राजेंद्र कुमार शर्मा |
यदि आपका बच्चा जिद्दी है, तो आप इसमें अकेले नहीं हैं, कई ऐसे बच्चे हैं जो जरूरत से ज्यादा चिड़चिड़े और जिद्दी होते हैं। अक्सर मां-बाप जिद्दी बच्चे की हरकतों को लेकर काफी परेशान हो जाते हैं और उनके साथ शक्ति बरतना शुरू कर देते हैं। बच्चों को डांटना, मारना, फटकारना यह सब अपनी जगह है। ऐसा करने से बच्चे बेहतर होने की जगह और ज्यादा प्रभावित होते हैं। हालांकि, जिद्दी बच्चों को डील करना इतना भी मुश्किल नहीं है। आपको केवल कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ऐसा करने से आपको समय के साथ अपने बच्चे में सुधार देखने को मिलेगा।
बच्चों में तनाव यानी स्ट्रेस का होना। जब बच्चों के आसपास तनावग्रस्त माहौल होता है तो वह भी बच्चों को जिद्दी बना सकता है। डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों में जिद्दीपन के लक्षण नजर आने लगते है। अभिभावकों के सानिध्य के अभाव में बच्चा जिद्दी हो जाता है , क्योंकि वह अपने आप को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाता। शोध बताते है कि गर्भावस्था के दौरान जरूरत से ज्यादा स्मोकिंग, होने वाले बच्चे को जिद्दी बना सकता है। अपोजिशनल डेफिएंट डिसआॅर्डर से ग्रस्त बच्चे छोटी-छोटी बातों पर जिद करना शुरू कर देते हैं। बच्चों की जिद करने के पीछे अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसआॅर्डर नाम की समस्या भी हो सकती है, इस स्थिति के कारण बच्चा छोटे छोटे कामों पर फोकस नहीं कर पाता है। जिद्दी बच्चों के लक्षण जैसे बच्चे का चिड़चिड़ा स्वभाव, छोटी बातों पर गुस्सा करना, सबसे अलग रहना, हर बात पर बहस करना, दुर्व्यवहार करना, दूसरों की बुराई करना, अपनी बात को ही महत्व देना।
जिद्दी बच्चों को संभालना
ऐसे बच्चों को संभालना अभिभावकों के लिए एक बड़ी चुनौती होती है । क्या बार परेशानी में माता पिता उन पर चीखने चिल्लाने लगाते है जो इस समस्या को और गंभीर बना सकता है । कुछ साधारण तरीकों से ऐसे बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन लाया जा सकता है जैसे-
-ऐसे बच्चों के साथ तर्क वितर्क न करें , न ही उन्हे बहस करने का अवसर दें । उनकी बात को ध्यान से सुनें, बदले में वह भी आपकी बातों को सुनेंगे और अपनी आदत में सुधार करेंगे।
-अभिभावकों को जिद्दी बच्चों के साथ संयम से काम लेना चाहिए । गुस्सा करने की बजाय शांत रहें और बच्चों को प्यार से समझाएं। अगर आप बच्चे को डांटेंगे तो वह और ज्यादा जिद करेगा और आपकी बात नहीं मानेगा।
-बच्चों को अपना सानिध्य और समय दें। बच्चे के जिद्दी होने में उसका अकेलापन भी एक प्रमुख कारण हो सकता है। माता पिता द्वारा दिया गया समय, बच्चे के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
-बच्चे को हर मांग को पूरा न करें। कभी कभी बच्चे की जिद पूरी न करने का भी नियम बनाएं। उसे महसूस करवाएं की जिद करने से हर चीज नही मिल सकती। हर जिद को पूरा करना, समस्या को बढ़ा सकता है।
-अच्छे कार्यों के लिए बच्चे को प्रशंसा करें तथा प्रोत्साहित करें।
-बच्चों को अपनी बात को रखने का अवसर दें, हर बार अपनी बातें या मनमर्जी उस पर न थोपें।
-अनावश्यक रोक टोक की आदत से बचें। ऐसे बच्चों को बात बात पर टोकने से, जिद्दीपन की समस्या और बढ़ेगी और बच्चा आपकी अच्छी बातों को भी सुनने के लिए तैयार नहीं होगा।
-बच्चे को उसके मित्रों का साथ दे। बच्चा अपने उम्र के बच्चों के साथ खेलते, बातें करते हुए , कई व्यवहारात्मक गुण सीखता है। उन्ही में से एक है जिद न करना।
-बच्चों के मन को पढ़ने का प्रयास करें। उसके जिद करने के कारणों का अध्ययन करने की कोशिश करें , उसी के बाद कोई निर्णय लें।
– मानसिक स्थिति के कारण जिद करने की समस्या के समाधान के लिए कुशल , अनुभवी बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञ की मदद ली जा सकती है।
उपरोक्त नियमों से जिद्दीपान से ग्रस्त बच्चों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाया जा सकता है।