जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: यूपी का विधानसभा चुनाव नजदीक आ गया है। राजनीतिक दलों के नेताओं की छोटी-छोटी मुलाकात भी अहम मानी जा रही है। रविवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी व रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह की लखनऊ एयरपोर्ट पर मुलाकात चर्चा में आ गयी हैं। यह मुलाकात छोटी हो सकती हैं, लेकिन इसे राजनीतिक गलियारे में बेहद महत्वपूर्ण दृष्टि के साथ देखा जा रहा है। कुछ तो अवश्य है, जो रालोद व कांग्रेस के बीच कुछ पक रहा हैं।
वैसे छह माह पहले यह ऐलान हो चुका है कि सपा-रालोद एक साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन बीच में ये खबर भी आयी थी कि सपा से रालोद ज्यादा सीटें चुनाव लड़ने के लिए मांग रहे हैं, जिसको लेकर सपा-रालोद के बीच रजामंदी नहीं बन पा रही है। सपा सीटों के बटवारे को लेकर उतनी सीटें नहीं दे पा रही थी, जो रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी मांग रहे थे।
इसके बाद से ही रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी एक तरह से बार्गिर्निंग कर रहे थे। वैसे पहले भी अखिलेश यादव स्पष्ट कर चुके है कि यूपी में उनका गठबंधन रालोद के साथ रहेगा। छोटे दलों के साथ सपा गठबंधन कर रही हैं, बड़े दलों के साथ नहीं। कांग्रेस से गठबंधन की बात पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ इनकार कर दिया था। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी कमर तोड़ यूपी में मेहनत कर रही है।
रालोद का गठबंधन कांग्रेस से तो नहीं होगा, लेकिन प्रियंका गांधी के साथ जयंत चौधरी की मुलाकात का दबाव अवश्य ही अखिलेश यादव पर पड़ेगा। जो तस्वीर वायरल हुई हैं, उसमें प्रियंका गांधी व जयंत चौधरी एक कक्ष में बैठकर बातचीत कर रहे हैं। उनके साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पुत्र दीपेन्द्र हुड्डा भी मौजूद रहे।
प्रियंका गांधी व जयंत चौधरी की इस मुलाकात ने हलचल पैदा कर दी हैं। उधर, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान जारी कर कहा है कि रालोद से गठबंधन अंतिम दौर में हैं।
जल्द ही इसका ऐलान कर दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि चार्टड प्लेन से प्रियंका दिल्ली आ रही थी, तब ये मुलाकात हुई हैं। ये मुलाकात अहम मानी जा रही है, जिसके बाद राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा कर दी हैं। एक तरफ यह भी महत्वपूर्ण है कि प्रियंका गांधी व अखिलेश के बीच तल्खी बढ़ रही हैं, इस बीच में जयंत चौधरी से प्रियंका की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
हालांकि रालोद की तरफ से यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। दरअसल, रालोद वेस्ट यूपी में ताकत के रूप में उभर रहा हैं। ऐसे में रालोद पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। वेस्ट यूपी का चुनाव अहम रहने वाला हैं। क्योंकि यहां पर किसान आंदोलन ने भी भाजपा को परेशानी में डाल रखा है।