Tuesday, March 19, 2024
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पंजाब में बदलेगा मुख्यमंत्री का चेहरा, अमरिंदर को मिला कुर्सी छोड़ने का इशारा

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जनवाणी ब्यूरो|

नई दिल्ली: कांग्रेस की पंजाब इकाई में जारी तनातनी के बीच कांग्रेस ने आज राज्य के कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है।

बताया जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। वहीं अमरिंदर सिंह इस तरह विधायक दल की बैठक बुलाए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं।

उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इस बात पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यदि इस तरह उन्हें कांग्रेस पद से हटाया जाता है तो यह उनका अपमान होगा।

इस बीच पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि राहुल गांधी ने एक बड़ा फैसला ले लिया है। माना जा रहा है कि सुनील जाखड़ पंजाब के मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं।

एआईसीसी के महासचिव एवं पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने शुक्रवार रात को यह बैठक बुलाए जाने की घोषणा की। बताया जा रहा है कि बैठक में सभी विधायकों की बात सुनी जाएगी।

कैप्टन के कामकाज से निराश 40 विधायकों के पत्र के बाद कांग्रेस आलाकमान ने एक बड़ा फैसला लेते हुए आज शाम पांच बजे चंडीगढ़ के पंजाब कांग्रेस भवन में विधायक दल की बैठक बुलाई है। विधायक दल की बैठक को लेकर अमरिंदर सिंह को पहले कोई जानकारी नहीं दी गई थी।

विधायकों ने आलाकमान को पत्र लिख कर यह बैठक बुलाने की मांग की थी। बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन और हरीश चौधरी भी मौजूद रहेंगे।

विधायकों की बात सुनने के बाद पूरी रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को भेजेंगे। रावत ने विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की पंजाब इकाई में छिड़ी बगावत की ओर इशारा करते हुए पिछले हफ्ते चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा था कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है और वह कुछ भी छिपाना नहीं चाहते हैं।

पंजाब कांग्रेस में उठापटक इस कदर बढ़ गई है कि सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की कुर्सी पर संकट दिखाई दे रहा है।

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ उनके चार मंत्रियों और दो दर्जन से अधिक विधायकों के ‘खुले विद्रोह’ पर उतर आने की चर्चा है जिसमें वे कह रहे हैं कि उनका मुख्यमंत्री पर से विश्वास उठ गया है। माना जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्दू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद यह विद्रोह तेज हुआ है।

जो सिद्धू के साथ और जो नहीं साथ वे भी बेचैन

कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि पार्टी के अंदरूनी मामलों पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई है। लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस के विधायकों की यह बैठक मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लिए सख्त चेतावनी और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के लिए सख्त संदेश की तरह है।

दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के दखल देने के बाद भी अमरिंदर और सिद्धू आपसी झगड़े और खींचतान को नहीं सुलझा पाए, यह पार्टी के लिए बडी चुनौती खड़ी कर रहा है।

विशेष रूप से, नव नियुक्त पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू जिस तरह विभिन्न मुद्दों पर अपनी ही सरकार को घेर रहे हैं उससे पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो रही है।

बताया जा रहा है कि सिदधू ने कुछ विधायकों को अपनी ओर कर लिया है और बागी विधायकों में ज्यादतर उनके गुट के ही हैं।

सिद्धू के साथ 17-18 विधायक बताए जाते हैं, लेकिन जो सिद्धू के साथ नहीं है वे भी इस पूरे घटनाक्रम से बेचैन है। क्योंकि चुनावी साल में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की इस लड़ाई से दूसरे विधायकों को भी चुनाव में नुकसान पहुंचने का डर सताने लगा है।

कांग्रेस के सामने चुनौतीपूर्ण स्थिति

अभी तक हाईकमान का संदेश न अमरिंदर सिंह समझने की कोशिश कर रहे हैं और न ही सिद्धू मुख्यमंत्री पर हमले बंद कर रहे हैं। ऐसे में चुनावी समय में दोनों नेताओं की खींचतान ने कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है।

