- कृषि भूमि की कम हो रही उर्वरा शक्ति, कृषि उत्पादों में पोषक तत्वों की कमी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ/मोदीपुरम: भारत जैसे विकासशील देशों में जीव का उपार्जन का मुख्य आधार कृषि है। कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए अनियंत्रित कीटनाशकों का प्रयोग कृषि पशुओं और पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है। कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है, कृषि उत्पादों में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है।
कीटनाशकों का पशुओं में प्रतिदिन की दिनचर्या के साथ प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ रहा है। मनुष्य में कीटनाशक प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाला है। आंख व त्वचा में जलन कमजोरी लकवा कैंसर व अनेक बीमारियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
कितना स्कोर के प्रभाव को कम करने के लिए जन जागरूकता वह संपर्क कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है। आवश्यकता अनुसार ही वैज्ञानिक निर्देशों के अनुसार कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए योग्य कीटनाशकों का प्रयोग ही किसी प्रजाति विशेष के पौधों में करना चाहिए कीटनाशकों के जगह अन्य विकल्पों जैसे नियम व उत्पाद तंबाकू पाउडर आज के प्रयोग को प्रोत्साहित कर जैविक खेती को महत्व दिया जाना चाहिए।
कृषि उत्पादों पर बढ़ी निर्भरता
भारत में बढ़ती आबादी के पोषण के लिए कृषि उत्पादों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात भुखमरी समस्या को निपटने के लिए अधिक खाद्यान्न उत्पादन के लिए कीटनाशकों का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में सर्वप्रथम कीटनाशक का प्रभाव 1958 केरल में देखा गया था।
कीटनाशक का प्रयोग कीटों को नष्ट करने पौधों को बीमारियों से बचाने के लिए किया जाता है। इसके अंतर्गत मुक्ता हरवी साइट फफूंदी नाशक कीटाणु राशि आते हैं। कीटनाशक का दीर्घकालिक और अल्पकालिक प्रभाव कृषि पशुओं और मनुष्य के साथ-साथ पर्यावरण पर पड़ता है।
पेस्टिसाइड संक्रमण का मार्ग
पेस्टिसाइड्स योग के पश्चात मुख्य रूप से जल भोज सामग्री सब्जियों वाह वायु के माध्यम से फैलता है। मनुष्य में यह मुख्य रूप से तीन मार्ग स्वास मुख व त्वचा के माध्यम से प्रवेश करता है। विकासशील देशों में सीधे संपर्क द्वारा भी संक्रमण देखा गया है। जानवरों में कीटनाशक कटे हुए त्वचा वासवास के माध्यम से प्रवेश करता है।
भूमिगत जल भी कीटनाशक से प्रभावित होता है। योग में होने वाले कीट नासिका केवल पांच से 10% भाग ही प्रभावी होता है, बल्कि जल व वायु द्वारा पर्यावरण में फैल जाता है। पर्यावरणीय कितना सी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जब तंत्र को प्रभावित करता है।
पेस्टिसाइड का कृषि पर प्रभाव
मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखने में सुख जीवों का अत्यंत महत्व है। कीटनाशकों से ज्यादा प्रयोग से शुभ श्री भी नष्ट होने लगते हैं। मृदा में कितना सी प्रयोग के कारण खनिज तत्वों की कमी विशालता का बंदा आवश्यक जीवाणुओं का सफाया व उर्वरा शक्ति की कमी जैसी समस्याएं आती है।
कीटनाशकों और पेस्टिसाइड का जानवरों पर प्रभाव
पशुओं में चारा पानी व कीटनाशक के सीधे संपर्क में आने के प्रभाव का अध्ययन किया गया। जिसमें देखा गया कि जानवरों के शरीर में लगने वाले जो व कीटों को नष्ट करने के लिए उपयोग होने वाली दवाइयां भी मुख्य मार्ग से शरीर में प्रवेश करती हैं। डीडीटी व बीएससी पेस्टिसाइड सर्वाधिक रूप से दाना वाचारा माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।