- स्टे के साइड इफेक्ट, कहीं खुशी तो कहीं गम
- अनारक्षित के चेहरों पर आई खुशी, लेकिन आरक्षित अभ्यर्थियों की बढ़ी धुकधुकी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शिक्षक भर्ती मामले में कोर्ट के आदेश के साइड इफेक्ट के चलते कहीं खुशी तो कहीं गम है। इससे जहां अनारक्षित अभ्यार्थी खुश हैं तो वहीं, दूसरी ओर आरक्षित अभ्यार्थी तमाम आशंकाओं से घिरे हैं। वो अपने भविष्य को लेकर अब तमाम तरह की आशंकाओं से घिरे हैं। दरअसल, 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्थगन आदेश और अगली सुनवाई 23 सितंबर को किए जाने के निर्णय से आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों की धुकधुकी बढ़ गई है।
अभी हाईकोर्ट के निर्णय अगर लागू होता तो आरक्षण की विसंगति दूर कर नई मेरिट बनती और उन्हें लाभ मिलता। फिर भी उन्हें आगे न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है। वहीं, दूसरी ओर अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी जो हाई कोर्ट के निर्णय से मायूस थे उन्हें सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राहत मिली। फिलहाल दोनों ही पक्ष अपनी बात को मजबूती से सुप्रीम कोर्ट में रखने की तैयारी मेंजुट गए हैं। आरक्षित श्रेणी के एक अभ्यर्थी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि आरक्षण को लागू करने में विसंगतियां हुई हैं और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि कर चुका है।
हाईकोर्ट ने भी बीते 13 अगस्त, 2024 को आरक्षण की विसंगतियों को दूर कर नई मेरिट सूची बनाने का आदेश दिया था। राज्य सरकार को तीन महीने का समय इसके लिए दिया गया था, लेकिन करीब एक माह बीतने के बावजूद अभी तक राज्य सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई। इधर, अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट चले गए। अनारक्षित श्रेणी के अभ्यार्थियों का कहना है कि अभी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फौरी राहत मिली है। आगे पूरा न्याय मिलेगा। राज्य स्तरीय मेरिट नहीं बल्कि इसमें नियोक्ता बेसिक शिक्षा अधिकारी होता है और जिला स्तरीय मेरिट बनती है।
ऐसे में आरक्षण भी जिला स्तर पर उपलब्ध पदों के आधार पर ही लगेगा। ऐसे ही कई तथ्य वह मजबूती से वहां रखेंगे। वहीं, दूसरी ओर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 13 नवंबर तक नई मेरिट सूची बनाने का समय दिया था। वह अभी इस पर मंथन कर रही थी कि अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उल्लेखनीय है कि यह पूरा मामला 69 हजार पदों पर शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। जिसमें पांच जनवरी वर्ष 2019 को लिखित परीक्षा आयोजित की गई और एक जुलाई 2020 को परिणाम जारी हुआ। उसके बाद आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी आरक्षण की विसंगतियां गिनाकर आंदोलन करने लगे। मामला अब बड़ी अदालत में है।