पार्टी के एक नेता ने बताया ‘मिल कर चलने की कोशिश दोनों तरफ से नहीं हो रही है, जल्दी ही राज्य में चुनाव होने हैं। यदि इस झगड़े को जल्द नहीं सुलझाया गया तो पार्टी को इसका नुकसान हो सकता है।

दिक्कत यह है कि सिद्धू में संयम नहीं है, वहीं दूसरी तरफ कैप्टन राज घराने से आते हैं, उन्हें ज्यादा दूसरों को सुनने की, उस पर गौर करने की आदत नहीं है।’

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बनाकर पार्टी ने एक बड़ा जोखिम लिया है। यदि कैप्टन को भरोसे में लिए बिना जिस तरह सिद्धू को नेतृत्व हस्तांतरित किया गया है और भी दूसरे तरीके से किया जा सकता था।

सिद्दू पार्टी के लिए सेल्फ गोल साबित हो सकते हैं। लेकिन अब जब उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है तो दोनों नेताओं को मिल कर चलना चाहिए था।

चुनाव से पहले झगड़ा संभाले पार्टी

पंजाब की राजनीति की जमीनी समझ रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह कहते हैं यह बैठक विधायकों की मन की बात सुनने और अमरिंदर और सिद्धू दोनों को सख्त संदेश देने के लिए बुलाई गई है।

आपसी गुटबाजी और झगड़े से कांग्रेस के लिए बड़ी विकट स्थिति पैदा हो गई है। ऐसी स्थिति में पार्टी के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वे कैसे इस मामले को संभाले। अगले साल चुनाव है और पार्टी को यह विवाद सुलझाने की कोशिश करनी ही होगी।

अमरिंदर के खिलाफ ला सकते हैं अविश्वास प्रस्ताव

सूत्रों के मुताबिक सिद्धू गुट के कुछ विधायक पार्टी आलाकमान को यह कह सकते हैं कि उन्हें अमरिंदर सिंह पर विश्वास नहीं है और वे उनके खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।

हालांकि राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि पार्टी किसी भी हाल में अपने मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की इजाजत नहीं देगी लेकिन अमरिंदर सिंह को यह जरूर कड़ाई से समझाया जा सकता है कि वे विधायकों की बात को सुने और उनकी समस्याओं का हल निकालें।

वहीं कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाए जाने का पता चलते ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अपने करीबी विधायकों को सिसवां फार्म हाउस पर बैठक के लिए बुला लिया है।

माना जा रहा है कि कैप्टन भी यह रणनीति तैयार करने में लग गए हैं कि यही बागी विधायक उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं तो वे इस चुनौती से कैसे निपटेंगे।

अमरिंदर को हटाने पर अड़े तो क्या होगा

यदि बागी गुट अमरिंदर को हटाने पर अड़ गए तो पार्टी के सामने और बड़ी समस्या आ सकती है। वैसे समझा जा रहा है कि पार्टी अमरिंदर सिंह के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाने से पहले कई बार सोचेगी क्योंकि पंजाब में अमरिंदर सिंह एक बड़े कद के नेता माने जाते हैं और पार्टी उनकी बदौलत ही चुनाव जीतती रही है।

ऐसे में पार्ट के सामने यह सवाल होगा कि राज्य में पार्टी की कमान किसे सौंपी जाए जो राज्य में सर्वमान्य हो और चुनावी नैया भी पार लगा सके।

एक चुनावी सर्वे में बताया गया कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार फिर से बन सकती है। लेकिन जब से दोनों नेताओं का यह झगड़ा शुरू हुआ है एक दूसरा सर्वे पंजाब में आम आदमी पार्टी के दोबारा उभार के रूप में विपक्ष की नई संभावना का संकेत दे रहा है।

दूसरी तरफ पंजाब में चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा बनने के आसार लगाए जा रहे हैं जिसमें आप एक अहम भूमिका में आ सकती है। यदि भाजपा ने राह में रोड़े नहीं अटकाए होते तो 2017 में आप वहां करीब-करीब जीत ही गई थी।

 

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