Friday, April 26, 2024
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साइबर बुलीइंग के खतरे और उससे बचाव

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वर्ष 2015 में बॉलीवुड में ‘दृश्यम’ नाम की एक फिल्म आई थी। इस फिल्म में अंजू नाम की एक स्कूल स्टूडेंट के साथ एक अप्रिय घटना घटती है। एक बार उसके स्कूल के द्वारा आयोजित नेचर कैंप के दौरान आरोपी युवक सैम गुप्त रूप से सेलफोन के द्वारा अंजू की  नहाते हुए तस्वीर ले लेता है। बाद में उसी फोटो से वह अंजू के साथ सेक्सुअल फेवर के लिए ब्लैकमेल करता है और धमकी देता है कि यदि वह इसके लिए राजी नहीं हुई तो वह उस फोटो को अपने सभी दोस्तों में पोस्ट कर देगा। फिल्म में ब्लैकमेल चूंकि किसी मोबाइल फोन और इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है, इसीलिए इस घटना को साइबर बुलीइंग के नाम से जाना जाता है।

क्या होता है साइबर बुलीइंग

डिजिटल डिवाइसेज के माध्यम अर्थात मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, टेबलेट्स, एसएमएस मैसेज तथा आॅनलाइन सोशल नेटवर्किंग साइट्स के एकाउंट्स के द्वारा जब किसी व्यक्ति की रजामंदी के बिना अश्लील संदेश और प्राइवेट तस्वीरें अन्य यूजर्स को पोस्ट और शेयर की जाती हैं तो यही साइबर बुलीइंग के नाम से जाना जाता है। बुली की आइडेंटिटी पूरी तरह से छुपी रहती है।

साइबर बुलीइंग के पीड़ित शख्स की पहचान कैसे करें?

साइबर बुलीइंग की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह होती है कि इससे पीड़ित बच्चों में यह प्रवृत्ति होती है कि वे इस बारे में अपने पेरेंट्स, अभिभावक या टीचर्स को कुछ भी स्वाभाविक रूप से नहीं बताते हैं। ऐसी स्थिति में समस्या और भी गंभीर हो जाती है और पेरेंट्स की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। लिहाजा पेरेंट्स और टीचर्स को अपने बच्चों के कुछ लक्षणों के बारे में सावधान रहना चाहिए ताकि समय पर उनके समाधान खोजा जा सके।

  • -ऐसे बच्चों के रुटीन अचानक विचित्र रूप से बदल जाते हैं। उनके खाने-पीने के समय से लेकर सोने के समय में भी काफी बदलाव आ जाता है। वे अचानक कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर काम करना बंद कर देते हैं, अपने फ्रेंड्स से मिलना-जुलना भी बंद कर देते हैं।
  • – वे कंप्यूटर और मोबाइल फोन को ऐसी जगह पर यूज करने लगते हैं, जहां पर उसे कोई देख नहीं पाए।
  • – किसी व्यक्ति के उसके पास से गुजरने पर वे कंप्यूटर की स्क्रीन चेंज कर देते हैं ताकि वे इन सब बातों को छुपा पाए।
  • -फोन पर या कंप्यूटर पर किसी मैसेज या मेल प्राप्त होने के बाद साइबर बुलीइंग से शिकार शख्स परेशान हो जाते हैं।
  • – वे स्कूल जाना पसंद नहीं करते हैं।
  • – वे खुद में रिजर्व रहते हैं, एकांत, चिंता और अवसाद की मनोदशा में रहना अधिक पसंद करते हैं।

साइबर बुलीइंग में किस प्रकार की एक्टिविटीज को शामिल किया जाता है?

 

साइबर बुलीइंग के में निम्न प्लेटफॉर्म्स पर गंदे फोटो, अश्लील और गंदे मैंसेज के द्वारा ब्लैकमेल को अंजाम दिया जाता है-

  •  -सोशल वर्किंग साइट्स के रूप में फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नेपचैट, ट्विटर एकाउंट्स।
  •  -मोबाइल फोन ।
  • -वाट्सएप, मैसेंजर ।
  •  -ईमेल
  • -साइबर बुलीइंग के शिकार लोगों के बारे में शर्मनाक और बेहूदा कंटेंट्स आॅनलाइन पोस्ट करना और दोस्तों के ग्रुप में शेयर करना।
  • -सोशल वर्किंग एकाउंट्स को हैक करना।
  • – अश्लील मैसेज को पोस्ट करना।
  • – बुलीइंग के टारगेट व्यक्ति को हिंसा करने के लिए ब्लैकमेल करना।
  • – लड़कियों का पीछा करना (स्टाकिंग) ।
  • – पोर्नोग्राफी विशेषकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी में इन्वोल्व करना।

 

भारत में साइबर बुलीइंग की रोकथाम के लिए कानून 

यह हकीकत है कि भारत में साइबर बुलीइंग को रोकने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं हैं, लेकिन इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 67 के अंतर्गत इस प्रकार की वारदातों पर कार्रवाई की जाती है। इस सेक्शन के अंतर्गत अश्लील मैटेरियल्स को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में प्रकाशित करने या टेलीकास्ट करने के लिए 3 वर्ष की कारावास और 5 लाख रुपए आर्थिक दंड की व्यवस्था की गयी है । इसके अतिरिक्त साइबर बुलीइंग कानून के निम्न प्रावधानों में भी इस प्रकार की आॅनलाइन बुलीइंग के लिए कानूनी कार्रवाई की जाती है-

