- देश की ब्यूरोक्रेसी से लेकर एजूकेशन सिस्टम तक में अपना सुनहरा योगदान दिया
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिस देश मेें अल्पसंख्यकों के लिए अवसर न होने का ठीकरा फोड़ा जाता हो, जिस देश में मुसलमानों और तालीम के बीच लुकाछिपी का खेल खेला जाता हो, वहीं एक मुस्लिम परिवार ऐसा भी है जो देश भर के मुसलमानों के लिए आईना भी है और मिसाल भी। इस परिवार ने देश की ब्यूरोक्रेसी से लेकर एजूकेशन सिस्टम तक में अपना सुनहरा योगदान दिया। हम बात कर रहे हैं
मेरठ शहर के एक ऐसे परिवार की जिसने तालीम की रोशनी में ही आंखे खोली और फिर पीढ़ी दर पीढ़ी तालीम की इस अलख को दूसरों तक पहुंचाया। खैरनगर निवासी इस परिवार में जहां आईएएस से लेकर आईपीएस तक मौजूद हैं, वहीं इस परिवार की महिला को उनकी शैक्षिक सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार तक प्राप्त हो चुका है।
मूलरूप से मुजफ्फरनगर के जानसठ निवासी अकील अहमद जैदी के परिवार में तीन बेटियां (शकीला बेगम, कमरून्निसां जैदी व नजमा रिजवी) और दो बेटे (कमर अहमद व डॉ. नसीम जैदी) हैं। हांलाकि इनमें से शकीला बेगम का हाल ही में देहान्त हो चुका है। दो भाइयों में से एक डॉ. नसीम जैदी (आईएएस) देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (चीफ इलैक्शन कमिश्नर आॅफ इण्डिया) रह चुके हैं।
दूसरे भाई कमर अहमद (आईपीएस) जहां स्पेशल कमिश्नर आॅफ दिल्ली पुलिस व ज्वॉइंट कमिश्नर आॅफ दिल्ली पुलिस रह चुके हैं वहीं उन्हे दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया। दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के वो कॉर्डिनेटर भी रहे। इसके अलावा कमर जैदी के दामाद सैयद मुर्तजा रिजवी भी आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस आॅफिसर हैं। परिवार की सबसे बड़ी बेटी शकीला बेगम की बेटी भी बीबी नगर गर्वन्मेंट डिग्री कॉलेज की प्राचार्य हैं। कुल मिलाकर इस परिवार ने साबित कर दिया है कि यदि आपके पास शिक्षा व सलाहियत है तो आप किसी पर भी अपनी नाकामी का ठीकरा नहीं फोड़ सकते।
इसके अलावा बहनों में दूसरे नम्बर पर कमरुन्निसां जैदी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा उनकी शैक्षिक सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुरूस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वो कहती हैं कि जिस देश में राष्ट्रपति से लेकर देश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर मुस्लिम व्यक्ति की ताजपोशी हो सकती है तो वहां सिस्टम पर सवाल उठाना बेतुकी बात है।
अफ्रीका ले रहा नसीम जैदी के अनुभव का लाभ
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) रहे डॉ. नसीम जैदी रिटायरमेंट के बाद भी अपनी हुनरमंदी का लोहा मनवा रहे हैं। उनकी बहन कमरुन्निसां जैदी बताती हैं कि नसीम जैदी फिलहाल अफ्रीका गए हुए हैं जहां अफ्रीका की सरकार चुनाव प्रबंधन के लिए उनके अनुभवों का लाभ ले रही है।