- पहले लम्पी डिसिज फिर ब्रूसेला के टीकाकरण ने लगाया पारंपरिक एफएमडी अभियान पर ब्रेक
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: करीब एक साल की अवधि बीत गई है, जबकि पशुओं में होने वाले खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) रोग से बचाव के लिए जनपद में टीकाकरण नहीं हो सका है। इस बीच मौसम बदलने के साथ कुछ स्थानों पर पशुओं में इस रोग के फैलने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन पशु पालन विभाग इससे पूरी तरह आंखें मूंदे बैठा हुआ है।
एफएमडी रोग को गांव की आम बोलचाल में खुरपका मुंहपका कहा जाता है।
यह रोग बरसात के मौसम और सर्दी से गर्मी की ओर मौसम परिवर्तन के समय फैलता है। जिसके लिए पशु पालन विभाग की ओर से मार्च और अगस्त-सितंबर माह में दो बार टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। पिछली बार मेरठ जनपद में एफएमडी टीकाकरण मार्च 2022 में किया गया था। पशु पालन विभाग के जिला कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक उस समय पांच लाख 15 हजार 704 भैंस और दो लाख 44 हजार 585 गाय को टीका लगाया गया था।
यह टीकाकरण 2019 की पशु गणना के अनुसार शत-प्रतिशत किया गया था। इसके बाद टीकाकरण का चक्र अगस्त-सितंबर 2022 में होना था, लेकिन विभाग की ओर से इसके लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराई गई। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस अवधि में गायों के बीच लम्पी रोग फैल गया। जिसमें पशु पालन विभाग के सभी अधिकारी सक्रिय हो गए। और गोवंशीय पशुओं को लम्पी रोग से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया गया। लम्पी बीमारी ने कई महीने तक विभाग के अधिकारियों को व्यस्त रखा।
इसके बाद ब्रूसेला बीमारी से रोकथाम के लिए टीकाकरण का अभियान शुरू हो गया। यह टीका चार से आठ माह के गाय और भैंस के बच्चों को प्रजनन से संबंधित बीमारी से बचाने के लिए लगाया जाता है। जनपद में 95 हजार 780 टीके लगाने का काम हाल ही में पूर्ण करके लखनऊ रिपोर्ट भेजी गई है। बहरहाल लम्पी और ब्रूसेला रोग से बचाव के लिए दो अलग-अलग टीकाकरण अभियान के चलते एफएमडी टीकाकरण अभियान ठंडे बस्ते में चला गया है।
वहीं पशुपालकों का कहना है कि बदलते मौसम के बीच खुरपका-मुंहपका रोग फैलने की आशंका बनी हुई है, लेकिन विभाग के अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। पशुपालकों का कहना है कि इन रोगों की जद में आने वाले पशु की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में विभाग को लाखों रुपये कीमत के पशुओं को बचाने के लिए एफएमडी वैक्सीन उपलब्ध कराने में विलंब नहीं करना चाहिए।
मोबाइल वेटरनरी वैन के लिए डायल कीजिए 1962
भारत सरकार के पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना के अंतर्गत डायल 108 और डायल 102 की तर्ज पर अब पशुपालकों के घर 1962 पर एक काल करने के उपरांत मोबाइल वेटरनरी वैन हाजिर होगी। इस अभियान की बागडोर जिकित्सा हेल्थ केयर को सौंपते हुए मेरठ जिले में आठ मोबाइल वेटरनरी वैन उपलब्ध कराई गई है। यह वैन पशुपालकों के घर तक पहुंचेगी और पशुओं का उपचार करने के साथ ही दवाएं भी उपलब्ध कराएगी।
प्रत्येक एंबुलेंस में एक पशु चिकित्सक, एक पैरावेट, और चालक शामिल होंगे। जिकित्सा हेल्थ केयर संस्था के आपरेशन मैनेजर जेएस नेगी ने बताया कि उनके स्तर से अभी तक मल्टी टास्किंग पर्सनल और चालकों का चयन किया जा चुका है। इस समय चिकित्सकों को फाइनल करने की प्रक्रिया चल रही है। यह वैन कब से सेवा देना शुरू करेंगी, इसका निर्णय लखनऊ स्तर से किया जाएगा।
लेकिन मेरठ जनपद के लिए पशु पालन विभाग की ओर से आठ वैन उपलब्ध करा दी गई हैं। वहीं उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. एसपी पांडेय ने बताया कि यह सेवा पूरे प्रदेश में केन्द्र सरकार की ओर से संचालित की जा रही है। जिसका उद्देश्य यही है कि समय पर पशुओं को इलाज मिल सके। कई मौकों पर समय से इलाज न मिल पाने के कारण दुधारू पशुओं की मौत हो जाती है। इससे राहत देने के लिए प्रदेश सरकार के माध्यम से मोबाइल वेटरनरी वैन शुरू करने की योजना बनाई गई है।
यह सुविधा शुरू होने के बाद एक कॉल करने पर मोबाइल वैन में पशु चिकित्सक स्टाफ के साथ दवाइयां लेकर पशु पालकों के घर पहुंच जाएंगे। इसमें पशुओं के चिकित्सा संबंधी उपकरण और दवाइयां भी उपलब्ध होंगी। इसे टोल फ्री नंबर 1962 से जोड़ा जाएगा।
जरूरत पड़ने पर पशु पालक इस पर फोन कर सकेंगे। किसी भी गांव में रहने वाले पशु पालक के फोन करने पर यह मौके पर पहुंच जाएगी। मोबाइल वैन में डॉक्टर मौजूद होंगे, जो बीमार पशु का परीक्षण करने के साथ दवाएं भी देंगे। इससे पशुओं को तुरंत और सही इलाज मिल सकेगा।
आम तौर पर एफएमडी वैक्सीनेशन साल में दो बार किया जाता है। बीते वर्ष लम्पी रोग के चलते सितंबर माह का अभियान ड्राप करने का निर्णय प्रदेश मुख्यालय स्तर से लिया गया। अभी इस वर्ष के लिए लखनऊ स्तर से निर्णय लिया जाना है।
जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार अभी पूर्वोत्तर में एफएमडी टीकाकरण का काम चल रहा है। जिसके बाद पश्चिम क्षेत्र में अभियान चलाया जाएगा। -डा. अखिलेश गर्ग, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, मेरठ