- शहर में डेरी की संख्या एक हजार के पार, डेरी का गोबर नालों में बहाने की शिकायतों की भरमार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में नाली, नालों के अक्सर चोक होने की समस्या से परेशान पार्षद एवं नगर निगम के अधिकारियों के द्वारा उन डेरी संचालकों पर बडी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। जिनके द्वारा नाली व नालों में डेरी का गोबर बहाया जा रहा है। प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि नाली व नालों में गोबर बहाने वाले प्रत्येक डेयरी संचालक पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा।
उन डेरी संचालकों की सूची तैयार कराने का कार्य शुरू करा दिया गया है,जिनके द्वारा चेतावनी के बाद भी नालो में गोबर बहाना बंद नहीं कराया गया। शहर में एक हजार के पार डेरी की संख्या जा पहुंची है, वहीं अब डेरी संचालकों की शिकायतों की भरमार है।
वार्ड-22 गोलाबढ़ के पार्षद मदनपाल एवं वार्ड-36, वार्ड-85, वार्ड-86 के पार्षदों समेत अन्य कई पार्षदों के द्वारा उन डेरी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जिनके द्वारा चेतावनी के बाद भी नालों में गोबर बहाना बंद नहीं किया गया। पूर्व में डेरी को शहर से बाहर भेजे जाने को लेकर कार्रवाई की बात कही गई थी, लेकिन वह कार्रवाई डेरी संचालकों के द्वारा नालों में गोबर नहीं बहाने देने के आश्वासन के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी,
लेकिन कुछ डेरी संचालकों ने तो सुधार किया या तो डेरी बंद कर दी या फिर अपनी डेरी के गोबर का डेरी से उठवाकर दूसरी जगह भिजाने का इंतजाम कर लिया, लेकिन अधिकतर डेरी संचालकों द्वारा अपने रवैय्ये में कोई सुधार नहीं किया गया। जिसके द्वारा पूर्व में भी डेरी का गोबर नालों में बहाए जाने का सिलसिला जारी रहा। पार्षद एवं सफाई कर्मचारियों का आरोप है कि वह दिन रात सफाई व्यवस्था में मेहनत करते हैं,
लेकिन उनकी मेहनत को कुछ डेरी संचालक पलीता लगा रहे हैं। इधर नाला की सफाई का कार्य पूरा नहीं होता, उधर गोबर से अटकर नाले फिर से चोक हो जाने की समस्या बन जाती है। पार्षदों की शिकायत पर प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरपाल सिंह ने डिपो प्रभारी के साथ सफाई निरीक्षक एवं सफाई सुपरवाइजरों को निर्देश जारी किए हैं कि उन डेरी संचालकों की सूची तैयार करें, जिनके द्वारा नालों में गोबर बहाया जा रहा है।
अधिकारी, कर्मचारी को है वाहन चोरी का डर
सदर तहसील में सामान्य व्यक्तियों को छोड़िए अधिकारियों एवं कर्मचारी को भी अपने वाहन चोरी होने का डर इस कदर सताता है। कि वह अपने वाहन परिसर में खड़ा न करके अपने दुपहियां वाहनों को अपने कार्यालय कक्ष में ही खड़ा करते हैं। मुख्यालय पर ही अधिकारियों एवं कर्मचारियों में वाहन चोरी का इतना डर सताता है तो आम लोग जोकि परिसर में वाहन खड़ा करते हैं, उनका वाहन यदि चोरी हो जाए तो क्या होगा। अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है। मुख्यालय के अंदर वाहनों की आवाजाही होने के चलते अक्सर गदंगी पसरी रहती है।
सदर तहसील में वाहन स्टैंड के नहीं होने के चलते पूर्व में कई वाहन चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। जिसके चलते अधिकारियों के साथ कर्मचारियों में वाहन चोरों का खौफ इस कदर छाया रहता है कि वह अपने खासकर दुपहियां वाहन को परिसर में खड़ा करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते। सोतीगंज में वाहनों का कटान भले ही सरकार द्वारा बंद करा दिया गया और शहर में वाहन चोरी की घटनाएं भले ही कम हुई हों,
लेकिन तहसील मुख्यालय पर आज भी वाहन चोरोें का डर अधिकारी एवं कर्मचारियों के अंदर इस कदर बैठा हुआ है कि वह अपने दुपहियां वहनों को परिसर में खड़ा न करके अपने कार्यालय के अंदर खड़ा करते हैं। परिसर के अंदर कार्यालय में वाहनों की आवाजाही के चलते फर्स पर गंदगी पसर जाती हैं। लोगों को यह कहते सुना जाता है कि जब अधिकारी एवं कर्मचारियों में वाहन चोरों से इतना डर व्याप्त है तो सामान्य व्यक्ति जोकि तहसील में किसी काम काज से आता है,
यदि उसका वाहन चोरी हो जाये तो वह क्या करेगा। फिलहाल सदर तहसील में अधिकारी एवं कर्मचारी अपने वाहनों को परिसर में न खड़ा करके अपने कार्यालय के अंदर खड़ा करते हैं, जिस जगह पर वह कार्य करते हैं। ताकि वाहन उकी नजरों के सामने रहे। एक दो नहीं तहसील में कर्मचारी हो या फिर अधिकारी जिस पर दुपहिया वाहन है, वह अक्सर अपने कार्यालय के अंदर ही वाहन खड़ा करते हैं।