Friday, March 29, 2024
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तितली का संघर्ष

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AMRITWANI 1


एक बार एक आदमी को अपने बाग में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा। वह रोज उसे देखने लगा। एक दिन उसने देखा कि उस कोकून में एक छोटा-सा छेद बन गया है। उस दिन वह वहीं बैठ गया और उसे देखता रहा। उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है, पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी छेद से नहीं निकल पाई। थोड़ी देर बाद वह शांत हो गई जैसे उसने हार मान ली हो। उस आदमी ने निश्चय किया कि वह उस तितली की मदद करेगा।

उसने एक कैंची उठाई और कोकून छेद को इतना बड़ा कर दिया की तितली आसानी से बाहर निकल सके। यही हुआ, तितली आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था और पंख सूखे हुए थे। वह आदमी सोचने लगा कि वह किसी भी वक्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

इसके उलट तितली कभी उड़ ही नहीं पाई। वह आदमी अपनी दया में यह नहीं समझ पाया की कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है, ताकि तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुंच सके और छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके। हमारे जीवन में संघर्ष ही वह चीज होती है, जिसकी हमें आवश्यकता होती है। यदि हम बिना किसी संघर्ष के सब कुछ पाने लगें, तो हम भी अपंग के समान हो जाएंगे। बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते, जितनी हमारी क्षमता है।


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