- मदरसा सर्वे में लगी टीमों को प्रशासन की ‘नो कमेंट’ वाली हिदायत
- डीएमओ कार्यालय में मीडिया से बात करने तक की भी मनाही
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश मेरठ प्रशासन के लिए कितना मायने रखता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेरठ में मदरसोें के सर्वे के नाम पर सब कुछ ‘शून्य’ है। या फिर यूं कहें कि मुख्यमंत्री के आदेश को स्थानीय प्रशासन कोई तवज्जो देने के मूड में फिलहाल नहीं है।
जिले में मदरसों के सर्वे का क्या स्टेटस है? इस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। स्थिति तो यह है कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय में मीडिया से दूरी बनाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि डीएमओ आॅफिस यह नहीं चाहता कि सर्वे के आंकड़े मीडिया में लीक हों। इसकी वजह भी खास है।
दरअसल सर्वे की कमान मेरठ प्रशासन ने पूरी तरह से अनुदानित मदरसों के अध्यापकों के हाथों में दे रखी है और साथ ही साथ उन्हें इस बात की कड़ी हिदायत दी हुई है कि वो मीडिया से सर्वे संबधी कोई भी बात या आंकड़े साझा नहीं करेंगे। पहले दिन तो अनुदानित मदरसों की टीम में शामिल कुछ अध्यापकों ने अति उत्साह में बाकायदा फोटो के साथ प्रेस विज्ञप्ति तक जारी कर दी।
यह विज्ञप्ति और फोटो ‘दैनिक जनवाणी’ के पास सुरक्षित हैं। अगले दिन जब मीडिया में फोटो के साथ खबर प्रकाशित हुई तो प्रशासन में हड़कम्प मच गया। आनन फानन में अनुदानित मदरसों के अध्यापकों की टीम को डीएमओ कार्यालय से बाकायदा इस बात को लेकर फटकार तक लगाई गई कि खबर मीडिया तक कैसे पहुंची। बाद में सर्वे टीम के समक्ष कोई भी जानकारी उपलब्ध न कराने की हिदायतें जारी की गर्इं।
अब फिलहाल सर्वे का क्या स्टेटस है। इस पर न तो अनुदानित मदरसों के अध्यापकों की टीम कुछ बोलने को तैयार हैं और न ही प्रशासनिक अधिकारी। डीएमओ कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार काम के अतिरिक्त बोझ के कारण मदरसों के सर्वे का काम अधिकारी अपने हिसाब से अंजाम देना चाहते हैं। बताया जाता है कि डीएमओ कार्यालय में मदरसों के सर्वे को लेकर आंकड़ों की बाजीगरी की जा रही है और जिलाधिकारी के समक्ष जो रिपोर्ट पेश की जाएगी वो भी हकीकत से कोसों दूर होगी।