Wednesday, December 11, 2024
- Advertisement -

आरटीओ की गोपनीय फाइल दलालों के हाथों में कैसे ?

  • दलालों की सजी रहती है दुकानें, लोगों को जाल में फंसाकर चलता है भ्रष्टाचार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टोलरेंस नीति पर आरटीओ आॅफिस में काम नहीं होता। यहां मुख्यमंत्री की नीति नहीं चलती, बल्कि दलालों की चलती हैं। पैसा फेंकों तमाशा देखों, कुछ वैसे ही यहां भी चल रहा हैं। दलालों के हाथों में आॅफिस की महत्वपूर्ण फाइल तस्वीर में देखी जा सकती हैं। जिस स्थान पर आरटीओ आॅफिस के गोपनीय दस्तावेज रखे जाते हैं, वहां पर प्राइवेट लोगों की एंट्री कैसे हो जाती हैं? ये बड़ा सवाल हैं।

पूरा दिन ये प्राइवेट लोग गोपनीय कक्ष में घुसे रहते हैं। कौन सी फाइल गायब कर दी जाएग, कुछ नहीं कहा जा सकता? एक तरह से इन दलालों पर किसी तरह का नियंत्रण आरटीओ का नहीं रह गया हैं। क्योंकि दलाल ही तो है, जो कमाऊ पूत हैं। इसी वजह से इनकी एट्री पर किसी तरह की रोक-टोक नहीं हैं। फिर आरटीओ भी आॅफिस में कम बैठते हैं, जिसके चलते कर्मचारी भी निकरकुंश हो गए हैं। तमाम कार्य दलालों के माध्यम से ही तो हो रहे हैं। आरआई का कक्ष दलालों से हर समय भरा रहता हैं।

13 33

कोई भी दलाल खिड़की की बजाय कक्ष में एंट्री कर अपना काम करा लेता हैं। कोई रोक-टोक यहां नहीं हैं। क्योंकि भ्रष्टाचार में हरकोई डूबा हुआ हैं, जिसके चलते आरटीओ आॅफिस में एक तरह से दलाल ‘राज’ चल रहा हैं। परिवहन मंत्री का भी किसी तरह का भय नहीं हैं। यदि आपने सीधे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन कर दिया तो आपका लाइसेंस आरआई स्तर पर आने के बाद अनुपस्थित कर दिया जाता हैं, जिसके चलते ड्राइविंग लाइसेंस लटक जाता हैं।

फिर से नये सिरे से प्रक्रिया चालू होती हैं और दो से तीन माह फिर लग जाएंगे। इस तरह से भ्रष्टाचार आरटीओ आॅफिस में चरम सीमा पर हैं। जब प्रदेश के दूसरी बार योगी आदित्यनाथ सीएम बने तो लगा कि अब भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, लेकिन कई विभाग ऐसे है, जहां भ्रष्टाचार पर चोट हुई हैं, लेकिन आरटीओ में भ्रष्टाचार और ज्यादा बढ़ गया हैं। आरटीओ में पहले ड्राइविंग लाइसेंस पर पांच सौ रुपये की रिश्वत ली जाती थी, वर्तमान में एक लाइसेंस पर एक हजार की रिश्वत ली जा रही हैं। इसके बिना ड्राइविंग लाइसेंस बनना संभव नहीं हैं।

14 33

इसके ‘जनवाणी’ के पास सबूत भी मौजूद हैं। फिर प्राइवेट लोगों की एंट्री गोपनीय कक्ष में कैसे हो रही हैं? ये भी बड़ा सवाल हैं। जनवाणी के कैमरे में कुछ ऐसे लोग कैद हो गए है, जो आरटीओ आॅफिस के बाहर अपनी दुकानें सजाकर बैठे हैं और भीतर उनकी एंट्री गोपनीय कक्ष में होती हैं। इसकी तस्वीर भी जनवाणी के पास मौजूद हैं। प्राइवेट लोग क्लर्क का काम करते हुए कैमरे में कैद हो गए हैं। इन पर क्यों अंकुश नहीं लग पा रहा हैं, फिर इनको वेतन कौन दे रहा हैं या फि र भ्रष्टाचार से इनको भी सीचा जा रहा हैं।

इनके हाथों में फाइल किसकी हैं? जब सबकुछ आॅन लाइन है तो दलालों को एंट्री कैसे दी जा रही हैं? इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? क्या इस तरह से योगी आदित्यनाथ के जीरो टोलरेंस नीति पर आरटीओ आॅफिस में काम चल रहा हैं। इस तरह से भ्रष्टाचार खत्म होगा? शर्म की बात ये है कि पूरे प्रदेश में जीरो टोलरेंस नीति पर काम चल रहा हैं, लेकिन आरटीओ में भ्रष्टाचार बढ़ गया हैं, जिससे जनता त्रस्त हैं।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है मुलेठी

अनूप मिश्रा प्राचीन काल से लेकर अब तक मुलहठी को...

जीवनशैली द्वारा पक्षाघात का बचाव

सीतेश कुमार द्विवेदी पक्षाघात होने पर व्यक्ति अपंग हो जाता...

कैस हो शीतकाल का आहार-विहार

वैद्य पं. श्याम स्वरूप जोशी एक जमाना था जब हमारे...

खुशी का दुश्मन

एक गांव में पति-पत्नी सुखी जीवन जी रहे थे।...
spot_imgspot_img