आईपीसी की सेक्शन 507 : इस प्रोविजन के तहत कोई भी व्यक्ति जब किसी अज्ञात माध्यमों से किसी को आपराधिक धमकी देता है तो उसके लिए 2 वर्ष की सजा दी जा सकती है।

आईटी एक्ट की सेक्शन 66 ए  : यह लीगल प्रोविजन मुख्य रूप से प्राइवेसी के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है। इस सेक्शन के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के निजी तस्वीरों और जानकारियों को जान बूझकर सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करता है और उसे टेलीकास्ट करता है तो प्राइवेसी वायलेशन के लिए उसे 3 वर्ष की सजा या फिर 3 लाख रुपए की आर्थिक दंड की व्यवस्था है।

 

स्कूल और कॉलेज में साइबर बुलीइंग के रोकथाम के लिए कानूनी प्रावधान 

इंटरनेट और स्मार्ट फोन के तेजी से प्रचलन के कारण स्कूलों में विशेष रूप से बोर्डिंग स्कूलों में साइबर बुलीइंग की घटनाएं बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। वैसे तो एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स में साइबर बुलीइंग की रोकथाम के लिए अलग से कोई कड़े कानून के प्रोविजन नहीं हैं लेकिन मिनिस्ट्री आॅफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट के निर्देशानुसार स्कूलों में एंटी-रैगिंग समिति के गठन का प्रावधान है जो इस प्रकार की वारदातों में संलिप्त दोषी छात्रों पर उचित कार्रवाई करती है।

कॉलेज और यूनिवर्सिटी लेवल पर भी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के द्वारा एंटी-रैगिंग समिति के निर्माण की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त ‘यूजीसी रेगुलेशंस आॅन कार्बिंग दि मेनिस आॅफ रैगिंग इन हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूशंस, 2009’ जैसे कानून भी बनाए गए हैं। स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के जुवेनाइल (18 वर्ष से कम) होने के कारण उनके लिए कोई भी लीगल प्रोविजन नहीं हैं। इस प्रकार के दोषी व्यक्तियों की सजा और पीड़ित बच्चों के जस्टिस के लिए अलग से जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन आॅफ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015  के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है।

कैसे रोकें साइबर बुलीइंग?  

साइबर बुलीइंग से पीड़ित बच्चों का डेवलपमेंट पूरी तरह से रुक जाता है। इससे त्रस्त होकर बच्चे आत्महत्या कर बैठते हैं या फिर अपराध की दुनिया में दाखिल हो जाते हैं । मॉडर्न इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के युग में जहां इंटरनेट हमारे लिए जीवन के एक अनिवार्य टूल्स के रूप में साबित हो रहे हैं और इसी के साथ साइबर बुलीइंग की घटनाएं भी तेजी से बढ़ती जा रही हैं तो इसे रोकने के लिए संजीदिगी से सोचने की दरकार है-

  • -साइबर बुलीइंग की स्थिति में खुद को शांत रखें और तंग करने वाले दोषियों को न तो कोई जवाब दें और न ही प्रतिक्रिया। इस तरह के संकट से खुद को अलग रखें, रियेक्ट नहीं करें, रेस्पोंस नहीं दें। सिचुएशन के बदतर होने की स्थिति में किसी साइबर क्राइम एक्सपर्ट से सलाह लिया जा सकता है।
  • -साइबर बुलीइंग की स्थिति में सभी प्रकार के मैसेज, कमेंट्स, फोटो, विडियो और अन्य पोस्ट्स को सुरक्षित रखें ताकि बाद में उन मैटेरियल्स को एविडेंस के रूप में प्रेजेंट किया जा सके।
  • -यदि कोई फेसबुक पर तंग कर रहा हो तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट करें और उसे ब्लाक कर दें।
  • – सोशल नेटविर्कंग साइट्स पर अपने सभी एकाउंट्स की जानकारी को सुरक्षित रखें क उनके पासवर्ड्स को किसी के साथ भी शेयर नहीं करें।
  • -प्राइवेसी मेन्टेन करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग कभी भी सार्वजनिक स्थानों पर नहीं करें।
  • -फेसबुक पर प्राइवेसी सेटिंग्स में अपने इनफार्मेशन या पोस्ट्स को सब के लिए ओपन करने से बचें। इन पोस्ट्स को केवल अपने विश्वस्त फ्रेंड्स में ही शेयर करें।
  • किसी अज्ञात मेल या अटैचमेंट को खोलने से बचना चाहिए।
  • -अपने सभी यूज किए जाने वाले डिवाइस में अच्छी क्वालिटी के एंटी-वायरस,एंटी-मैलवेयर सोफ्टवेयर इनस्टॉल अवश्य करें।

(लेखक जवाहर नवोदय विद्यालय, मामित, मिजोरम में प्रिंसिपल हैं) 


फीचर डेस्क Dainik Janwani

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