- गठबंधन के चंद गुर्जर नेताओं ने साधा पूरा समाज
- मीरापुर विधायक चंदन चैहान के समर्थन में खड़े रहे गुर्जर
- अभिषेक गुर्जर की बगावत भी नहीं दिखा पाई कोई असर
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: लोकदल का अभिषेक गुर्जर का टिकट काटकर मदन भैया को टिकट दिया जाने के बाद अभिषेक गुर्जर द्वारा बगावत कर भाजपा में शामिल होना कोई कमाल नहीं दिखा पाया। अभिषेक के अलावा भाजपा के गुर्जर नेताओं की फौज भी खतौली विधानसभा के गुर्जरों को भाजपा के पक्ष में नहीं कर पायी, जबकि गठबंधन में शामिल चंद गुर्जर नेताओं ने पूरे गुर्जर समाज को गठबंधन के पक्ष में खड़ा कर दिया, जो अपने आप में एक मिसाल है।
गठबंधन के पास मीरापुर विधायक चंदन सिंह चैहान व जिला पंचायत अध्यक्ष रही रमा नागर के अलावा कोई चेहरा ऐसा नहीं था, जिसका जनपद में अपना वजूद हो,उसके बावजूद भी गुर्जर मतदाता एकजुट गठबंधन के पक्ष में नजर आया।
बता दें कि जब खतौली विधानसभा में उपचुनाव की घोषणा हुई, तो इस सीट से गठबंधन से तीन गुर्जर नेताओं द्वारा टिकट की दावेदारी की जा रही थी, जिसमें अभिषेक गुर्जर, रमा नागर व मदन भैया का नाम शामिल था। अभिषेक गुर्जर द्वारा चुनाव से ठीक पहले पीपलहेड़ा में गुर्जर सम्मेलन कराया गया था, जिसमें रालोद प्रमुख जयंत चैधरी भी पहुंचे थे।
इस सम्मेलन के बाद माना जा रहा था कि अभिषेक गुर्जर का टिकट फाइनल हो जायेगा, परन्तु उसी शाम को रालोद कार्यालय से जारी हुए एक ट्वीट में बताया गया था कि खतौली विधानसभा उपचुनाव के लिए मदन भैया को प्रत्याशी बनाया गया है। मदन भैया को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद अभिषेक गुर्जर बागी हो गये थे और उन्होंने अगले दिन अपने समाज की एक बैठक कर निर्णय लेने की बात कही थी। खतौली में अभिषेक ने गुर्जर समाज की बैठक की थी और 11 लोगों पर निर्णय छोड़ दिया था, जिन्होंने जयंत से बात करने की बात कही थी, परन्तु उसी रात अभिषेक ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष भाजपा की सदस्यता ले ली थी।
अभिषेक की बगावत के बाद माना जा रहा था कि गुर्जर समाज में तोड़फोड़ होगी और 50 प्रतिशत गुर्जर भाजपा के पक्ष में चला जायेगा। भाजपा ने भी गुर्जरों को साधने के लिए अपनी पार्टी के तमाम गुर्जर नेताओं को खतौली में लगा दिया था, जिनमें लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर, ऊर्जा मंत्री सोमेन्द्र तोमर, पूर्व मंत्री विरेन्द्र सिंह, सहारनपुर के नकुड़ विधायक मुकेश चैधरी समेत बड़े गुर्जर नेता शामिल थे।
जबरदस्त लामबंदी के बावजूद भाजपा के गुर्जर नेता खतौली के गुर्जरों को लामबंद करने में कामयाब नहीं हो पाये, उसके पीछे स्थानीय मीरापुर विधायक चंदन सिंह चैहान की गुर्जरों में लामबंदी व गठबंधन प्रत्याशी का गुर्जर बिरादरी का होना मुख्य कारण रहा।