Friday, March 29, 2024
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शिक्षक के रूप में करिअर

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आसान नहीं हैं राहें |

महान यूनानी दार्शनिक अरस्तु ने शिक्षक की महिमा के बारे में एक बार कहा था, ‘जो बच्चों को शिक्षित करते हैं, वे उनसे अधिक आदरणीय हैं जो उन्हें जन्म देते हैं। क्योंकि जन्म देनेवाले उन बच्चों को केवल जीवन प्रदान करते हैं जबकि शिक्षित करनेवाले उन्हें जीवन अच्छी तरह से जीने की कला सिखाते हैं।’ यही कारण है कि वेदों में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा दर्जा प्राप्त है। किन्तु शिक्षक के रूप में करियर की राहें आसान नहीं हैं। कहा जाता है कि एक अच्छा शिक्षक मोमबत्ती की तरह होता है जो खुद को जलाकर दुनिया को रौशनी देता है। त्याग, तपस्या, सेवा भाव, कठिन मेहनत, मानवीय मूल्यों के अवतार के रूप शिक्षक की जिम्मेदारियां किसी अग्निपरीक्षा से कम कठिन नहीं होती है।

शुरुआत कैसे करें

भारत में शिक्षक के रूप में करियर की शुरुआत कई स्टेजों पर की जा सकती है। इन सभी स्तरों पर शिक्षक के रूप में अपने करियर शुरू करने के लिए विभिन्न एजुकेशनल और प्रोफेशनल क्वालिफिकेशंस की जरूरत होती है।
प्री-प्राइमरी स्कूल टीचर

प्री-प्राइमरी शिक्षा भारत में किंडरगार्टन के नाम से जाना जाता है। किंडरगार्टन शब्द की संकल्पना जर्मन शिक्षाविद फ्रÞीड्रिक विलियम अगस्त फ्रोबेलके द्वारा किया गया था, जिसका सामान्य अर्थ ‘बच्चों का बगीचा’ होता है। इसे प्लेग्रुप या नर्सरी शिक्षा या बालवाड़ी के नाम से भी जाना जाता है। यह बच्चों का अपने घर से स्कूल के लिए पहला कदम होता है।

इसमें बच्चों को खेल खेलने, गाना गाने, ड्राइंग और पेंटिंग, करने, स्टोरीटेलिंग और अन्य बालसुलभ गतिविधियों के द्वारा अल्फाबेट्स और संख्याओं के ज्ञान के द्वारा शिक्षा की दुनिया में प्रवेश कराया जाता है। प्री-प्राइमरी एजुकेशन की अवधि 3 से 6 वर्ष के मध्य की होती है।

प्राइमरी स्कूल टीचर

प्राइमरी स्कूल के शिक्षक प्राय: 6 से 12 वर्ष तक के बीच के स्टूडेंट्स को पढ़ाने का कार्य करते हैं।

प्राइमरी स्कूल टीचर कैसे बनें

  • प्राइमरी टीचर के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने के लिए उम्मीदवार को निम्न में से किसी एक कोर्स की स्टडी करनी होती है –
  • दो वर्षीय एलीमेंट्री टीचर एजुकेशन : यह फुलटाइम 2 वर्ष का अंडरग्रेजुएट कोर्स है जिसके लिए न्यूनतम योग्यता बारहवीं परीक्षा पास होता है। इस कोर्स में एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर होता है।
  • चार वर्षीय एलीमेंट्री एजुकेशन में बैचलर कोर्स : यह भी अंडरग्रेजुएट कोर्स है जिसके लिए मिनिमम एजुकेशनल क्वालिफिकेशन बारहवीं कक्षा पास है।
  • दो वर्षीय डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) : प्राइमरी स्कूल में टीचर के रूप में करियर शुरू करने के लिए डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन अनिवार्य माना जाता है। चार सेमेस्टर वाला यह फुल टाइम डिप्लोमा कोर्स कैंडिडेट्स को प्राइमरी टीचर्स के लिए प्रशिक्षित करता है। इसके लिए न्यूनतम योग्यता किसी
  • मान्यताप्राप्त बोर्ड से बारहवीं पास होता है।

सेकेंडरी स्कूल टीचर

सेकेंडरी स्कूल टीचर को ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) कहा जाता है। ये टीचर छठी से लेकर दसवीं तक की कक्षाओं के स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर मैथमेटिक्स, साइंस, सोशल साइंस, हिंदी, इंग्लिश, म्यूजिक, आर्ट और रीजनल लैंग्वेज के हो सकते हैं।

