- विश्व रेबीज दिवस: जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी-पीएचसी पर रेबीज वैक्सीन का टोटा
जनवाणी संवाददाता |
मवाना: विश्व रेबीज दिवस माह के मौके पर जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी एवं पीएचसी पर कई हजार लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है लेकिन बुधवार को विश्व रेबीज दिवस पर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से फेल नजर आया है। जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी एवं पीएचसी पर रेबीज वैक्सीन का टोटा देखने को मिला। पोल उस समय खुलकर सामने आ गई, जब चिकित्सकों की जुबांनी मीडिया के कानों तक पहुंची।
सीएचसी मवाना पर आदमखोर कुत्तों एवं बंदरों के आतंक का शिकार बने मरीज रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए जैसे ही एक-एक कर पहुंचे तो चिकित्सकों ने रेबीज इंजेक्शन लगाने से मना कर दिया। जिसके बाद मरीजोंको बाना इंजेक्शन लगवाए बैरंग जाना पडा। मवाना ब्लाक के गांव पिलोना निवासी गौरव पुत्र परमेन्दर पर घर के बाहर घूम रहे आवारा कुत्ते ने हमला कर बुरी तरह से काट कर घायल कर दिया।
लहूलुहानावस्था में सीएचसी पर इंजेक्शन लगवाने पहुंचे घायल गौरव को चिकित्सकों ने रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने पर प्राथमिक उपचार कर वापस कर दिया। घायल गौरव के भाई धर्मेन्द्र ने सीएमओ अखिलेश मोहन से फोन पर बात की। सीएमओ अखिलेश मोहन ने सीएचसी पर रेबीज वैक्सीन होने का दावा तो किया लेकिन पूरे जिले में चिकित्सकों ने वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।
सीएमओ अखिलेश मोहन के संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर फोन काट दिया। वही थोडी देर रात बाद मवाना ब्लाक अंतर्गत गांव झिंझाडपुर निवासी पांच वर्षीय मासूम मयंक भी कुत्ते के काटने का शिकार होने पर अपने पापा आदेश के साथ मवाना सीएचसी पर पहुंचा लेकिन रेबीज वैक्सीन नही लग पाई।
फार्मेसिस्ट केडी दुबे ने घायलों का केवल प्राथमिक उपचार कर जिला अस्पताल में रेफर कर दिया। विश्व रेबीज दिवस पर कुत्ते एवं बंदरों के शिकार बने मरीजों को लगने वाली वैक्सीन का टोटा होने पर जिले का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से फेल नजर आया है।
दिन-प्रतिदिन कर रहे आदमखोर हमले
कस्बा एवं गांव देहात क्षेत्र में आदमखोर कुत्ते और बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। दिन प्रतिदिन करीब सैकड़ो लोग इनका शिकार बन रहे हैं। देहात को छोड़िए, शहर में भी एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी बरकरार चल रही है। जिला अस्पताल में देहात अंतर्गत आने वाली सीएचसी एवं पीएचसी पर वैक्सीन डोज की कमी देखी गई।
चिकित्सकों का कहना है कि कुत्ते एवं बंदरों के काटने पर लापरवाही बरतना ठीक नहीं है। रेबीज के लक्षण एक से तीन महीने में दिखाई पड़ते हैं।
सीएचसी-पीएचसी पर उपलब्ध नहीं हैं एंटी इंजेक्शन
जिला अस्पताल से जुड़ी सीएचसी एवं पीएचसी पर दवाइयों से लेकर इंजेक्शन की कमी बरकरार चल रही है। रेबीज इंजेक्शन के साथ टिटनेस के भी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो सके हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सकों की कमी तो बरकरार चली आ रही है तो वही एंटी वायरस में प्रयोग होने वाले इंजेक्शन का भी टोटा हो गया है। विश्व रेबीज दिवस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा किसी को रेबीज इंजेक्शन नहीं लग पाए हैं।
इनकी सुनिए
जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन के बारे मे सीएमओ अखिलेश मोहन से पूछा गया तो कोई संतुष्ट जवाब नहीं दे पाए। वैक्सीन खत्म होने से पहले ही डिमांड भेज दी गई थी, लेकिन उपलब्ध नहीं हो सकी है।