जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मोहकमपुर स्थित फैक्ट्री में श्रमिक की मौत पर सवाल उठ रहे हैं। श्रमिक की हत्या हुई या फिर हादसा। इसी में कहानी उलझी हुई हैं। पुलिस की कहानी पर यकीन करें तो जब हादसा हुआ तो घटना पर पुलिस पर्देदारी क्यों कर रही थी? दो घंटे तक लोगों को भीतर एंट्री नहीं दी। यहीं से संदेह प्रबल हो गया।
जब आॅपरेटर की मौत हृदय गति रुकने से हुई तो फिर पत्रकारों को भी एंट्री क्यों नहीं दी गई? पुलिस व फैक्ट्री मालिक आपस में घालमेल में ही क्यों लगे रहें? यह बड़ा सवाल है। आॅपरेटर के चेहरे व शरीर पर चोट के निशान थे। जब हृदय घात हुआ तो चेहरे पर चोट कैसे आयी? जख्म पर दवाई क्यों लगाई गई? शरीर के बाकी हिस्से पर भी चोटों के निशान मिले हैं।
परतापुर थाने के मोहकमपुर दिल्ली रोड स्थित चित्रा प्रिंटर्स में कटिंग मशीन पर काम करने वाले आॅपरेटर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी। मौका-ए-वारदात में मिले निशान तो चींख-चींख कर हत्या की गवाही दे रहे हैं। शरीर पर चोटों के निशान और खून से सना चेहरा बता रहा है कि निर्मम पिटाई की गयी है।
हालांकि पुलिस हत्या की थ्योरी को खारिज करने पर तुली है। बिहार के जिला दरभंगा निवासी करीब 50 वर्षीय बताया जा रहे सुरेश साहू पुत्र हरि नारायण 10-12 साल से चित्रा प्रिंटर्स में कटिंग मशीन आॅपरेटर का काम करता था। यहां काम करने वाले अन्य लोगों के साथ ही यह भी चित्रा प्रिंटर्स के मालिकों द्वारा दिए गए कमरे में ही रहता था।
इसके बगल वाले कमरे में रहने वाले ललित व इंद्रजीत ने बताया कि रविवार सुबह इसके कमरे का गेट खुला था। आमतौर पर वह गेट बंद कर सोता था, लेकिन रविवार को खुला था। जब ललित व इंद्रजीत ने अंदर जाकर देखा तो सुरेश साहू की वहां लाश पड़ी थी। यह देखकर वह बुरी तरह घबरा गए।
मालिकों को इसकी सूचना दी। पुलिस को भी सूचना दी गयी। सूचना मिलते ही परतापुर पुलिस मौके पर पहुंची। फॉरेंसिंक टीम को भी बुलाया गया। शव का पंचनामा भरा गया, लेकिन यह सब बंद दरवाजों के पीछे किया गया। किसी को भी अंदर एंट्री नहीं दी। पुलिस मौत का कारण हार्ट अटैक बता रही है, जबकि चेहरे पर लगा खून व चोट के निशान पुलिस की थ्योरी को खारिज कर रहे हैं। शव पोस्टमार्टम को भेज दिया गया है। रिपोर्ट आने का इंतजार है।