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जनवाणी संवाददाता |
हरिद्वार: पुलिस छोटे से मामले का खुलासा करते ही अपनी तारीफों के पुल बांधने लगती है किसी घटना के खुलासे के बाद जब पुलिस कार्यालय से प्रेस नोट जारी होता उसको पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे पुलिस ने घटना का खुलासा कर दिया हो। पुलिस की सफलता का राज यह भी है कि किसी घटना का मुकदमा घटना के बाद नहीं बल्कि घटना के खुलासे के कुछ घंटों पहले ही लिखा जाता है।
ताजा मामला हरिद्वार नगर कोतवाली का है, जहा एक घायल पीड़ित को मुकादमा दर्ज कराने के लिए प्रेस वार्ता तक करनी पड़ रही है। राजधानी में बैठे पुलिस अफसर राज्य में कानून व्यवस्था बनाए व पीड़ित को हर हद तक न्याय दिलाने के वादे कर रहे। और धर्मनगरी हरिद्वार में शहर कोतवाली उनके वादे व उमीदो पर पानी फेर रही है। मामला शहर कोतवाली क्षेत्र शिवमूर्ति गली का है जहा तीन दिन पूर्व रंजिश से चलते एक न्यूज़ पोर्टल के कथित पत्रकार व उसके भतीजे ने बेहरमी से धारदार हथियार से दिन दहाड़े एक युवक का सर फाड़ दिया।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है, जिसमे पीड़ित युवक के डेढ़ दर्जन से ज्यादा सर में टांके भी आए। वही पीड़ित द्वारा तीन दिन से तहरीर के आधार पर मुकादमा दर्ज व न्याय मिलने का प्रयास कर रहा है। लेकिन किसी दबाब के चलते पुलिस जांच का बहाना बना कर पीड़ित युवक को टांवे दे रही है। वही मामले में चर्चा है कि पुलिस के एक आलाधिकारी के मुकादमा दर्ज करने की बात को भी शहर कोतवाली ने नकार दिया है।
गौरतलब है कि गत दिन पूर्व में भी एक मामला शहर कोतवाली का प्रकाश में आया था जो प्रशासन से जुड़ा था। जिसमे दो युवक जिला मजस्ट्रेट की गाड़ी में देर रात हूटर बजाते सड़को पर घूम रहे थे जिनके बचाव में खुद पुलिस का एक आलाधिकारी देर रात शहर कोतवाली पहुचा ओर दोनों युवकों पर बिना कोई कार्यवाही करें छोड़ दिया।
कई थानों ने बनाया नया ट्रेंड
शहर में कई थानों व कोतवाली ने एक नया ट्रेंड बना लिया है। अधिकारी की फटकार से बचने के लिए नया तरीका निकाल लिया है। बता दे कि अपराधिक घटनाएं होने पर अधिकारियों की फटकार से बचने के लिए कई थानों और कोतवाली पुलिस ने अब नया तरीका इस फटकार से बचने का निकाल लिया है। जिससे उन्हें फटकार नही बल्कि अधिकारियों के शाबासी मिलती है।
कई थानों व कोतवाली के प्रभारी अब आपराधिक घटना होने पर मुकदमा ही दर्ज नहीं करते। उस पर वर्कआउट जरूर कर लेते हैं। आपराधिक घटना जैसे ही खुलती है तो यह प्रभारी अधिकारियों की गुड बुक में शामिल होने के लिए एक दिन पहले घटना को हुआ बताकर तत्काल उसे खोल देते हैं। इससे वह न केवल अधिकारियों बल्कि मीडिया की भी वाहवाही लूटने का काम करते हैं।
कोर्ट की फटकार के बाद हो रहे मुकदमे दर्ज
यही कारण है आज-कल किसी-किसी मामलों में तथ्य सामने होने पर भी कोर्ट की फटकार के बाद ही पुलिस मुकदमा दर्ज कर ही है, थाना व कोतवाली प्रभारियो की मनमर्ज़ियों के चलते पीड़ित को कोर्ट की शरण मे जाना पड़ता है।
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