- हमारा मेरठ स्मार्ट सिटी क्यों नहीं ?
जनवाणी ब्यूरो |
मेरठ: वेस्ट यूपी का मेरठ को हृदय कहा जाता है, लेकिन दूसरे शहरों से विकास में पीछे क्यों हैं? वाराणसी, आगरा, लखनऊ जैसे सिटी से भी मेरठ पीछे हैं, जबकि सर्वाधिक राजस्व सरकार को क्रांतिधरा दे रहा है, फिर भी क्यों पिछड़ रहा हैं, यह बड़ा सवाल है। अफसर यह कहकर पीठ थपथपा रहे है कि हम प्रोग्रेस कर रहे हैं।
रैंकिंग के मामले में भी क्रांतिधरा पिछड़ा हुआ है। कहा जा रहा है कि करोड़ों की अमृता योजना शहर में चल रही हैं, लेकिन काम कहीं दिखाई नहीं देता। टेंडर प्रोसेस में होना बताया जा रहा है। जिस तरह से पहले दिन सड़क बनाई जाती हैं, अगले दिन ही सड़क धंस जाती हैं। क्या ऐसे स्मार्ट सिटी बनेगा शहर, कहना आसान हैं, लेकिन धरातल पर काम नहीं दिख रहा है।
जनपद से भाजपा के दो राज्यसभा सांसद हैं, एक निर्वाचित सांसद, फिर छह विधायक भाजपा के हैं, लेकिन इसके बावजूद सिटी स्मार्ट क्यों नहीं? यह बड़ा सवाल है। शहर के विकास को लेकर इतने उदासीन क्यों हैं भाजपा सांसद व विधायक?
यूपी व केन्द्र में भाजपा की सत्ता हैं, फिर भी विशेष पैकेज शहर को क्यों नहीं दिला पा रहे हैं जनप्रतिनिधि? केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के कई प्रोजेक्ट शहर को जोड़ने वाले अवश्य चल रहे हैं, लेकिन सिटी के भीतर कोई बड़ा कार्य इस सरकार में नहीं हुआ।
पानी निकास का कोई स्थाई समाधान नहीं हुआ। पार्किंग की बड़ी समस्या हैं, जिसकी तरफ से आंखें मूंदे हैं सिस्टम। कूड़ा निस्तारण का प्लान तो बना, लेकिन जमीन पर उतरते-उतरते एक वर्ष लग गया, अभी भी कूड़ा निस्तारण सिस्टम पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहा है। इन तमाम मुद्दों को लेकर ‘जनवाणी’ हमारा मेरठ स्मार्ट क्यों नहीं? के मुद्दे को लेकर बनेगा आपकी आवाज।
यहां प्रोजेक्ट बनाये जाते हैं फाइलों के लिए, नेताओं की बेरूखी से नहीं बना स्मार्ट मेरठ
अपना मेरठ अगर स्मार्ट सिटी नहीं बन पा रहा है तो इसके लिए यहां के सरकारी विभागों के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी कम कसूरवार नहीं है। जनता भारी भरकम टैक्स देने के बाद भी समस्याओं के मकड़जाल में उलझी है तो नेताओं को शहर की समस्याएं नजर ही नहीं आ रही हैं।
हां गाहे-बेगाहे यह नेता शहर में चल रही केन्द्र की योजनाओं पर अपना फोटोसेशन कराने जरूर पहुंच जाते हैं, लेकिन अपने शहर की समस्याओं का निदान कराने की इन नेताओं को फुर्सत नहीं है। कहने को यहां सत्तारूढ़ पार्टी के तीन-तीन सांसद और छह विधायक हैं, लेकिन यह भी सिर्फ दिखावे के रह गये हैं।
शहर में जैसे-जैसे विकास की योजनाएं मूर्तरूप में आ रही हैं। वैसे वैसे जाम भी सबसे बड़ा नासूर बनती जा रही है। शहर की कोई भी सड़क ऐसी नहीं है, जहां जाम का झाम न फैला हो। दिल्ली रोड पर तो वाहन पार्क करना बहुत दूर वाहन सही सलामत जाम से बचाकर ले जाना ही अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।
यदि इस शहर में मल्टीलेवल पार्किंग बन जाती तो आज सूरत कुछ और होती और जाम के झाम से भी बड़े पैमाने पर राहत मिल सकती थी। शहर के चारों तरफ हाइवे का जाल बिछाया जा रहा है, लेकिन शहर के चौराहों और मुख्य मार्गों पर रोजाना लगने वाले जाम से निपटने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई जा रही है।
हर बार कमिश्नर की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में जाम को खत्म करने को लेकर प्लान तैयार किए जाते हैं। उस समय कभी भी ऐसा जवाब नहीं दिया जाता है, लेकिन जमीन न मिलने का कारण ऐसा बताया गया है जैसे कोई दूसरा विभाग इन सुविधाओं के लिए जमीन खोजेगा।
