Monday, July 8, 2024
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एक घंटा रेस्क्यू, कुएं से सकुशल निकाला तेंदुआ

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  • रात के अंधेरे में कुएं में गिरा था तेंदुआ, राधना के जंगल का मामला
  • तेंदुआ देखने को जंगल में उमड़ी भीड़

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: राधना के जंगल में शेखमीर वाले रास्ते पर बीती रात एक तेंदुआ कुएं में गिर गया। सुबह गन्ना काटने पहुंचे ग्रामीणों को कुएं में अद्भुत जानवर की आवाज सुनाई दी। ग्रामीण कुएं पर पहुंचे तो उसमें पड़ा तेंदुआ गुर्राते हुए बाहर निकलने का प्रयास कर रहा था। ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी। मौके पर पहुंचे वनकर्मियों ने अफसरों को अवगत कराया। अफसर रेस्क्यू टीम सहित घटनास्थल पर पहुंचे लगभग एक घंटा मशक्कत के बाद रेस्क्यू टीम ने उसे जाल में फंसाकर सकुशल बाहर निकाला और पिंजरे में लेकर रवाना हो गई।

बुधवार को राधना के जंगल में शेखमीर वाले रास्ते पर कुछ ग्रामीण अपने खेतों में गन्ना काट रहे थे। तभी उन्हें अद्भुत जानवर की आवाज सुनाई दी। बकौल ग्रामीण पहले तो उन्होंने आवाज को अनसुना कर दिया, लेकिन लगातार देर तक गुर्राहट आने पर वे घटनास्थल की तरफ चले। थोड़ी दूर चलने पर ग्रामीणों को मनसाद के कुएं से आवाज का आभास हुआ। उन्होंने वहां जाकर देखा तो कुएं में तेंदुआ गिरा था जो गुर्राते हुए निरंतर निकलने का प्रयास कर रहा था। ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी।

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वन दारोगा आकाश कुमार टीम के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को हटाते हुए कुएं पर रेस्क्यू जाल लगाया। तत्पश्चात उच्चाधिकारियों को मामले की जानकारी दी। जिस पर एसडीओ अंशुल चावला रेंजर हरज्ञान सिंह के साथ घटनास्थल पर पहुंची और जिले की वन्यजीव विशेषज्ञ टीम को बुलवाया। शाम 4 बजे घटनास्थल पर पहुंची विशेषज्ञ टीम ने रेस्क्यू शुरू कर दो जाल कुएं में डाले और तेंदुए को फंसाकर सकुशल बाहर निकाल लिया। जिसके बाद टीम तेंदुए को लेकर वन अभ्यरण्य क्षेत्र हस्तिनापुर रवाना हो गई।

आग की तरह फैली तेंदुए की खबर

किसान मनसाद के कुएं में तेंदुए के गिरने की खबर पूरे गांव में जंगल में आग की तरह फैल गई। जिसके बाद तेंदुए को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। हालांकि सुरक्षा के लिहाज से मुस्तैद रही किठौर पुलिस भीड़ को खदेड़ती रही।

युवाओं ने की वीडियोग्राफी

12 घंटे से कुएं में गिरे तेंदुए की बौखलाहट में हमले से बेखौफ और पुलिस की डांट से बेपरवाह कई युवाओं ने तेंदुए की कुएं के अंदर की वीडियो तक बनाई।

क्षेत्र में तेंदुओं की भरमार सिस्टम लाचार

परीक्षितगढ़ रेंज वन अभ्यारण्य क्षेत्र हस्तिनापुर के अंतर्गत आती है। यहां शाहजहांपुर, नित्यानंदपुर, फतेहपुर, भड़ौली, जड़ौदा, महलवाला, सादुल्लापुर, असीलपुर, भगवानपुर बांगर राधना आदि गांवों में तेंदुए अक्सर दिख जाते हैं। कई बार ये पालतू पशुओं पर भी हमलावर हुए। पिछले एक दशक की बात करें तो 2014 में तेंदुआ जड़ौदा के ढाके के जंगल स्थित बाग में मास्टर आले अहमद के भैंसे पर हमले के बाद चर्चा में आया था।

