Friday, March 29, 2024
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डीएपी की हो रही कालाबाजारी, किसान परेशान

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जनवाणी संवाददाता |

मोदीपुरम: एक ओर गेहूं की बुवाई शुरू है, वहीं डीएपी न मिलने से किसान परेशान हैं। उन्हें खेती पिछड़ने की चिंता है। डीएपी न मिलने से आलू की बुवाई भी पिछड़ती जा रही है। किसानों को दो बोरी से ज्यादा खाद नहीं मिल पा रही है। इफको केंद्रों के बाहर सैकड़ों किसानों की भीड़ लग रही है। गोदाम में खाद उपलब्ध न होने के कारण समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। कालाबाजारी के कारण किसान गोदाम व इफको केंद्र के बाहर हो-हल्ला भी मचता है।

जिले में इन दिनों गेहूं और आलू की बुवाई के लिए डीएपी खाद की डिमांड बढ़ गई है। खाद के लिए किसानों को मारामारी करनी पड़ रही है। सरकारी केंद्रों पर डीएपी की किल्लत है तो वहीं बाजार में कालाबाजारी हो रही है। किसान केंद्र पर यूरिया और डीएपी की कालाबाजारी की जा रही हैं। किसानों से निर्धारित मूल्य से अधिक वसूले जा रहे हैं। वहीं खाद में मिलावटखोरी भी की जा रही है। कीटनाशक दवाएं ब्रांडेड कंपनियों की नहीं हैं, जबकि इन कीटनाशक दवाओं के मूल्य ब्रांडेड कंपनियों के मुताबिक ही लिए जा रहे हैं।

ग्रामीण इलाकों में डीएपी की किल्लत

गेहंू और आलू बुआई के लिए आवश्यक डीएपी की जिले में कालाबाजारी हो रही है। जिले में किसान सहकारी समिति व गन्ना विकास सहकारी समिति के खाद गोदामो में पिछले एक महीने से डीएपी खाद नहीं है। दुल्हैड़ा निवासी किसान किसान प्रेमपाल सिंह का कहना है कि सहकारी समितियों के गोदाम खाली पड़े हैं। केंद्र सरकार ने डीएपी का मूल्य 2400/- निर्धारित किया हुआ है। उस पर 1200/- की सब्सिडी देकर किसान को 1200/- में उपलब्ध करा रही है। जिला कृषि अधिकारियों की मिली भगत से डीएपी उर्वरक बाजार में कालाबाजारी हो रहा है।

प्रति बेग 1500/- से 1600/- में कृभकों कम्पनी का डीएपी बेचा जा रहा है। इस संबंध में जनसुनवाई ऐप पर व जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत की गई परंतु कोई समाधान नहीं निकल पा रहा। किसान परेशान हैं और कृषि अधिकारी मस्त है। किसी को कोई चिंता नहीं है। किसानों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है। किसान की कोई सुनवाई नहीं कर
रहा है।

आलू और गेहूं की बुवाई हो रही प्रभावित

क्षेत्र के किसानों ने बताया कि गेहूं और आलू की बुवाई के लिए डीएपी चाहिए, लेकिन मिल नहीं पा रही है। डीएपी न मिलने के कारण बिना खाद के ही बुवाई कर रहे हैं, इससे फसल का उत्पादन प्रभावित होगा। किसानों ने बताया कि 10 बिस्वा में सब्जी की खेती करनी है, लेकिन डीएपी न मिलने से खेती पिछड़ रही है। कहा कि डीएपी समय पर नहीं मिली तो यह सीजन खेती नहीं हो सकेगी। यही हाल अन्य गांवों में भी है। दुल्हैड़ा के किसानों को डीएपी नहीं मिल पा रही है।

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