जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: तान्या मीट प्लांट के प्रस्ताव पर बोर्ड बैठक में चर्चा करने पर विवाद खड़ा हो गया है। प्रस्ताव तो रद हो गया, लेकिन कई सवाल खड़े कर गया। इसकी वास्तविकता जो भी हो, लेकिन प्राधिकरण सचिव प्रवीणा अग्रवाल ने बुधवार को स्पष्ट किया है कि मीट प्लांट का प्रस्ताव हाईकोर्ट के आदेश पर बोर्ड में रखा गया था।
एमडीए की तरफ से तो नीचले स्तर से ही मानचित्र को रिजेक्ट कर दिया गया था। क्योंकि मीट प्लांट के सामने से जो रोड गुजर रही है, उसकी चौड़ाई सात मीटर हैं, जबकि नियमानुसार 12 मीटर होनी चाहिए। इसी वजह से इंजीनियर स्तर से इस बिल्डिंग को कंपाउडिंग श्रेणी में नहीं होने की रिपोर्ट दे दी थी।
सचिव प्रवीणा अग्रवाल के अनुसार क्योंकि मामला हाईकोर्ट में चल रहा था, जिसके बाद ही बोर्ड में यह प्रस्ताव रखा गया। अब बोर्ड ने प्रस्ताव रद कर दिया हैं, इसलिए इसका जवाब हाईकोर्ट में दिया जाएगा। बता दें, इसमें 60 लाख रुपये तान्या मीट प्लांट के मालिक शादाब पुत्र यासीन की तरफ से एमडीए में जमा भी कर रखे हैं, लेकिन यह धनराशि कंपाउडिंग निर्धारित होने के बाद ही जमा करायी जाती हैं, लेकिन यह धनराशि क्यों जमा की गई हैं, इसके बारे में कुछ पता नहीं है।
एमडीए बैठक: बोर्ड ने पहले निरस्त किया, फिर लगा दी स्वीकृति की मुहर?
मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) बोर्ड की बैठक में रखे जाने वाले प्रस्तावों को लेकर अंगूली उठ रही हैं। दरअसल, जो प्रस्ताव वर्ष 2019 में हुई एमडीए बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से निरस्त कर दिया गया, वहीं प्रस्ताव 2021 में हुई बोर्ड बैठक में स्वीकृत कर दिया गया।
इसमें गलत कौन हैं? यह तो एमडीए के अफसर ही तय करेंगे, लेकिन इस तरह के प्रस्ताव से प्राधिकरण की खासी किरकिरी हो रही है। एक-दो नहीं, बल्कि इस तरह के कई प्रस्ताव बार-बार बोर्ड बैठक में निरस्त होते रहे, फिर उन्हीं प्रस्तावों को तोड़-मरोड़ कर नये रूप में बोर्उ बैठक में रखा जाता रहा। बोर्ड में रखे जाने वाले प्रस्ताव कई स्तर पर चेकिंग के लिए जाते हैं, जिसके बाद ही बोर्ड में उन्हें रखा जाता है। इसमें घालमेल क्या हो रहा हैं? यह शायद आम आदमी नहीं समझ पायेगा।
मंगलवार को एमडीए की बोर्ड बैठक थी। कमिश्नर अनीता सी मेश्राम की अध्यक्षता में चली, जिसमें ग्यारह प्रस्ताव रखे गए थे। इनमें एक प्रस्ताव 10वें नंबर का में सुपरटेक लि. की इन्टीग्रेटेड टाउनशिप का रखा गया था, जिसमें टाउनशिप की डीपीआर संशोधित करने की मांग की गई थी। बाकौल, प्राधिकरण सचिव प्रवीणा अग्रवाल बोर्ड बैठक में सुपरटेक टाउनशिप की संशोधित डीपीआर को शर्सत स्वीकृति दे दी गई है।
अच्छा है संशोधित डीपीआर को बोर्ड ने स्वीकृति दे दी, लेकिन सवाल यह है कि छह दिसंबर वर्ष 2019 को 114वीं बोर्ड बैठक में भी सुपरटेक टाउनशिप मोदीपुरम की डीपीआर संशोधित करने का प्रस्ताव बोर्ड ने रखा था। इस प्रस्ताव पर बोर्ड में विचार-विमर्श किया गया, जिसके बाद इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया था।
आखिर तब इस प्रस्ताव को पूरी जांच पड़ताल व एमडीए अधिकारियों की रिपोर्ट मंगाने के बाद बोर्ड ने निरस्त कर दिया था, तो वर्तमान में इस प्रस्ताव को एमडीए ने फिर से बोर्ड के समक्ष रख दिया। पिछले बोर्ड में प्रस्ताव निरस्त हो चुका है, उसका कहीं उल्लेख भी नये तरीके से रखे गए प्रस्ताव के बारे में नहीं किया गया।
हम गलत व सही किसी को नहीं ठहरा रहे हैं, लेकिन यह प्रस्ताव जब एक बार बोर्ड ने निरस्त कर दिया तो फिर इसे बार-बार बोर्ड में क्यों रखा जा रहा था? सुपरटेक हाउसिंग के क्षेत्र में बड़ी कंपनी हैं, यह सभी जानते हैं। आखिर इसके पीछे मंशा क्या हैं? यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
हालांकि इसी तरह का दूसरा प्रस्ताव मैसर्स सुपरटैक लि. ग्रीन विलेज हापुड़ बाइपास रोड के तलपट मानचित्र नूरनगर का व्यवसायिक भू-उपयोग को आवासीय भू-उपयोग में परिवर्तन करने का भी पहले रखा जा चुका हैं, लेकिन मंगलवार को फिर से बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया है।
वर्ष 2019 से 2021 चल रही है, फिर से इन्हीं प्रस्ताव को बार-बार बोर्ड बैठक में क्यों लाया जा रहा है। जनहित के प्रस्ताव बोर्ड में क्यों नहीं रखे जा रहे हैं?