Friday, March 14, 2025
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दाम बढ़ने की अफवाह में पेट्रोल पंपों ने किया खेल

  • टंकियां भरवाने लगे लोग, पेट्रोल पंपों ने नो स्टाक दिखाया
  • डीएम ने दिये डीएसओ को कार्रवाई के निर्देश
  • तेल कंपनियों ने नहीं बढ़ाये दाम, अफवाह से परेशान हुए लोग

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: विधानसभा चुनाव के सातवें चरण का मतदान पूरा होते ही शहर में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने की अफवाह ने लोगों को परेशान कर दिया। इसका फायदा शहर के तमाम पेट्रोल पंपों ने उठाया और नो स्टाक कहकर लोगों को लौटा दिया। रात नौ बजे के बाद जब तेल कंपनियों ने दाम न बढ़ाने के संकेत दिये तब जाकर लोगों को चैन मिला। वहीं जिलाधिकारी के बालाजी ने इस संबंध में डीएसओ को चिन्हित करके पेट्रोल पंपों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिये है।

सातवें चरण का मतदान खत्म होते ही अफवाह उड़ने लगी कि मंगलवार से पेट्रोल और डीजल के दामो ंमें दस से पन्द्रह रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो जाएगी। इसके पीछे यूक्रेन में चल रहे युद्ध को कारण बताया गया। इस तरह की अफवाह उड़ते ही पेट्रोल पंपों पर लोग ड्रम और गाड़ियां लेकर पहुंचने लगे और तेल का स्टाक करने की कोशिश करने लगे। कई पेट्रोल पंपों के स्टाफ ने मौके का फायदा उठाते हुए ग्राहकों को कहना शुरु कर दिया तेल खत्म हो गया है।

कई पंपों पर लोगों की झड़पें भी हुई। अचानक शहर में अफवाह उड़ने की खबर जब डीएम के बालाजी को मिली तो उन्होंने जिला आपूर्ति अधिकारी को बुलाकर सख्त निर्देश दिये कि जिन पेट्रोल पंपों ने नो स्टाक की बात कहकर ग्राहकों को वापस लौटाया है उनको चिन्हित करके सख्त कार्यवाही की जाए। डीएम के आदेश के बाद डीएसओ ने पंपों के संचालकों से बात करके सख्त कार्यवाही के संकेत दिये। रात दस बजे के करीब तेल कंपनियों की तरफ से रुटीन में आने वाले मैसेजों में साफ कर दिया गया कि फिलहाल पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई वृद्धि नहीं की जा रही है।

कभी भी बढ़ सकते हैं पेट्रोलियम पदार्थों के दाम

विधानसभा चुनावों का मतदान समाप्त हो गया है। अब केवल आगामी 10 मार्च को चुनावों के नतीजे आने बाकी है। किसी भी समय पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसके पीछे रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का भी असर नजर आ रहा है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढ़ने से पहले से ही महंगाई की मार झेल रही आम जनता को और परेशानी उठानी पड़ेगी।

जानकारों का अनुमान है कि चुनावों के नतीजे आने से पहले ही पेट्रोल की कीमते बढ़ा दी जाएंगी। क्योंकि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमते दोगुनी हो चुकी है। पहले एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर थी, जो अब 120 डॉलर तक पहुंच गई है। इसका असर भी पड़ेगा, सरकार ने पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों की वजह से अंतराष्टÑीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के बाद भी पेट्रोल की कीमतो को नहीं बढ़ाया था, लेकिन अब चुनाव समाप्त हो चुके हैं और तेल के दामों में बढ़ोतरी होना तय है।

ललित गुप्ता, डिस्ट्रीब्यूटर अमूल, बिसलरी व वरिष्ठ मंत्री संयुक्त व्यापार संघ का कहना है कि कच्चे तेल की कीमते बढ़ने से हर चीज पर असर पड़ेगा, आने-जाने से लेकर माल की ढुलाई, किराए आदि बढ़ने से हर चीज की कीमत बढ़ेगी। इसका सीधा असर मध्यमवर्गी परिवारों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। अमूल के हर प्रोड्क्ट की कीमत पहले ही बढ़ी है। इसका कोई समाधान नहीं है, महंगाई तो झेलनी पड़ेगी। नवीन गुप्ता, जयश्री मार्केटिंग के मालिक का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमते बढ़ने का असर साफ तौर पर नजर आने लगा है, जो आगे और बढ़ने की उम्मीद है। आम पब्लिक पर इसका सीधा असर पड़ेगा, हर वस्तु की कीमत बढ़ रही है अब तो चुनाव भी खत्म हो गए जिसके बाद महंगाई आम जनता की कमर तोड़ देगी। मीडिल क्लास जनता पर सबसे अधिक असर पड़ने जा रहा है, खानपान की चीजों की कीमते आसमान छुएंगी। सरकार को देखना चाहिए कि क्या सामाधान हो सकता है।

हरिकिशन गुप्ता, गुप्ता टूरिस्ट बस सर्विस के मालिक का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमते बढ़ने से हालात बेहद खराब हो जाएंगे। आम लोगों को अपना परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा। खाने-पीने की सभी चीजों के दाम बढ़ जाएंगे, मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए ज्यादा परेशानी होगी, क्योंकि वह रोज कमाना, रोज खाना जैसे हालातों में है, मजदूरी या नौकरी करने वालों की तनख्वाह तो बढ़ेगी नहीं। महंगाई चुनाव खत्म होने से नहीं बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़ेगी।

प्रवीण गोयल, सूरज बाथ एंड इलेक्ट्रिक के मालिक का कहना है कि सुनने में आ रहा है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी होे सकती है, इससे आम लोगों की कमर टूट जाएगी। ट्रकों के भाड़े बढ़ जाएंगे, बसों के किराए बढ़ जाएंगे। सरकार को सोचना चाहिए, अपने टैक्स में कटौती करें। जिससे किसी हद तक महंगाई पर काबू पाया जा सके। अब जीएसटी भी बढ़ाने की तैयारी है, पांच प्रतिशत स्लैब को आठ प्रतिशत लाने की योजना है। एक साथ तीन प्रतिशत टैक्स बढ़ने का असर तो पड़ेगा। इसको लेकर सरकार को सोचना चाहिए, व्यापार में अब कमाई घट रही है, नौकरी पेशा लोगों की तनख्वाह नहीं बढ़ रही है।

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