राहुल चौधरी |
बिजनौर/बरूकी: थाना कोतवाली देहात क्षेत्र के ग्राम बेगमपुर शादी उर्फ रामपुर निवासी रिपुदमन राजवंशी आज भी 30 जनवरी 1948 को याद करके भावुक हो जाते हैं। 30 जनवरी 1948 को ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की हत्या कर दी गई थी। उधर, रिपुदमन राजवंशी के पिता जी ने गांधी जी की सेवा की थी और बापू से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में किसी मरीज से परामर्श शुल्क नहीं लिया।
ग्राम बेगमपुर शादी निवासी रिपुदमन राजवंशी बताते हैं कि सन 1948 में वह नगीना में कक्षा तीन में पढ़ते थे। उनका स्कूल वर्तमान में जहां मुंसिफ कोर्ट स्थित है उस स्थान पर चलता था। उस स्कूल को तब तहसीली स्कूल कहा जाता था। रिपुदमन राजवंशी के पिता काशीनाथ गुप्ता महात्मा गांधी के अनन्य प्रशंसक थे।
उस समय जिस घर में वह रहते थे उस घर में बंदरों का आतंक रहता था। जब उनकी माता जी खाना बनाती थी तब एक व्यक्ति को डंडा लेकर बैठना पड़ता था। रिपुदमन राजवंशी याद करते हैं कि उस दिन वह डंडा लेकर बैठे थे और उनकी माता रोटियां बना रही थी।
तभी उनके पिता काशीनाथ गुप्ता हाँफते हुए आए और माता की रोटियों की परात में हाथ मार दिया और चिल्लाकर बोले किसी ने गांधी जी को गोली मार दी है। इसके बाद उनके पिता और माता दोनों रोने लगे। रिपुदमन राजवंशी के बाल मन पर गहरा आघात पहुंचा था।
वे आज भी पिता के उस चेहरे को याद करके सिहर जाते हैं। गांधी जी को याद करके भावुक हो जाते हैं। रिपुदमन राजवंशी बताते हैं कि उनके पिता दिल्ली के तिब्बया कॉलेज में पढ़ते थे। वे वहां आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा के छात्र थे। सन 1924 में महात्मा गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे।
उसके बाद जब वे पहली बार दिल्ली आए तब उनके विश्राम की व्यवस्था तिब्बया कॉलेज के हॉस्टल में की गई थी। उनके पिता काशीनाथ गुप्ता को गांधी जी की सेवा करने का अवसर मिला। गांधी जी ने उनके पिता काशीनाथ से वचन लिया था कि वह कभी भी किसी मरीज से परामर्श शुल्क नहीं लेंगे।
जिसका पालन उनके पिता जीवन पर्यंत करते रहे और उन्होंने कभी भी कोई परामर्श शुल्क किसी मरीज से नहीं लिया। रिपुदमन राजवंशी आज भी गांधी जी की नीति सादा जीवन उच्च विचार पर कायम है। उन्होंने अपनी भीमि राजकीय इंटर कॉलेज का निर्माण कराने के लिए दान दी। यह विद्यालय आज भी चल रहा है। वह बच्चों के बीच जाकर उनसे अपने जीवन के संस्मरण साझा करते हैं तथा उन्हें अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं।