी/कर्मचारी को कीट-रोग प्रभावित पौधों का निरीक्षण करवाकर उसकी सिफारिश के अनुसार ही कीटनाशक खरीदें।
-कीटनाशक विक्रेता से बिल भी आवश्यक रूप से प्राप्त कर लें।
-कीटनाशक अवधिपार तिथि के न हों एवं बोतल या डिब्बा में रिसाव आदि न हो ।
भंडारण के समय
-उपयुक्त मात्रा में ही कीटनाशक खरीदें।
-भण्डारण उसके मूल डिब्बे में ही करें ।
-शुष्क तथा ठण्डे स्थान पर भण्डारण करें तथा धूप आदि से बचावें ।
-एक बार ढक्कन खोलने पर दुबारा उसे कस कर बंद करें
भण्डारण वगीर्कृत ढंग से करें जैसे-कीटनाशक, फफूंदनाशक, शाकनाशक आदि।
-रसायनों को बच्चों एवं जानवरों की पहुंच से दूर हमेशा ताले के अंदर ही भण्डारित करें
उपयोग से पहले
-इस्तेमाल से पूर्व बोतल/डिब्बे/पैकेट आदि पर अवधिपार तिथि अवश्य देखें। अवधिपार तिथि के पश्चात रसायनों का प्रयोग न करें।
-इस्तेमाल से पहले स्प्रेयर/डस्टर आदि मशीनों को पानी भरकर खाली चलाकर नोजल आदि को भलीभांति देख लें। रसायनों की मात्रा की गणना करके ही प्रयोग करें ।
-रसायन की निश्चित मात्रा लेवल के अनुसार माप कर ही उपयोग में लें तथा खाली डिब्बा/बोतल को तोड़कर जमीन में दबा दें।
-घोल बनाते समय सामान्य तौर पर एक से अधिक रसायनों को मिलाकर घोल नहीं बनाएं।
-स्प्रेयर या डस्टर आदि का ढक्कन कस कर बंद करें और पूरी दवा खत्म होने तक मशीन को चलाएं।
उपयोग के समय
-रसायनों के छिड़काव/भुरकाव तथा बीजोपचार के समय हाथों में दस्ताने पहनें, नाक पर मास्क या कपडेÞ का प्रयोग करें, आंखों पर चश्मा लगाएं, सिर पर कपडा बांधे और शरीर पूरा ढका हो ताकि शरीर पर कीटनाशक न गिरे।
-शरीर पर खुले घाव हों तो इन पर मोटी पट्टी बांधें।
-छिड़काव सायंकाल हवा नहीं चलने के समय करना चाहिए।
-छिड़काव/भुरकाव हवा की दिशा में ही करें ।
-छिड़काव/भुरकाव इस प्रकार करें कि पौधें की पत्तियों के ऊपर व नीचे दोनों ओर दवा चिपक जाए क्योंकि अधिकतर कीट-रोग पत्तों की निचली सतह पर ही प्रकोप अधिक होता है।
-कीटनाशी दवा के छिड़काव/भुरकाव के समय बीडी, सिगरेट, तम्बाकू गुटखा आदि न खाएं।
-छिडकाव/भुरकाव के समय तथा तुरंत बाद बच्चों, पशु, पक्षियों आदि को खेतों में नहीं आने दें।
-अगर विष का असर महसूस हो, जैसे कि चक्कर आना, भारीपन, पेटदर्द, सिरदर्द, उलटी आदि हो तो प्राथमिक चिकित्सा अवश्य लें।
-प्राथमिक चिकित्सा में पीड़ित को उल्टी कराएं। उपलब्ध हो तो एट्रोपिन का 1 एमएल इंजेक्शन लगवाएं तथा तुरंत इलाज के लिए डाक्टर से संपर्क करें।
उपयोग के बाद
-स्प्रेयर/डस्टर आदि काम में आए उपकरण व बर्तन को साबुन या कपडे घोने के पाउडर से धोकर साफ करें।
-छिड़काव/भुरकाव करने वाले व्यक्ति को साबुन से नहाना चाहिए व कपडेÞ भी साबुन से धोएं