- गंगा में डिस्चार्ज जस का तस, बिजनौर बैराज से गंगा में डिस्चार्ज 1 लाख 41 हजार क्यूसेक
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: गंगा के जलस्तर में हो रहे उतार-चढ़ाव से खादर क्षेत्र हालात बेकाबू हो रहे हैं। लगातार डिस्चार्ज में कमी के बाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। जलस्तर बढ़ने के साथ लोगों की मुश्किलें बढ़ रही है। हर तरफ बाढ़ लोगों की जान के लिए आफत बनी है।
लेकिन सवाल ये है कि पानी छोड़े जाने की खबर अधिकारियों को भी, लेकिन पहले से ही कोई इंतजाम नहीं किए गए। शुक्रवार को बिजनौर बैराज से चल रहा डिस्चार्ज जस का तस 1 लाख 41 हजार क्यूसेक ही रहा, लेकिन हरिद्वार से गंगा जलस्तर में थोड़ी से वृद्धि के हुई।
खादर से होकर गुजरने वाली गंगा और सोती नदी में पिछले एक माह से रौद्र रूप धारण किया है। ग्रामीणों को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। तटबंध धराशायी होने से बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर कई गांवों को चपेट में ले लिया था। गंगा के विकराल रूप के चलते हस्तिनापुर-रामराज और मखदूमपुर मार्ग पर तीन से चार फीट पानी भरा होने के चलते आवागमन में भारी दिक्कतें हो रही है।
बिजनौर बैराज पर तैनात जेई पीयूष कुमार के अनुसार सोमवार को बिजनौर बैराज से गंगा नदी में चल रहा डिस्चार्ज बढ़कर 1 लाख 44 हजार और हरिद्वार भीमगोड़ा बैराज 1 लाख 22 हजार क्यूसेक हो गया। गंगा के जलस्तर में लगातार कमी के बाद भी खादर के हालात जस के तस बने है।
दर्जनों जगहों से धराशायी हुई सड़कें
महीनों से गंगा के जलस्तर में चल रहे उतार-चढ़ाव के खेल से ग्रामीण परेशान है आवागमन के लिए मुख्य मार्ग धराशायी हो चुके हैं। हस्तिनापुर-चांदपुर मार्ग लतीफपुर मोड़ के पास चार से पांच फीट पानी बह रहा है। वहीं, भीकुंड मोड़ से समीप से पुल तक तीन जगहों से कटान से चलते सड़क नदी में तब्दील हो गई हैं।
गंगा की तलहटी में बसे गावों में बीमार लोग फंसे होने के चलते दिक्कतें हो रही है। जलालपुर जोरा और किशोरपुर को जोड़ने वाले मार्ग भी कटान की भेंट चढ़ गया है। लोगों को इस पार से उस पार पहुंचने में नावों का सहारा लेना पड़ रहा है।
आवागमन के लिए खतरे में जान
खादर में बाढ़ की विभीषिका झेल रहे लोग बाढ़ में फंसे हैं और खाने-पीने के सामान के अलावा दवाइयों के लिए भी तरस रहे हैं। गांव में बच्चे बुखार से तप रहे हैं और लोग चार से पांच फीट तक भरे पानी के बीच कही आने जाने से बेबस हैं। ग्रामीणों की अचानक तबीयत बिगड़ने पर लोगों को कंट्रोल रूम से सम्पर्क करना पड़ता है या जान जोखिम में डालकर कटान की भेंट चढ़ चुकी सड़कों को पार करने के लिए टयूबों का सहारा लेना पड़ा रहा है।
10 साल बाद देखी बाढ़ की विभीषिका
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2010 के बाद आई में बाढ़ की विभीषिका देखने को मिली थी। देश की आजादी के बाद ग्रामीणों को बाढ़ का मजर देखने को मिली, लेकिन 1978 के बाद खादर में 2010 और 2013 में बाढ़ की विभीषिका देखने को मिली। जिसमें खादर के फसलों को तहस नहस कर दिया। एक बाद फिर खादर में वही हाल देखने को मिल रहा है।