कैसे बनें ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर

ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर के रूप में करियर की शुरुआत के लिए न्यूनतम एजुकेशनल क्वालिफिकेशन संबंधित विषय में ग्रेजुएशन का होता है। इसके साथ ही दो वर्ष के बैचलर आॅफ एजुकेशन (बी.एड) की डिग्री भी अनिवार्य होती है।

सीनियर सेकेंडरी स्कूल टीचर

सीनियर सेकेंडरी स्कूल के टीचर को पोस्टग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) कहा जाता है। पीजीटी अपने पोस्टग्रेजुएट के लेवल के सब्जेक्ट को ग्यारहवीं और बारहवीं क्लास के स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं।

कैसे बनें सीनियर सेकेंडरी स्कूल टीचर

सीनियर सेकेंडरी स्कूल टीचर बनने के लिए कैंडिडेट को उसके टीचिंग सब्जेक्ट में पोस्टग्रेजुएट की डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ ही प्रोफेशनल कोर्स के रूप में दो वर्षों की बैचलर इन एजुकेशन (बी.एड.) की डिग्री भी अनिवार्य होती है।

लेक्चरर और प्रोफेसर

यूनिवर्सिटी के टीचर्स को लेक्चरर कहा जाता है। इन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर भी कहा जाता है जो एंट्री लेवल का पोस्ट होता है। कॉलेज या यूनिवर्सिटी में टीचर के पोस्ट्स में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर होते हैं जो टीचिंग एक्सपीरियंस पर आधारित होते हैं।

कैसे बनें यूनिवर्सिटी के लेक्चरर

किसी यूनिवर्सिटी के कॉलेज में लेक्चरर बनने के लिए न्यूनतम एजुकेशनल क्वालिफिकेशन कैंडिडेट के टीचिंग सब्जेक्ट में मास्टर की डिग्री होती है। इसके अतिरिक्त लेक्चरर बनने के लिए कैंडिडेट को अपनी चॉइस के अनुसार निम्न प्रतियोगी परीक्षाएं क्वालीफाई करनी होती हैं-

यूजीसी नेट परीक्षा

इसे नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट भी कहा जाता है जो आॅल इंडिया लेवल का होता है। यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के द्वारा लेक्चरर के पोस्ट के सिलेक्शन के लिए कंडक्ट किया जाता है। इस परीक्षा के लिए मिनिमम एलिजिबिलिटी 55 परसेंट मार्क्स के साथ पोस्टग्रेजुएट की डिग्री है।

ये परीक्षाएं वर्ष में दो बार कंडक्ट किये जाते हैं। यूजीसी नेट परीक्षा के क्वालीफाई कर लेने के बाद कैंडिडेट राष्ट्रीय – स्तर पर यूजीसी के मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के पोस्ट के लिए अप्लाई करने के लिए एलिजिबल हो जाता है।

गेट

इस परीक्षा का फुल फॉर्म ग्रेजुएट अप्टिट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग होता है। यह आॅल इंडिया लेवल का टेस्ट होता है जो गेट समिति के द्वारा कंडक्ट किए जाते हैं। इस समिति में भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु तथा सात भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थानों के संकाय सम्मिलित होते हैं। इस परीक्षा में प्राप्त रैंक के आधार पर पीएचडी के साथ-साथ आइआइटी और एनआइटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए आवेदन किया जा सकता है।

स्लेट

यह परीक्षा जिसका विस्तृत रूप स्टेट लेवल एलिजिबिलिटी टेस्ट होता है, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) के द्वारा कंडक्ट किया जाता है। इस परीक्षा के क्वालीफाई करने के बाद स्टेट लेवल के कॉलेज और यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के लिए अप्लाई किया जा सकता है।

सीटेट और स्टेट क्या होता है?

बी.एड करने के बाद कैंडिडेट्स सीटेट (सेंटल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) की परीक्षाओं में भाग ले सकता है और सेंट्रल गवर्नमेंट के विद्यालयों जैसे जवाहर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों में टीचर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

स्टेट (रळएळ) स्टेट टीचर

यह परीक्षा स्टेट लेवल की परीक्षा होती है ( बी.एड के बाद इस परीक्षा में क्वालीफाई करने के बाद राज्य सरकारों के स्कूलों में टीचर के लिए अप्लाई किया जा सकता है।

-एसपी शर्मा


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