- रोहटा रोड पर कब्रिस्तान के बराबर में चल रहा था अवैध निर्माण
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रोहटा रोड पर कब्रिस्तान के बराबर में चल रहे अवैध निर्माण पर आखिर मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) की निगाह पड़ ही गई। मेडा इंजीनियरों की टीम शनिवार को मौके पर पहुंची तथा व्यवसायिक निर्माण पर सील लगा दी। सील लगने के बाद भी अवैध निर्माण चलता रहा। अब तक इसमें कोई कार्रवाई प्राधिकरण इंजीनियर ने नहीं की थी। आखिर निर्माण को लिंटर डालने तक कैसे चलने दिया? ये भी बड़ा सवाल हैं। इसमें क्या प्राधिकरण उपाध्यक्ष जेई के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे।
दरअसल, रोहटा रोड पर कब्रिस्तान से सटकर अवैध निर्माण व्यापक स्तर पर चल रहा हैं। पहले कब्रिस्तान की भूमि में दुकानों का निर्माण कर दिया गया, कहा गया कि ये आपसी समझौते से किया गया था। हालांकि इसका कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं था। इससे सटकर एक व्यवसायिक निर्माण वर्तमान में चल रहा हैं। इसका आवासीय में मानचित्र स्वीकृत हैं, लेकिन निर्माण व्यवसायिक कर दिया गया हैं। अवैध निर्माण भी मानचित्र से कहीं ज्यादा चल रहा हैं।
इसकी भी लोगों ने जांच कराने की मांग की हैं। फिर व्यवसायिक निर्माण करने की अनुमति किसने दी? यहीं तो खेल शहर भर में चल रहा हैं। लोग आवासीय के मानचित्र स्वीकृत करा रहे हैं और निर्माण व्यवसायिक का कर रहे हैं। ऐसा करके प्राधिकरण को राजस्व का भी नुकसान हो रहा हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है रोहटा रोड का ये अवैध निर्माण। शनिवार की सुबह प्राधिकरण की टीम मौके पर पहुंची तथा निर्माण पर सील लगा दी।
सील लगाकर मेडा की टीम तो चली गई, लेकिन इसके बाद भी निर्माण चलता रहा। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा हैं, जिसमें निर्माण चलते हुए दिखाया जा रहा हैं। बाहर सील लगी हैं तथा दीवार और लिंटर डालने की पूरी तैयारी चल रही हैं। निर्माण रोकने के लिए इंजीनियरों की तरफ से थाने में भी कोई तहरीर नहीं दी गई, जिसके चलते निर्माण नहीं रुक पा रहा हैं। ये दुस्साहस ही कहा जाएगा कि अवैध निर्माणकर्ता मेडा का कोई खौफ नहीं मान रहा हैं।
पहले भी इस निर्माणकर्ता ने बारह दुकानों का इसी तरह से अवैध निर्माण किया था। निर्माण रोका ही नहीं और लिंटर डाल लिया। वर्तमान में वो दुकान बनकर खड़ी हैं, उस पर भी कोई कार्रवाई प्राधिकरण की तरफ से नहीं की गई। इसमें भी जब लिंटर तक दीवार पहुंच गई, उसके बाद ही प्राधिकरण इंजीनियरों ने सील की कार्रवाई की। वो भी ‘जनवाणी’ में खबर प्राकाशित होने के बाद ही इंजीनियरों की नींद टूटी।