Thursday, April 18, 2024
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रात का जश्न मौत में बदला, तीन लोगों की हुई मौत

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  • नए साल का जश्न के बाद कोयले की गैस से पति, पत्नी और बेटी की मौत

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: टीपी नगर थाना क्षेत्र के शंभू नगर में नए साल का जश्न और बर्थडे मनाने के बाद नेपाली परिवार कमरे में भरी गैस से मौत के मुंह में समा गया। चार साल की बेटी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने तीनों लोगों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

शंभू नगर निवासी व्यवसाई आलोक बंसल के घर में नेपाल निवासी 38 वर्षीय चंदर, 35 वर्षीय राधा और 4 वर्षीय अंजली रहते थे। नेपाली चंदर इनके घर में खाना बनाने का काम करता था। जबकि उसकी पत्नी घरेलू कामकाज करती थी। पुलिस ने बताया कि बीती रात मकान मालिक आलोक बंसल के बेटे ने कैंप फायर का आयोजन किया था।

रात जब नए साल का जश्न और बर्थडे पार्टी खत्म हुआ तो नौकर चंदर वहां से लकड़ी के कोयले और जलता हुआ कोयला तसला में रख कर लाया। तेज सर्दी के कारण चंदर ने कमरा अंदर से बंद किया और परिवार सुबह पांच बजे के करीब सो गया। रविवार की शाम चार बजे के करीब आलोक बंसल के घर काम करने वाली नौकरानी को चंदर को जगाने के लिए भेजा। नौकरानी ने आवाज लगाई तो कोई जवाब नहीं मिला।

बाद में पड़ोसियों को बुलाकर कमरे के बाहर लगी जाली को तोड़ा गया और दरवाजा तोड़कर जब अंदर घुसे तो चंदर और उसकी पत्नी मृत पड़ी हुई थी, जबकि बेटी अंजली तड़प रही थी। मकान मालिक ने पुलिस को सूचना दी। बेटी की अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस ने तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

बेटी का बर्थडे मना कर सोए थे

शंभू नगर में नेपाली नौकर के परिवार के खात्मे की कहानी खुशियों के सागर से निकल कर आई थी। परिवार ने अपनी लाडली बेटी का बर्थडे भी मनाया था। पूरा परिवार जश्न मनाने के बाद सो गया था। कमरे में तसले में जल रहे कोयलों ने मौत की पटकथा लिखनी शुरू कर दी थी। सर्द हवाओं के कारण कमरे को सील पैक कर दिया गया था। थोड़ी देर में कमरे में धुआं भर गया और उससे निकली गैस ने जानलेवा रुख अपनाया और दंपति को मौत के मुंह में धकेल दिया। जबकि बेटी जिंदगी और मौत से संघर्ष करती रही। जब दरवाजा तोड़ा गया तो अंजली तड़प रही थी।

मम्मी कहते कहते टूटी जिंदगी की डोर

जैसे ही चार साल की अंजली को केएमसी अस्पताल लाया गया उस वक्त उसकी सांसे चल रही थी और वो तड़प रही थी। उसके मुंह से धीमी आवाज में मम्मी निकल रहा था। उस वक्त उसकी मौत से पहले की आवाज को सुनने को कोई तैयार नहीं था। उसकी जान बचाने के लिए उसे वेंटीलेटर पर भी रखा गया लेकिन दो घंटे के अथक प्रयास के बाद भी उसे बचाया नही गया।

तीन लोगों की मौत, आंसू बहाने वाला नहीं

इससे दुखद और क्या होगा कि एक परिवार का दुखद अंत हो गया और आंसू बहाने वाला कोई नहीं था। पुलिस ने नेपाली परिवारों से संपर्क किया और एक भतीजे से संपर्क किया और उसे आने को कह दिया। वहीं आसपास कोठियों में काम करने वाले नेपाली लोगो से संपर्क किया गया लेकिन कोई भी चंदर का करीबी नही निकला। पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती है कि नेपाल के इस परिवार का किया जाए।

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