- प्रशासन से पहली बार मिली महीने भर की अनुमति
जनवाणी संवाददाता |
फलावदा: कुतुबशाह जमालुदीन की स्मृति में लगने वाला ऐतिहासिक उर्स सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बना हुआ है।उर्स अपना गौरवमयी इतिहास दोहराता आ रहा है।इस बार साल में दूसरी मर्तबा शुरु हुए उर्स को महीने भर के लिए अनुमति मिली है।
कस्बे के जूड कब्रिस्तान में स्थित ऐतिहासिक दरगाह कुतुबशाह जमालुद्दीन श्रद्धालुओ के लिए सदियों से आस्था का केन्द्र है।कई सदी पूर्व फलावदा में कुतुबशाह जमालुद्दीन का जन्म आमिल दौलत खां के घर हुआ था।वे पैदाइशी संत हुए है। उनकी दरगाह पर साल भर जगह जगह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
अकीदतमंदों के आकर्षण का केन्द्र बनी दरगाह पर इस्लामिक माह जमादी उस्सानी की चार तारीख से वार्षिक उर्स का आयोजन भी सदियों से चला आ रहा है। उर्स का आगाज़ कुतुब शाह के दरबार पर रौशनी से किया जाता है।एक जमाने में रोशनी दीपक जलाकर की जाती थी। उस वक्त फलावदा में बिजली व्यवस्था नहीं थी। हालाकि अब उर्स बिजली की रंग बिरंगी लाइटों से जगमगाया रहता है।
उर्स की बात करे तो इस बार ऐसा संयोग ऐसा बन गया कि कुतुबशाह का उर्स साल में दूसरी बार लग रहा है। वर्ष 2023 में फरवरी माह के बाद दिसंबर में भी उर्स शुरु हो चुका है। बुजुर्ग बताते है कि यह उर्स पहले महज तीन दिन के लिए लगता था।फिर यह उर्स एक पखवाड़े तक चलने लगा।इस बार प्रशासन ने उर्स को बंपर अनुमति दी है।
उर्स के लिए इस बार 24 दिसम्बर से 25 जनवरी तक अनुमति मिली है। मेले में तमाम दुकाने, झूले आदि के अलावा मनोरंजन के साधन सजे हुए हैं। इस बार अकीदतमंद शहर के नौचंदी मेले की तरह कस्बे में महीने भर उर्स का आनंद लेंगे।। महान संत कुतुबशाह जमालुदीन की स्मृति में लगने वाला यह परंपरागत मेला अपना गोरवमयी इतिहास संजोए हुए है।
मेले को मिला अतिरिक्त पुलिस फोर्स
भीड़भाड़ की सुरक्षा के मद्देनजर अतिरिक्त फोर्स मेले में तैनात रहेगा।बकौल एसओ फलावदा राजेश कांबोज मेले में आठ दरोगा, 16 कांस्टेबल, 8 महिला सिपाही के अलावा स्थानीय पुलिस तैनात रहेगी।