उस वक्त तेंदुए ने कई चरवाहों की बकरी व कुत्तों को शिकार बनाया। संसाधनों के अभाव से जूझती वन टीम ने उस समय तेंदुए को पकड़ने का प्रयास किया लेकिन बेनतीजा रही। चंद रोज बाद ही एक तेंदुआ सपेरे द्वारा शिकार के लिए लगाए गए खटके में फंसा। तब भी जिले का वन विभाग लाचार दिखा। हालांकि दिल्ली से बुलाई वन्यजीव विशेषज्ञ की टीम ने तेंदुए को ट्रेंक्वलाइज गन से बेहोश कर पकड़ लिया था। उसके बाद फरवरी-मार्च 2021 में तेंदुए फतेहपुर, भड़ौली व असीलपुर के जंगल में दो माह लगातार दिखे,

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लेकिन अभावग्रस्त विभाग खानापूर्ति की पैट्रोलिंग करता रहा। नतीजा उस वक्त लगभग तीन तेंदुए परिवार विभाग के हाथ से निकल गए। बुधवार को राधना में फिर वन अफसर संसाधनों के अभाव का रोना रोते दिखे। गनीमत रही कि आगरा वन्यजीव विशेषज्ञ टीम की मिनी ब्रांच उन्हें मेरठ में उपलब्ध हो गई। जिसके सहारे कुएं में गिरे 8-10 माह के तेंदुए के बच्चे को करीब 16 घंटे के बाद सकुशल निकाला गया।

चिड़ियाघर की शोभा बढ़ा रहा किठौर का तेंदुआ

करीब डेढ़ वर्ष पूर्व भगवानपुर बांगर के जंगल में एक गन्ना छीलने गए किसानों को तेंदुए का एक शावक मिला। जिसे वे पकड़कर गांव ले गए। शावक का गांव में खूब दिखावा हुआ। सूचना पर तत्कालीन रेंजर जगन्नाथ कश्यप ने गांव पहुंचकर लोगों को चेताया। बताया कि शावक में मानव गंध होने पर मादा उसे अपनाती नहीं है। उन्होंने शावक खोने पर मादा के खूंखार होने का खतरा भी जताया।

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जिससे भयभीत ग्रामीणों ने शावक को जंगल में उसी स्थान पर रख दिया जहां से उठाया था, लेकिन तीन दिन की जद्दोजहद के बाद भी मादा ने अपने शावक को नहीं अपनाया। जिसके बाद वनाधिकारियों ने शावक को लखनऊ चिड़ियाघर भेज दिया। वहां उसकी अच्छे से परवरिश हुई। अब किठौर का वह तेंदुआ लखनऊ चिड़ियाघर की शोभा बढ़ा रहा है।

शाहजहांपुर में शावकों से खूब खेले बच्चे

गत वर्ष आम के सीजन में शाहजहांपुर स्थित बाग का रखवाला परिवार के चार किशोरों को बाग में छोड़कर घर खाना खाने चला गया। इस बीच किशोरों को पड़ोस के बाग में तीन शावक दिखे। जिन्हें बच्चों ने पालतू जानवर मानकर रस्सी से बांध लिया और कई घंटे उनसे खेले। वापस लौटने पर रखवाले ने अद्भुत जानवर देख वन विभाग को सूचना दी। वनकर्मियों ने शावकों को मादा से मिलाने का काफी प्रयास किया, लेकिन सफलता न मिली जिसके बाद शावकों को हस्तिनापुर वन अभ्यरण्य क्षेत्र में भेजा गया।

अब मादा पर निगाहें

रेंजर हरज्ञान सिंह ने बताया कि राधना के ग्रामीणों ने दो दिन पूर्व इसी जंगल में मादा तेंदुआ देखी थी। जिसके पदचिह्न भी देखे गए हैं। अब वनकर्मियों की नजर मादा तेंदुए पर है। रेंजर ने बताया कि पकड़ा गया तेंदुए का शावक 2-3 माह का है। शावक के खोने पर मादा तेंदुए के खूंखार होने की प्रबल आशंका है।

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