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चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग होते ही परिजनों और मोहल्ले में खुशी का माहौल बना
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चंद्रयान ज्वाइंट से लेकर आकाश गंगा में छोड़ने तक निभाया शितीशा और अरीब ने अपना फर्ज
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर/खतौली: जिले का युवा दुनियाभर में अपनी प्रतीभा की छाप छोड़ रहे हैं। ऐसा ही एक नाम हैं अरीब अहमद जनपद के छोटे कस्बे की माटी में जन्मे अरीब आकाश में चंद्रयान 3 का हिस्सा बनकर भारत की सफलता के साक्षी बने हैं। वह चंद्रयान-3 की लाचिंग टीम का हिस्सा रहे हैं।
उन्होंने चंद्रयान-3 के निर्माण से लेकर अंतरिक्ष में छोड़ने तक की जिम्मेदारी को जिम्मेदारी से निभाया है। अब चंद्रमा पर भारत द्वारा विभिन्न खोज करने के लिये बुधवार की शाम चंद्रयान 3 ने चंद्रमा पर सफल लैंडिंग कर ली है। इस सफलता के बाद अरीब के परिजनों में खुशी का माहौल बन गया और मोहल्ले के लोगों ने अरीब के परिजनों को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई है।
खतौली के मोहल्ला मिट्ठुलाल निवासी काजी महताब जिया के इकलौते पुत्र अरीब अहमद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में इंजीनियर पद पर वैज्ञानिक हैं। जिनकी वर्ष 2021 से तैनाती चेन्नई के श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष परीक्षण केंद्र पर हुई थी। यहीं पर चंद्रयान-3 का निर्माण किया गया है।
अरीब के मुताबिक, वह चंद्रयान 3 निर्माण की सैटेलाइट टीम का हिस्सा बना हैं। इसके अलावा दूसरी टीम प्रोजेक्ट कार्य करती है। चंद्रमा पर अभी तक भारत एक भी सफल परीक्षण नहीं कर पाया है, मगर इस बार इसरो की पूरी टीम ने कड़ी मेहनत की है। जिसका परिणाम चंद्रयान-3 का सफल परीक्षण है। चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल साफ्ट लैडिंग को लेकर कड़ी मेहनत की गई थी।
अरीब बताते हैं कि लाचिंग से कई दिन पहले राकेट के चारो ओर पांच किलोमीटर का क्षेत्र खाली करा लिया गया था। पूरा मोहल्ला अरीब के घर पर उसके परिजनों के साथ चंद्रयान 3 की लाइव लैंडिंग देख रहा था। बेटे की इस बड़ी सफलता पर पिता काजी महताब जिया खुशी से गदगद है, उधर अरीब की सफलता पर खतौली के गणमान्य लोगों ने उसके घर पहुचकर परिजनों को बधाई दी है।
मुजफ्फरनगर की बेटी शितीशा भी चंद्रयान-3 की रही हिस्सा
मुजफ्फरनगर शहर के अवध विहार निवासी जैन कन्या इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ. कंचन प्रभा शुक्ला की बेटी शितीशा भी चंद्रयान-3 का हिस्सा रहीं। इसरो में 2017 से कार्यरत शितीशा चंद्रयान-2 और गगनयान मिशन की इलेक्ट्रॉनिक्स विशेषज्ञ टीम में रहीं है। उनकी टीम ने लैंडर का निर्माण किया। जवाहर नवोदय विद्यालय बघरा की छात्रा रहीं शितीशा ने मदन मोहन मालवीय कॉलेज गोरखपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पिता शरद वाजपेई जिला ग्राम्य विकास अभिकरण में बतौर प्रोग्रामर कार्यरत हैं। बहन श्रेयसी वाजपेई एयर अॅथारिटी ऑफ इंडिया में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के पद पर कार्यरत हैं।
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