Saturday, December 14, 2024
- Advertisement -

उर्वरकों में भारी कमी से किसान परेशान

KHETIBADI

शैलेंद्र चौहान

रबी सीजन के लिए डीएपी के पर्याप्त प्रारंभिक स्टॉक रखने की योजना बनाने में घोर विफलता ने किसानों के लिए भारी कमी और संकट पैदा कर दिया है। 2023 में अप्रैल से सितंबर के दौरान 34.5 लाख टन आयात के मुकाबले इस साल इसी अवधि के दौरान केवल 19.7 लाख टन आयात किया गया। घरेलू उत्पादन में भी गिरावट आई है। 1 अक्टूबर, 2024 को अनुशंसित 27-30 लाख टन के मुकाबले केवल 15-16 लाख टन स्टॉक में था; यह तब है जबकि मध्य अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक अनुमानित मांग लगभग 60 लाख टन है।

किसान डीएपी और यूरिया, एमओपी आदि की कमी से प्रभावित हैं और उन्हें कथित तौर पर डीएपी की सरकार द्वारा निर्धारित एमआरपी यानी 1,350 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग से लगभग 300 रुपये से 400 रुपये अधिक का भुगतान करना पड़ रहा है। सरकार इनकार की मुद्रा में है और नैनो-यूरिया और नैनो-डीएपी पर प्रचार में लगी हुई है, जिनकी प्रभावकारिता संदिग्ध है। भारत को यूरिया और डीएपी के घरेलू विनिर्माण के विस्तार की आवश्यकता है। मुख्य समस्या विनियंत्रण के कारण उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि है, और इनपुट कीमतों का प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। वर्तमान में केवल यूरिया की कीमतें नियंत्रित की जाती हैं और इसके परिणामस्वरूप अन्य उर्वरकों की तुलना में यूरिया का अधिक उपयोग होता है।

किसानों ने ज्यादा फसल उत्पादन के लालच में स्वयं देसी जैविक खाद बनाना लगभग 90 प्रतिशत कम कर दिया है। पशुपालन भी कम कर दिया है। देसी खाद के अभाव में उन्हें मजबूरन उर्वरक खाद फसलों में लगानी पड़ती है। इस खाद में नकली, कृत्रिम और चीन की घटिया खाद भी शामिल है। हैरानी की बात यह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां बायो, जैविक और आॅर्गेनिक के नाम पर धड़ल्ले से अपने रासायनिक प्रोडक्ट को बेच रहे हैं।

कीटनाशकों में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों को लेकर भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है। इस लिहाज से तमाम कीटनाशकों में जहरीले रसायन के उपयोग को लेकर इन गाइडलाइनों को फॉलो करना बेहद अनिवार्य किया गया है। इसके तहत तमाम रसायनिक कीटनाशकों के भंडारण, विक्रय और उपयोग को लेकर सारी जानकारी सार्वजनिक की जानी है, लेकिन देशभर में ऐसे कई कीटनाशक जैविक रसायनों के नाम से धड़ल्ले से बिक रहे हैं। जैविक कीटनाशकों की जगह रासायनिक कीटनाशकों को किसानों को धड़ल्ले से खपाया जा रहा है।

जैविक खेती को लेकर रासायनिक खादों और कीटनाशकों का कारोबार देश में धड़ल्ले से चल रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि जैविक चीजों के नाम पर रासायनिक चीजों को बेचा जा रहा है जो कि बेहद ही खतरनाक है। जैविक के नाम पर जहर बेचा जा रहा है जिसके दुष्परिणाम कभी भी किसी बड़ी घटना के रूप में सामने आ सकते हैं। हर रासायनिक उत्पादों को बेचने और उपयोग को लेकर गाइडलाइन होती है, जिसमें इन कीटनाशकों को उनके जहर के हिसाब से अलग-अलग कैटेगरी में डिवाइड किया गया है लेकिन जैविक रसायनों में इस तरह का लेबल नहीं होता है।

janwani address 1

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

दिल्ली का पचास हजारी बदमाश मेरठ में ढेर

कुख्यात हाशिम बाबा गैंग का था शातिर शूटर ...

मुश्ताक अपहरण कांड में पूर्व पार्षद गिरफ्तार

एसटीएफ और बिजनौर पुलिस ने की बड़ी कार्रवाई,...

नाबालिग छात्रा से मारपीट का आरोपी पुलिस मुठभेड़ में घायल

अस्पताल ले जाते समय सिपाही की पिस्टल छीनकर...
spot_imgspot_img