- आयुक्त और नोडल अधिकारी के निर्देश के बावजूद शासन की योजनाओं को लगाया जा रहा पलीता
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शत-प्रतिशत गोवंश को संरक्षित करने के लिए शासन स्तर से बनाई गई नई नीति को लागू हुए एक पखवाड़े की अवधि बीत जाने के बावजूद सड़कों और मुख्य मार्गों पर निराश्रित गोवंश की भरमार है। हालांकि इसके लिए स्थानीय निकाय और ग्रामीण क्षेत्र में ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों समेत छह विभागों को संयुक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन विभागों के संयुक्त दस्ते को जिम्मेदारी दी गई है कि निराश्रित गोवंश को आश्रय स्थलों में पहुंचने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। इसके बावजूद महानगर, कैंट और देहात क्षेत्र में निराश्रित गोवंश हर ओर देखा जा सकता है।
गौरतलब है कि प्रदेश भर में एक नवंबर से 31 दिसंबर तक दो महीने का एक विशेष अभियान चलाने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की ओर से सभी जिलों में शासन आदेश जारी किया गया है। जिसमें अवगत कराया गया है कि निराश्रित गोवंश संरक्षण एवं भरण पोषण के लिए सरकार की ओर से विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में अब तक 12 लाख से अधिक निराश्रित गोवंश को विभिन्न आश्रय स्थलों-केन्द्रों में संरक्षित किया जा चुका है।
आदेश में यह माना गया कि अभी भी करीब दो लाख निराश्रित गोवंश निराश्रित अवस्था में है, जिसके लिए एक नवंबर से 31 दिसंबर तक 60 दिन का विशेष अभियान हर जिले में चलने के आदेश जारी किए गए। गोवंश को संरक्षित करने के इस अभियान की गंभीरता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है, कि शासन ने छह विभागों को इस काम के लिए संयुक्त टीम बनाने के आदेश जारी किए हैं।
जिनमें पंचायती राज विभाग, ग्राम विकास विभाग, राजस्व विभाग, नगर विकास विभाग, गृह विभाग और पशुधन विभाग के अधिकारी शामिल किए गए हैं। हर जिले में विकास खंड वार तहसील वार इन विभागों की टीम बनाकर शत-प्रतिशत निराश्रित गोवंश को आश्रय स्थलों में संरक्षित करने का अभियान चलाने काम कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है,
इसके लिए।नगरीय क्षेत्र में नगर आयुक्त और ग्रामीण क्षेत्र में सीडीओ को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इस अभियान को शुरू किए दो सप्ताह का समय गुजर गया है, इसके बावजूद मेरठ महानगर और कैंट क्षेत्र में अधिकांश सड़कों पर निराश्रित गोवंश दिखाई दे रहा है।
इन क्षेत्रों में काली पलटन मंदिर क्षेत्र, गांधी बाग क्षेत्र, सदर थाना क्षेत्र, रोडवेज क्षेत्र, केसरगंज, मेहताब क्षेत्र, मैट्रो प्लाजा क्षेत्र, हापुड़ स्टैंड क्षेत्र, सोहराब गेट क्षेत्र, नौचंदी क्षेत्र, लालकुर्ती क्षेत्र समेत महानगर और देहात क्षेत्र के विभिन्न इलाके शामिल हैं। अधिकारियों की यह लापरवाही उस स्थिति में सामने आ रही है,
जबकि मंडलायुक्त सेल्वा कुमारी जे और शासन से नामित मंडलीय नोडल अधिकारी डा. नीरज गुप्ता बीती आठ नवंबर को आयुक्त सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में निराश्रित गोवंश संरक्षण अभियान गति को बढ़ाने के लिए निर्देश दे चुके हैं। इस समीक्षा बैठक में कहा गया कि मंडल के 9000 निराश्रित गोवंश को संरक्षित करने के लिए जारी शासनादेशों के अनुसार सभी खंड विकास अधिकारी एवं स्थानीय निकायों में अधिशासीय अधिकारी/नगर आयुक्त, ग्राम्य विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, गृह विभाग, पशुपालन विभाग, राजस्व विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों को सम्मिलित करते हुए निराश्रित गोवंश को पकड़ने के लिए टीम का गठन किया जाए।
पकड़े गये संरक्षित गोवंश की दैनिक सूचना उपलब्ध कराई जाए। नगर निगम एवं नगर निकाय के शहरी क्षेत्र में कैटिल कैचर की व्यवस्था सात दिन में सुनिश्चित की जाए। इसके बावजूद मेरठ महानगर, कैंट और देहात क्षेत्र में निराश्रित गोवंश की संख्या में कोई कमी महसूस नहीं की जा रही है। लोगों का कहना है कि जो टीम गोवंश को पकड़ने के लिए आती है, उसका ध्यान केवल दूधारू गाय पर अधिक होता है। जिसे पशुपालक सुबह से शाम तक सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं।
ऐसे लोगों से टीम उगाही करने का काम जरूर कर लेती है। इस बारे में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अखिलेश गर्ग का कहना है कि गो संरक्षण विशेष अभियान के अंतर्गत पूर्व में 600 से अधिक गोवंश को संरक्षित करते हुए गोशालाओं में भेजा जा चुका है। वर्तमान स्थिति के बारे में वे कार्यालय खुलने के बाद अपडेट दे सकेंगे। वहीं नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरपाल सिंह का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र से अभियान के दौरान अभी तक 75 गोवंश को संरक्षित किया गया है। कैंट क्षेत्र में घूम रहे गोवंश को संरक्षित करने में उन्होंने यह कहकर असमर्थता जताई कि यह उनके कार्यक्षेत्र से बाहर है।