- विभाग मौन, धूल और प्रदूषण के बीच कार्य करने वाले कर्मचारियों को सांस लेने में होने लगी परेशानी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भैंसाली बस अड्डे पर बनी मेरठ डिपो की कार्यशाला के 600 कर्मचारी धूल व केमिकल युक्त हवा में काम करने को मजबूर है। कर्मचारियों के लिए न तो पीने के पानी की व्यवस्था है न ही अन्य सुविधाएं। कई बार अधिकारियों को हालातों से अवगत कराया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
मेरठ डिपो की कार्यशाला में 125 बसों के मेंटेनेंस से लेकर अन्य कार्य भैंसाली अड्डे पर ही बनी कार्यशाला में हो रहे हैं। लेकिन पिछले छह माह से रैपिड रेल का कार्य चलनें के कारण इस वर्कशॉप में हालात बदतर हो गए है। इस मामले को लेकर आरएम मेरठ रीजन केके शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस समय रैपिड रेल का कार्य चल रहा है, उसकी वजह से परेशानी हो रही है। जल्दी ही कार्यशाला में खड़ंजा बिछवाने की तैयारी है। बाकी जो भी कर्मचारियों के हित में होगा उसे किया जाएगा।
दिनभर उड़ती है जहरीले कणों वाली धूल
रैपिड रेल का कार्य चलने के कारण वर्कशॉप के आसपास भारी भरकम मशीनें लगातार चल रही है। इसके साथ ही यहां पर खुदाई भी की गई है। जिस वजह से यहां दिनभर मिट्टी उड़ती रहती है। वर्कशॉप में इस समय 600 कर्मचारी मेरठ डिपो की बसों के मेंटेनेंस के लिए काम करते हैं, लेकिन प्रदूषण के कारण इन कर्मचारियों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। जिस वजह से कर्मचारी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
कच्ची जमीन से उठती धूल में घुला है केमिकल
जिस जगह कर्मचारी काम करते हैं उस जगह की हवा पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। बताया जा रहा है कि जिस हवा में कर्मचारी सांस ले रहे हैं। वह पूरी तरह दूषित है, मशीनों से निकलने वाला धुआं बीमार कर रहा है। यह स्थिति पिछले छह माह से लगातार बनी हुई है, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है।
पानी भी नहीं है उपलब्ध
कर्मचारियों ने बताया कि गर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है, लेकिन उनकी वर्कशॉप में कर्मचारियों के पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है। एक सबमर्सिबल लगा है, जिससे बसों की धुलाई होती है। इसमें से भी पीला पानी निकल रहा है और कर्मचारी इस पानी को ही पीने को मजबूर है। कर्मचारी अपने पैसे से एक या दो साफ पानी के कैंपर मंगाते हैं, जो कुछ ही देर में खत्म हो जाते हैं।