Tuesday, July 8, 2025
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जिला अस्पताल: वेंटीलेटर पर व्यवस्था

  • एक डाक्टर कहते हैं पांच सालों से मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली चिकित्सा सेवा हमेशा चर्चा में रहती हैं। यहां आनें वाले मरीजों को सरकार द्वारा चलाई जा रहीं स्वास्थ्य सेवाओं का कितना लाभ मिलता हैं? इसकी बानगी भर है जिला अस्पताल। प्यारेलाल जिला अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर ‘जनवाणी’ ने ग्राउंड स्तर पर पता किया तो मरीजों के साथ अदनेखी होना सामने आया। मरीजों ने न केवल अस्पताल में फैली अव्यवस्था को उजागर की, बल्कि उनके साथ डाक्टरों का व्यवहार भी अच्छा नहीं हैं। मरीज के साथ डॉक्टर भी अभद्रता करते हैं, ये तथ्य भी सामने आया।

सिरदर्द की पीड़िता मरीज रोशनी पत्नी जावेद ने बताया की वह अपने पति के साथ सुबह साढ़े 8 बजे अस्पताल में पहुंच गई थी। लाइन में लगकर किसी तरह पर्चा बनवाया गया। इसके बाद उन्हें न्यूरो चिकित्सक डा. कमलेन्द्र ने देखा और सिटी स्कैन के लिए लिखा गया, लेकिन मरीज को सिटी स्कैन के लिए अगले दिन आनें को कहा गया। दोपरह साढ़े 12 बजे उनसे कहा गया कि जिन मरीजों का सिटी स्कैन होना है उनकी सूची सुबह 10 तक तैयार कर ली गई हैं। अब अगले दिन सुबह 8 बजे से पहले आना है और सूची में नाम दर्ज कराने के बाद ही सिटी स्कैन होगा। मरीज को बिना सिटी स्कैन के ही वापस भेज दिया गया।

सिर दर्द की बीमारी से परेशान मरीज राहत पत्नी आलम भी डा. कमलेन्द्र के पास पहुंचे। जबकि उन्होंने एक दिन पहले ही पर्ची बनवा ली थी, लेकिन उन्हें भी इलाज नहीं मिल सका, दो दिन बीतने के बाद अब शुक्रवार को आने को कहा गया हैं। वहीं मरीज के पति आलम का आरोप है कि डा. कमलेन्द्र ने उनके साथ बदसलूकी की। कई मरीजों के सामने उनसे डाक्टर ने कहा कि कुछ भी कर लो आज इलाज नहीं मिल सकता। डाक्टर द्वारा यह तक कहा गया कि पिछले पांच सालों से उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका हैं। तुम कितना भी प्रयास कर लो आज इलाज नहीं मिलेगा।

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त्वचा रोग से ग्रस्त अनीता शीश महल से जिला अस्पताल पहुंची थी। खासी भीड़ के बीच पर्चा बनने के बाद कमरा नंबर 3 में डाक्टर नें उन्हें देखा जरूर लेकिन उन्हें सहीं दवा नहीं लिखी गई। मरीज के पर्चे पर जो दवाइयां लिखी गई उनमें त्वाचा पर हुए इंफेक्शन के लिए जरूरी ट्यूब नहीं लिखी गई। काफी देर तक लाइन में लगने के बाद जब दवा लेने का नंबर आया तो दवा काउंटर पर उन्हें ट्यूब लिखवाकर लाने को कहा गया। पहले से ही घंटों लाइन में लगने के बाद मुश्किल से नंबर आया था लेकिन डाक्टर द्वारा उचित दवा नहीं लिखने की वजह से उन्हें दवा नहीं मिल सकी।

इंचौली की रहने वाली मरीज अफसाना को एलर्जी हैं। वह नजला, जुखाम व खांसी से ग्रस्त है, डाक्टरों ने दवा लिखी, लेकिन दवा देने के बाद उनकी दवाई की पर्ची को अपने पास रख लिया गया। हालांकि फार्मोसिट डा. एके रस्तौगी का कहना है मरीजों को जो छोटा पर्चा दवाई के लिए दिया जाता है उसे हम अपने पास ही रखते हैं। इसमें मरीजों का ही फायदा है, यदि किसी मरीज को बाद में दवा की जरूरत होती है तो उसका पर्चा पहले से ही उनके पास होता है। इससे यह भी पता चल जाता है कि मरीजों को जो दवा जा रही है उनमें ऐसी कौन सी दवा है जो उनके स्वास्थ्य पर ज्यादा लेने पर गलत प्रभाव डाल सकती हैं उनका भी रिकार्ड रहता हैं।

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