- ब्रिटेन से 12 दिन पहले लौटा था परिवार, माता-पिता को भी अभी क्लीनचिट नहीं
- कोरोना संक्रमण के 42 नए केस, कोई मौत नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ब्रिटेन के कोरोना स्ट्रेन वायरस का मेरठ में पहला केस मिला है। माता-पिता के साथ करीब 12 दिन पहले यहां आयी बच्ची कोरोना स्ट्रेन वायरस से संक्रमित पायी गयी है। बच्ची व उसके माता-पिता फिलहाल सुभारती मेडिकल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं। कोरोना स्ट्रेन संक्रमित की पुष्टि के बाद यहां स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलांस अधिकारी डा. प्रशांत से ढाई साल की बच्ची जिसके सैंपल जांच के लिए नई दिल्ली लैब भेजे गए थे, में कोरोना स्ट्रेन वायरस मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि मंगलवार की रात इसकी सूचना सबसे पहले जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची थी।
सूचना के बाद तत्काल बाद स्वास्थ्य विभाग की टीमें ऐक्शन मोड में आ गयी हैं। वहीं, दूसरी ओर डा. प्रशांत ने स्पष्ट किया है कि हालांकि अभी दंपति की रिपोर्ट निगेटिव आयी है, लेकिन इसके बाद भी हम उन्हें क्लीनिचिट नहीं दे रहे हैं। यह तय है कि कोरोना स्ट्रेन वायरस बच्ची में उसके माता-पिता से ही आया होगा, लेकिन कई बार यह होता है कि वायरस शरीर में आने के बाद दूसरे को ट्रांसफर होने पर कुछ कमजोर हो जाता है।
उस स्थिति में कई बार सैंपल रिपोर्ट निगेटिव आती है। ऐसा ही इस मामले में संभव है। कोरोना स्ट्रेन की पुष्टि होने के बाद अब करीब 24 दिन तक बच्ची सर्विलांस की सघन निगरानी में रहेगी। सुभारती मेडिकल प्रशासन को इसको लेकर कुछ अहतियाती कदम उठाने को कहा गया है।
बच्ची के साथ ही उसके माता-पिता भी इतनी ही अवधि में अब सघन निगरानी में रहेंगे, लेकिन यह एक बुरी खबर है। वहीं, दूसरी ओर सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने कोरोना अपडेट जारी करते हुए 42 नए संक्रमितों की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि हालांकि किसी की मौत नहीं हुई है, यह राहत की बात है।
स्वास्थ्य विभाग ने 76 लोगों की कराई कोरोना जांच
कोरोना का प्रकोप भले ही कम हो गया हो। मगर इसके बाद भी इक्का-दुक्का केस सामने आ रहे हैं। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुल 76 लोगों की जांच कराई गई। रेपिड किट से की गई जांच में सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके अलावा कुछ लोगों के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भी भेजे गए।
सरधना क्षेत्र में कोरोना का डर लोगों में नजर नहीं आ रहा है। बाजारों में बेतहाशा भीड़ देखने को मिल रही है। लापरवाही यह कि चंद ही लोगों के मुंह पर मास्क लगा दिखता है। पुलिस मास्क नहीं लगाने पर चालान भी काट रही है। इसके बाद भी लोगों को समझ नहीं आ रहा है।
मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुल 76 लोगों की रेपिड किट से जांच कराई गई। अच्छी बात ये रही कि जांच में सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई। जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने भी राहत की सांस ली। हालांकि कुछ लोगों के सैंपल जांच के लिए लैब भी भेजे गए। जिनकी रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा। इस संबंध में सीएचसी प्रभारी डा. राजेश कुमार का कहना है कि 76 लोगों की जांच कराई गई थी। सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है।
जिला अस्पताल और मेडिकल में सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से तय की गयी गाइड लाइन को लेकर सबसे ज्यादा लापरवाही जिला अस्पताल व मेडिकल में नजर आती है। ओपीडी के पर्चा काउंटर पर लोगों की लंबी कतार और सोशल डिस्टेंसिंग प्रति लापरवाही को देखते हुए लगता ही नहीं कि इन्हें किसी प्रकार को खौफ भी है। लोगों की हालात यह है कि पर्चा काउंटर पर ही एक-दूसरे पर चढ़ने को अमादा हैं।
इनको न तो कोई रोकने वाला है न ही कोई टोकने वाला नजर आता है। रोकथाम के नाम पर केवल माइक पर ही रिर्काडिंग बजायी जाती रहती है। यही स्थिति ओपीड की बनी है। जिला अस्पताल व मेडिकल में हालांकि ओपीडी पूरी क्षमता के साथ नहीं चलायी जा रही है, लेकिन जितने भी ओपीडी वार्ड चल रहे हैं उनके बार भी मरीजों की रेलम पेल मची है।
सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर कहीं कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही है। जिन काउंटरों में डाक्टर बैठ रहे हैं, वहां भी कई-कई मरीज दाखिल हो रहे हैं। डाक्टरों के रूम के बाहर भी गैलरी में भी मरीज खचाखच भरे होते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि तमाम सीनियर उधर से गुजरते हैं, लेकिन कोई भी रोकटोक नहीं करता।
