जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को क्लीन चिट मिल गई है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। बताया गया है कि पर्यवेक्षकों ने जो रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी थी, उसमें राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को क्लीन चिट दे दी गई है। साथ ही कुछ नेताओं पर कार्रवाई की सिफारिश भी की है। सूत्रों ने ये भी बताया कि महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौर, शांति धारीवाल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक जयपुर में बतौर पर्यवेक्षक गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी जो रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी है, उसमें गहलोत को क्लीन चिट दी गई है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है, इस रिपोर्ट में शांतिलाल धारीवाल और प्रताप सिंह खाचरियावास पर कार्रवाई की भी अनुशंसा की गई है। कार्रवाई की सिफारिश में धर्मेंद्र राठौड़ समेत कुछ अन्य नेताओं के भी नाम हो सकते हैं।
बताया गया कि पर्यवेक्षकों ने नौ पन्नों की अपनी रिपोर्ट में पर्यवेक्षकों ने कहा, रविवार को राजस्थान में जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ, उसमें अशोक गहलोत की कोई भूमिका नहीं थी। इसका मतलब यह हुआ कि कई विधायक खुद ही सीपी जोशी के पास गए थे और वहां जाकर अपना इस्तीफा दिया था। इतना ही नहीं शांति धारीवाल के घर हुई विधायकों की मीटिंग में भी गहलोत की कोई भूमिका नहीं थी। इस रिपोर्ट में बैठक बुलाने वाले नेताओं पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। हालांकि, अभी अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन भरने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है।
गौरतलब है कि राजस्थान कांग्रेस में उस वक्त बड़ा संकट खड़ा हो गया था, जब रविवार को पर्यवेक्षक के तौर पर दिल्ली से गए माकन और खड़गे की मीटिंग में कई विधायक नहीं पहुंचे। विधायकों ने शांतिलाल धारीवाल के घर पर बैठक की थी और बाद में सीपी जोशी के पास जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया था। गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है और सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री पद देने की भी चर्चा है। लेकिन अचानक गहलोत समर्थकों ने इसे लेकर बगावत कर दिया। बगावती तेवर दिखाने वाले विधायकों का कहना था कि सचिन पायलट का चेहरा उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए मंजूर नहीं है।
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब कई कांग्रेसी विधायकों के सुर बदल गए हैं। दिव्या मदेरणा ने तो यहां तक कह दिया कि शांतिलाल धारीवाल ने उन्हें मिसगाइड किया और उन्हें मीटिंग में नहीं जाने दिया गया। सीपी जोशी को इस्तीफा दे चुके कई विधायकों का अब कहना है कि वो पार्टी आलाकमान के सभी फैसलों के साथ हैं और उनके लिए वफादार बने रहेंगे।