- दो दिवसीय वेदप्रचार महोत्सव देवयज्ञ के साथ सम्पन्न
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में आर्य समाज खेड़ी गनी (बुढ़ाना) में बुधवार को दो दिवसीय वेदप्रचार महोत्सव देवयज्ञ के साथ सम्पन्न हुआ। आचार्य भीष्म कुमार के सान्निध्य में कुमारी मधु व इति आर्या ने पवित्र वेद की ऋचाओं से देवयज्ञ सम्पन्न कराया। इस अवसर पर यजमान दम्पत्ति का पुंसवन संस्कार भी उत्तमता से किया। संस्कार कराते हुए आचार्य भीष्म जी ने कहा मनुष्य के निर्माण के लिए सोलह संस्कारों की व्यवस्था हमारे ऋषि मुनियों ने वेद के आधार से प्रदान की है।
उन संस्कारों को जो मनुष्य अपनाता है उसके जीवन मे दिव्यता आ जाती है। मानव में मानवता स्थापित हो जाती है। ऐसा मनुष्य ही मानवता का संदेश पूरे विश्व को देता है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आर्य भजनोपदेशक संघ के अध्यक्ष सहदेव सिंह बेधड़क ने महारानी किशोरी- महाराज सूरजमल और महाराणा प्रताप के इतिहास को सनाते हुए आह्वान किया, कि अगर हमें अपनी विरासत को, संस्कृति को संरक्षित और संवर्द्धित करना है तो दुर्गुण तथा दुर्व्यसनों को जीवन से निकालकर आर्यत्व को धारण करें। मधु व इति आर्या ने बहुत ईश भक्ति और दयानन्द महिमा के गीत भी प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के अध्यक्ष चौधरी ओमवीर आर्य (पाथोली) ने कहा अपने परिवार के बालकों को आर्य समाज से जोड़कर आज्ञाकारी, स्वभानी, श्रेष्ठ मानव बनाने का प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम संयोजक आचार्य डॉ कपिल मलिक ने कहा कि भारत की संस्कृति वैदिक संस्कृति है, वेदाधारित है इसलिए जीवन को अंधविश्वास, ढोंग, पांखड आदि से बचाना है तो वेद की ओर लौटों। इस अवसर पर विकास तालियान (मेरठ) किरणपाल आर्य (कांधला) का वैदिक साहित्य भेंट करके सम्मानित किया गया। विकास तालियान, चौधरी महिपाल सिंह, संदीप मलिक, डॉ विकास मलिक, तेजपाल मलिक, प्रदीप मलिक, संजीव मलिक, सतीश मलिक, गोलू, माखन आर्य आदि अनेक सज्जन उपस्थित रहे।