यही हाल रहा तो आगे आने वाले वर्षों में शहर में पार्किंग की सुविधा न होने से जाम की समस्या विकराल रूप ले लेगी। वहीं, नगर निगम की ओर से भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर बार अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जाता है लेकिन सड़क से एक इंच भी अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है। ऐसे में जाम और अतिक्रमण की समस्या शहरवासियों को यूं ही झेलनी पड़ेगी।
तीन स्थानों पर था मल्टीलेवल पार्किंग का प्रस्ताव
कैंट बोर्ड में जब सपा नेता स.परविन्दर सिंह ईशु नामित सदस्य थे, तब उन्होंने शहर में मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का प्रस्ताव सबसे पहले रखा था। इसके लिए शासन स्तर से दो करोड़ रुपये का बजट मंजूर होकर धनराशि एमडीए के पास आ भी गई थी।
पहले घंटाघर स्थित टाउन हॉल में पार्किंग बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। एमडीए के पूर्व उपाध्यक्ष और नगर आयुक्त ने संयुक्त निरीक्षण कर नगर निगम परिसर में भी मल्टीलेवल पार्किंग का प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन इसका यह कहकर विरोध हो गया कि पार्किंग के लिए खुदाई होने से ऐतिहासिक टाऊन हॉल की इमारत को खतरा होगा।
फिर राजकीय इंटर कालेज के मैदान तथा पुराना हापुड् अड्डा पर बीएवी इंटर कालेज के क्रीड़ा स्थल में मल्टीलेवल पार्किंग का प्रस्ताव दिया गया। यह स्थान भी शहर के भीतर ही होने से बड़ी संख्या में जनता को ही सुविधा मिलती, लेकिन शिक्षण संस्थान होने की वजह से दोनों ही जगह पार्किंग के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली।
सबसे आखिर में आबू लेन पर दास मोटर्स के पीछे काठ का पुल पर नाले के ऊपर मल्टीलेवल पार्किंग बनाने की योजना पूर्ण रूप से तैयार हो गई। ब्लू प्रिंट तक बना लिया गया। फिर इसमें कैंट बोर्ड का पीपीई एक्ट आड़े आया। हालांकि रक्षा मंत्रालय तक यह प्रस्ताव भेजा गया लेकिन वहां से इसे खारिज कर दिया गया।
नतीजतन रकम शासन को वापिस भेज दी गई तथा मल्टीलेवल पार्किंग के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया।
नगर निगम में तैयार हो रहा है प्रस्ताव
मल्टीलेवल पार्किंग का सपना अब पूरा होने की एक बार फिर से उम्मीद जगी है। इस बार राज्य स्मार्ट सिटी मिशन के अनुसार शहर में मल्टीलेवल पार्किंग का प्रस्ताव नगर निगम द्वारा तैयार किया जा रहा है। डिजाइन बनाकर देखा गया है।
जल्द ही इस प्रस्ताव पर आगे काम पूरा किया जाएगा। बताते हैं कि नगर निगम ने अपनी टाऊन हॉल में ही खाली पड़ी जमीन पर वाहनों के लिए मल्टीलेवल पार्किंग बनाने की योजना बनाई हैं। राज्य स्मार्ट सिटी मिशन के तहत करीब 40 करोड़ रुपये शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए मिले थे।
आधुनिक तरीके की होगी पार्किंग
निगम के मुताबिक मल्टीलेवल पार्किंग को बड़े ही आधुनिक तरीके से बनाया जाएगा। इसके तहत एडवांस तकनीकि से मल्टीलेवल पार्किंग तैयार की जाएगी। यह मल्टीलेवल पार्किंग छह मंजिल की होगी। इसमें दो मंजिल भूमिगत और चार मंजिल ऊपर होंगी। सहायक नगरायुक्त ब्रजपाल सिंह का कहना है कि जाम से निपटने के लिए नगर निगम कवायद में जुटा है।
पार्किंग न होने से जाम की समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में मल्टीलेवल पार्किंग बन जाने से घंटाघर के आसपास क्षेत्र में लगने वाले जाम की समस्या भी काफी हद तक दूर हो जाएगी। साथ ही वर्षो से चली रही जाम की समस्या से लोगों को राहत मिलेगी।