देखकर अनदेखा कर दिया जाता है। ओपीडी के अलावा जहां पर मरीजों के किसी भी प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं तथा जहां पर दवाएं दी जा रही हैं वहां भी खचाखच भीड़ है। जब सरकारी अस्पतालों की ऐसी हालात है तो अन्य जगह सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क को लेकर गाइड लाइन का कितना पालन कराया जा रहा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
कोरोना स्ट्रेन वायरस के खतरे से निपटने में जुटा मेडिकल
कोरोना स्ट्रेन के एंट्री की पुष्टि के बाद इसके वायरस के खतरे से निपटने में स्वास्थ्य विभाग जुट गया है। इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। फिलहाल सरदार वल्लभ भाई पटेल मेडिकल अस्पताल में ही स्टेÑन वायरस से संक्रमितों के लिए वार्ड तैयार किया जा रहा है, लेकिन सबसे बड़ी मुसीबत इस वायरस से हेल्थ केयर वर्करों की सुरक्षा है।
हालांकि अभी कोरोना स्ट्रेन वायरस का कोई अधिकृत केस तो नहीं मिला है, लेकिन मेडिकल प्रशासन ने इसके लिए फिलहाल वार्ड तैयार कर लिया है। बताया गया है कि कोविड-19 संक्रमितों के साथ स्टेÑन संक्रमितों को नहीं रखा जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने जानकारी दी है कि ब्रिटेन में इजाद किए गए कोरोना स्ट्रेन वायरस के संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ने की खबरें मिल रही हैं। हालांकि मेरठ को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं है। सीएमओ ने सिर्फ इतना बताया कि ब्रिटेन से करीब 14 लोग शुरूआती जानकारी में मेरठ आए थे।
इनमें कोरोना वायरस की पुष्टि की हुई है, लेकिन जहां तक कोरोना स्ट्रेन की बात है इस संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता। कोरोना की तर्ज पर कोरोना स्ट्रेन वायरस से संक्रमितों के इलाज के सवाल पर फिलहाल प्राइवेट चिकित्सकों की ओर से ना है।
नर्सिंग होम एसोसिएशन के वरिठ उपाध्यक्ष डा. शिशिर जैन ने बताया कि किसी भी नर्सिंग होम में स्टेÑन को लेकर फिलहाल कोई तैयार नहीं है। न ही अभी हमारे चिकित्सक इसको लेकर तैयार हैं। यह वायरस बेहद खतरनाक है। इसको लेकर अब तक जितनी भी रिपोर्ट आयी हैं उसके चलते इस बात की उम्मीद कम हैं कि सरकार प्राइवेट इलाज का जोखिम मोल लेगी।
विदेशों से खासतौर से ब्रिटेन व यूरोपियन देशों से आने वालों को ब्योरा जुटाने का काम चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की जिला सर्विलांस टीमें इसकी तैयारियों में लगी हैं। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि अभी यह तो अधिकृत रूप से नहीं कहा जा सकता कि कितने विदेशी 14 दिसंबर के बाद मेरठ पहुंचे हैं, लेकिन जितने लोगों की सूचना एयरपोर्ट से यहां पहुंच रही हैं उनको सर्विलांस टीमें ट्रेस करने में जुटी हैं। हालांकि यह काम आसान नहीं है। कुछ के बारे में तो सूचना मिली है कि लोग आए तो थे, लेकिन यहां आने के बाद वो लोग अन्य स्थानों को चले गए हैं।
आमद दर्ज कराना होगा जरूरी
कोरोना स्ट्रेन वायरस के खतरे को देखते हुए फिलहाल विदेशों से आने वाले सभी लोगों को स्वास्थ्य विभाग में आमद कराना अनिवार्य कर दिया गया है। एयरपोर्ट से ऐसे लोगों की सूचना भी स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाती है। साथ ही एयरपोर्ट से निकलने वाले हर शख्स से जो बहरूनी मुल्क से आ रहा है, उनके लिए स्वास्थ्य विभाग में आने की सूचना आधार कार्ड व मोबाइल नंबर दर्ज कराना जरूरी कर दिया गया है।
जोखिम भरा है कांटेक्ट ट्रेसिंग
ब्रिटेन से आने वालों की कांटेक्ट ट्रेसिंग करना भी कम जोखिम भर नहीं। नर्सिंग होम एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. शिशिर जैन का कहना है कि स्टेÑन वायरस को लेकर भारतीय चिकित्सक फिलहाल बहुत कुछ जानकारी नहीं हासिल कर पाए हैं जो कुछ मीडिया रिपोट आ रही हैं उसके के आधार पर अनुमान लगाए जा रहे है। वायरस को लेकर जो रिपोट अब तक मिली हैं उसको यदि ठीक मान लिया जाए तो स्टेÑन वायरस को लेकर कांटेक्ट ट्रेसिंग भी बेहद जोखिम भरा काम है।
ये कहना है सीएमओ का
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि कोरोना स्ट्रेन को लेकर किसी नतीजे पर पहुंचा जल्दबाजी होगी। जो ब्रिटेन से लोग आए हैं उनके संपर्क में आए पॉजिटिव सभी केसों को होम आइसोलेशन किया गया है।
ये कहना है मेडिकल प्राचार्य का
मेडिकल प्राचार्य ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि कोरोना स्ट्रेन वायरस एक गंभीर बीमारी है। हालांकि इसको लेकर अभी जानकारी कम ही है। जहां तक तैयारियों की बात है तो कोरोना की तर्ज पर मेडिकल प्रशासन इससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयारहै।