सरसों को बोनी के लिए क्षेत्र में उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का प्रयोग करें। बारानी क्षेत्र में सरसों की बुवाई अक्टूबर में तक एवं सिंचित क्षेत्र में इस माह के अंत तक बुवाई करें। जहां पलेवा करके बुवाई की जानी हो वहां प्याजी की रोकथाम हेतु पेंडीमिथालीन 1 लीटर/एकड़ बुवाई पूर्व नमीयुक्त भूमि में मिला दें। सरसों उपचारित बीज को 30 से. मी. कतारों में 5 से.मी. गहरा डालें। सिफारिश के अनुसार प्रारंभिक उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें। अंकुरण के 7-10 दिनों के अंदर आरा-मक्खी, पेंटेड बग के नियंत्रण के उपाय करें। निंदाई एवं छटाई कर सरसों के पौधे से पौधे की दूरी 8-10 से.मी. रखें।
चने व सरसों की मिश्रित फसल
नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक मसूर, अलसी एवं दूसरे फली हेतु मटर की बोनी करें। चने व सरसों की मिश्रित फसल बोयें। चने की बुवाई असिंचित अवस्था में अक्टूबर अंत तक कर दें। बारानी क्षेत्रों में प्रारंभिक उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करें। बीज जनित रोगों की रोकथाम हेतु बीज उपचार अवश्य करें।
चना बीज को राइजोबियम व पीएसबी कल्चर से टीकाकरण व ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर बुवाई करें। बुवाई के 25-30 दिन पर निंदाई करें। जौ की बुवाई के लिए उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज का प्रयोग करें। शरद कालीन गन्ने की बुवाई करें। मध्य अक्टूबर के बाद की देशी प्रजातियों की बोनी असिंचित तथा हवेली दशाओं में की जा सकती है। बरसीम गई, रिजन हरे चारे हेतु बोयें। सिंचित क्षेत्रों में गेहूं को अनुशंसित और अधिक उपज देने वाली की बुवाई करें। गेहंू की बीज उपचारित कर बुवाई करें।
गेहूं की फसल
गेहूं की बौनी किस्मों की बुवाई 3-4 से. मी. गहराई पर करें। गेहंू में प्रथम सिंचाई शीर्ष जड़ निकलने की अवस्था पर करें एवं नत्रजन उर्वरक की शेष मात्रा की आधी मात्रा सिंचाई के तुरंत बाद दें। प्रथम सिंचाई के 10-15 दिन के अंदर एक निंदाई-गुड़ाई कर खरपतवार निकालें या सिफारिश के अनुसार चौड़ी पत्ती खरपतवारनाशी दवा का छिडकाव 30 दिन के अंदर करें।
फसल के अंकुरित होते समय चूहे विशेष रूप से सक्रिय रहते है अत: चूहा नियंत्रण के कारगर प्रभावी सामूहिक उपाय करें। चने की फसल में सिंचाई उपलब्ध हो तो प्रथम सिंचाई 40-50 दिन पर करें। सरसों में पहली सिंचाई फूल आने से पूर्व करें। नत्रजन की शेष आधी मात्रा सिंचाई के तुरंत बाद दें।
सब्जियों की बुवाई
उद्यानिकी फसलों में नींबू वर्गीय फल के पौधों में कैंकर रोग की रोकथाम करें। लहसुन की बुवाई इस माह में करें। प्याज की उपयुक्त किस्मों की पौध तैयार करें। पत्तागोभी की गोल्डन एकर व प्राईड आॅफ इंडिया प्रजाति की पौध की रोपाई तैयार खेत में करें। बटन मशरूम की खेती हेतु कम्पोस्ट बनाएं। आम के थालों की सफाई करें तथा बगीचों में निराई-गुड़ाई करें।
बैंगन की बसंत कालीन फसल की रोपाई करें। टमाटर की फसल में निंदाई-गुड़ाई को एवं खरपतवार निकालें। शरदकालीन गन्ने में प्याज, लहसुन, आलू की सह-फसली बुवाई करें। जीरे की बुवाई इस माह के अंत तक करें। आर.एस.-1 तथा आर.जेड.-19 किस्म की बीज 12-15 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर के लिए उपयोग करें। बाविस्टीन 2 ग्राम से प्रति कि.ग्रा. बीज को उपचारित करें। धनिये के बीज को 3 ग्राम थायरम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोनी करें।