- बांके पंवार ने हारकर भी जीत लिया लोगों का दिल
- हारने के बाद विजेता को गले मिलकर दी बधाई
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: इस बार सरधना सीट पर चुनाव ऐतिहासिक रहा। कस्बे की आवाम ने जाति-धर्म से ऊपर उठकर खुले दिन से सभी प्रत्याशियों को वोट किया। मगर इन सबके बीच बांके पंवार को टिकट नहीं देना भाजपा के लिए सबसे बड़ी गलती साबित हुई। बांके पंवार ने भाजपा से बगावत करके न केवल बसपा के टिकट पर अपनी पत्नी सुमन पंवार को लड़ाया। बल्कि भाजपा का पूरा गणित बिगाड़ कर रख दिया।
सुमन पंवार ने इतना मजबूत चुनाव लड़ा कि भाजपा की सारी वोट अपनी ओर खींच ली। बात यहां तक पहुंच गई कि भाजपा प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई। भाजपा के बागी ने ही हाथी पर बैठकर कमल को कुचल दिया। मतगणना के बाद भले ही बसपा प्रत्याशी चुनाव में हार गई, लेकिन वह जनता की दिल जीतने में कामयाब रहे। बाकायदा हार के बाद विजेता प्रत्याशी को गले मिलकर जीत की बधाई देकर घर लौटे।
दरअसल, सरधना सीट पर बांके पंवार भाजपा के टिकट पर प्रबल दावेदार थे। बांके पंवार ने नगर में चुनावी माहौल भी पूरा बना रखा था। मगर वह राजनीति का ऐसा शिकार हुए कि भाजपा ने उन्हें बिना समीक्षा किए दरकिनार कर दिया। मगर बांके पंवार ने मैदान नहीं छोड़ा। सुबह को भाजपा का टिकट हुआ और शाम तक बाकी हुए बांके ने बसपा से टिकट लाकर अपनी पत्नी सुमन पंवार को मैदान में उतार दिया।
बस यहीं से चुनाव में टर्निंग प्वांइट आ गया था। बांके के इस दाव ने भाजपा के जिम्मेदारों को पसीना ला दिया। बात यहीं नहीं रुकी। बांके पंवार ने भाजपा इस कदर गणित बिगाड़ दिया कि अधिकांश वोट अपनी ओर खींच ली। क्योंकि भाजपा का वोट बैंक भी इस पक्ष था कि बांके पंवार को हो टिकट मिले। मगर पार्टी के जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। बांके पंवार ने मजबूती के साथ चुनाव लड़ा।
इतना मजबूत कि भाजपा प्रत्याशी मंजू लता जैन की जमानत तक जब्त करा दी। यदि भाजपा बांके पंवार की पत्नी को चुनाव मैदान में उतारती तो निश्चित ही जीत का सहरा सजने वाला था। मगर एक गलती ने भाजपा की तैयारी पर पानी फेर दिया। बागी बांके ने हाथी पर बैठकर कमल को कुचल दिया। बसपा प्रत्याशी भले ही चुनाव हार गई, लेकिन जनता की दिल जीतने में कामयाब रही। यहां तक की आखिर में विजेता प्रत्याशी को गले मिलकर बधाई भी दी।
आखिर तक भरा दम
बागी बांके पंवार की पत्नी सुमन पंवार ने आखिर तक दम भरा। मतगणना शुरू होने पर बसपा प्रत्याशी ने लीड पकड़ी थी। इसके बाद कुछ ही वोटों के अंतर से चुनाव ऊपर नीचे चलता रहा। हालत यह रही कि आखिरी पेटी तक बसपा प्रत्याशी ने सपा प्रत्याशी को टक्कर दी। महज एक हजार से भी कम वोटों के अंतर से ही सपा प्रत्याशी जीत दर्ज सकी।
बसपा प्रत्याशी ने बधाई दी और सपा प्रत्याशी पति ने आशीर्वाद
चुनाव परिणाम आने के बाद बसपा प्रत्याशी सुमन पंवार ने विजेता सपा प्रत्याशी सबीला बेगम को गले लगाकर बधाई दी। वहीं सबीला बेगम के पति पूर्व चेयरमैन निजाम अंसारी ने भी दिल खोलकर सुमन पंवार को आशीर्वाद दिया। कहा कि उन्होंने बहुत अच्छा चुनाव लड़ा। चुनाव परिणाम के बाद ही इस मुलाकात की चारों ओर तारीफ हो रही है। खासतौर पर लोग बसपा प्रत्याशी की तारीफ कर रहे हैं।
तीन दशक में दूसरी बार गरजा हाथी
खरखौदा: नगर पंचायत चुनाव में कस्बे की जनता ने 23 साल बाद बसपा के उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। खरखौदा नगर पंचायत में हुए 11 मई को हुए मतदान में 8846 लोगों ने मताधिकार का प्रयोग कर 76.32 प्रतिशत मतदान किया। खरखौदा नगर पंचायत चुनाव में 1989 से अब तक अधिकांश निर्दलीय उम्मीदवार ही अपनी जीत दर्ज कराने में सफल रहे।इस बीच 2000 में हुए नगर पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव में पहली बार बसपा के विष्णु त्यागी ने जीत दर्ज की थी।
खरखौदा नगर पंचायत के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए इस बार बसपा, सपा भाजपा, कांग्रेस, आजाद समाज पार्टी सहित पांच प्रत्याशी पार्टी से उम्मीदवार थे तो तीन निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे। नगर पंचायत के तीन दशकों के चुनाव में एक बार बसपा उम्मीदवार पर भरोसा किया बाकी सभी चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने ही जीत का परचम लहराया है,
लेकिन जनता ने इस सभी निर्दलीय एवं पार्टी प्रत्याशियों को नकारते हुए 23 साल बाद फिर से बसपा प्रत्याशी मनीष त्यागी पर अपना भरोसा जताया है। यहां बसपा उम्मीदवार मनीष त्यागी सपा के वोट बैंक कहे जाने वाले मुस्लिम वोटरों में कड़ी सेंधमारी कर वोटरों को अपने पाले में ले लिया।
और मनीष त्यागी ने 2881 मत प्राप्त कर 309 मतों से अपनी जीत दर्ज कराने में सफल रहे। जबकि भाजपा उम्मीदवार राजकुमार त्यागी को 2572 मत प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे। तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार पूर्व चेयरमैन शौराज सिंह त्यागी रहे। जबकि चौथे स्थान सपा रही हालांकि 2017 के चुनाव के मुकाबले इस बार दोनों पार्टियों ने वोट ग्राफ बढ़ाया है पिछले चुनाव में दोनों पार्टियां मिलकर भी हजार का आंकड़ा पार नहीं कर पाई थी।
दूसरे में जाने से हारी भाजपा, सपा
नगर पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में बसपा को छोड़ अन्य पार्टी प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा है। यहां भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर तो सपा उम्मीदवार चौथे स्थान पर रहे। वहीं हार का कारण पार्टी में सियासत के घोड़ा माने-जाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों द्वारा अपना घर छोड़ दूसरे घर में जाना तथा दोनों पार्टी सपा, भाजपा के अंदर चल रहे भितरघात को भी पार्टी उम्मीदवार समझ न पाना हार का मुख्य कारण माना जा रहा है।