- डॉक्टरों की लापरवाही मरीजों पर पड़ रही भारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बे-पटरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तमाम सख्ती के बाद भी स्वास्थ्य सेवाएं सुधर नहीं रही है। ड्यूटी से डॉक्टर नदारद रहते हैं। यह कोई देखने वाला नहीं है। आखिर बेलगाम डॉक्टरों पर लगाम कौन कसेगा?
हालात ऐसे बन गए हैं कि मंगलवार को एक मासूम बालिका दर्द से कराह रही थी, लेकिन डॉक्टरों ने उसे नहीं देखा। यह हाल बच्चा वार्ड का था, जहां पर डॉक्टर गायब थे। यहां रोजमर्रा का काम है, जहां पर मरीजों को दिक्कत हो रही है। एक से डेढ़ बजे के बीच में डॉक्टर गायब हो जाता हैं, जिसके चलते इस तरह की समस्याओं का मरीजों को सामना करना पड़ता है।
पीड़ित बालिका दोपहर चार बजे तक दर्द से तड़पती रही, लेकिन उसे कोई उपचार इस बीच उसे नहीं मिला।
दरअसल, जिला अस्पताल में पर्चा बनवाना कोई छोटी बात नहीं है। बड़ी समस्या का हर रोज लोगों को सामना करना पड़ता है।
इस बालिका व उसकी मां के सामने भी इस तरह की मंगलवार को समस्या आयी, जिसके चलते मां-बेटी पूरा दिन अस्पताल में इलाज तो नहीं मिला, दुत्कार व परेशानी का सामना करना पड़ा। हम बात कर रहे हैं पीड़िता सरिता निवासी शारदा रोड ब्रह्मपुरी की बेटी अनमोल की, जो दर्द से कराह रही थी।
जिला अस्पताल में सरिता अपनी बेटी 10 साल अनमोल को लेकर आयी थी। सुबह ग्यारह बजे उसने अस्पताल में आना बताया। पर्चा बनवाने में घंटों लग गए। पहले बच्चा वार्ड में भेजा गया था। वहां पर ना तो कोई डॉक्टर मिला और नहीं कोई स्टाफ।
दो घंटे से बच्ची दर्द से तड़पती रही और बालिका की मां अस्पताल के परिसर में डॉक्टरों को तलाश करती रही, लेकिन बच्चा वार्ड के डॉक्टर अपनी सीट से नदारद रहे। बच्ची पेट के दर्द की शिकायत थी। दो घंटे से तड़पती बालिका, मगर किसी का दिल नहीं पसीजा।
कुछ स्टाफ था भी वह देखकर चला गया। ऐसे में मां अपनी बच्ची को कहा लेकर जाए? वैसे तो डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है और जब इलाज कराने वहां पहुंचे तो डॉक्टर अपनी सीट छोड़कर वार्ड में आफिस का ताला लगाकर टहलने निकल जाते है। अगर ऐसे में उस बच्ची के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?