Sunday, June 4, 2023
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रोड शो भी दे गया गलत संदेश

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  • सपा-रालोद और आजाद समाज पार्टी गठबंधन में बिखराव
  • जयंत और चंद्रशेखर नहीं आए अखिलेश यादव के रोड शो में
  • अतुल प्रधान की बढ़ी टेंशन, कितनी कामयाबी मिली, यह अभी कहना मुश्किल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सपा मुखिया अखिलेश यादव सोमवार को रोड शो करने क्रांतिधरा पर तो पहुंचे, लेकिन ये रोड शो भी गलत संदेश दे गया। सपा-रालोद गठबंधन तो बताया गया, लेकिन रोड शो में जयंत चौधरी और भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर ने भी अखिलेश के रोड शो से किनारा कर लिया, जो जाटों और दलितों में गलत संदेश गया।

जाट बिरादरी के लोग देख रहे थे कि सपा-रालोद का गठबंधन हैं, ऐसे में जयंत चौधरी इस रोड शो में आयेंगे, लेकिन जयंत चौधरी रोड शो में नहीं आये, जिसके चलते जाट बिरादरी को झटका लगा हैं। ऐसे में जाट नहीं समझ पा रहे है कि गठबंधन को वोट दिया जाए या फिर रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी के सपा से किनारे करने का वास्तवकिता के चलते सपा से मुंह मोड लिया जाए।

दरअसल, गुटबाजी तब भी हुई थी, जब सीमा प्रधान को मेयर पद का टिकट सपा मुखिया अखिलेश यादव ने दिया था। उस दौरान भी सपा के लखनऊ स्थित मुख्यालय पर पार्टी के बड़े नेताओं के बीच मुंह भाषा हो गई थी। तब ये कहा जा रहा था कि टिकट चयन के दौरान ऐसा हो जाता हैं, तमाम पार्टी नेता एकजुट हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गुटबाजी तब भी थी और अब भी दिखाई दे रही हैं। क्योंकि बड़े सपा नेताओं ने भी रोड शो से किनारा किया।

दरअसल, जयंत चौधरी और चन्द्रशेखर रोड शो में रहे होते तो सपा का वजूद बढ़ गया था। क्योंकि जाट और दलित करीब तीन लाख वोटर शहर में हैं, दोनों बिरादरी बेहद अहमियत चुनाव में रखती हैं। इसके बावजूद जयंत चौधरी और चन्द्रशेखर को रोड शो से दूर रखने का मतलब सीधे वोट प्रभावित करना हैं। पश्चिमी यूपी एक तरह से रालोद का राजनीतिक गढ माना जाता हैं।

क्योंकि जाटों में जयंत की पकड़ मजबूत हैं। इसी वजह से जयंत के रोड शो में नहीं आने पर जाटों में गलत संदेश जा रहा हैं। यही नहीं, चन्द्रशेखर की युवा दलितों में पकड़ हैं। चन्द्रशेखर भी सपा के रोड शो में नहीं आये। कहने को सपा-रालोद और चन्द्रशेखर की पार्टी का गठबंधन हैं, लेकिन धरातल पर गठबंधन का बिखराव स्पष्ट देखा जा सकता हैं।

ये रही अव्यवस्था

रोड शो में अव्यवस्था हावी रही। इस अव्यवस्थाओं के चलते अखिलेश यादव को ट्यूबवेल तिराहे पर खुले रथ से उतरकर अपनी बंद गाड़ी में बैठना भी एक वजह है। यहां से अखिलेश यादव लोगों के बीच निकले जरूर, लेकिन लोग उनका चेहरा नहीं देख पाए। अखिलेश भी जनता का अभिवंदन भी स्वीकार नहीं सके। एक विशेष सम्प्रदाय के लोगों के बीच ही अखिलेश यादव का रोड शो रखा गया। यह भी शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

हवाई पट्टी पर हुई धक्का-मुक्की

परतापुर हवाई पट्टी पर जिस दौरान पत्रकारों से बातचीत अखिलेश यादव कर रहे थे। उस दौरान सपा कार्यकर्ता बीच में घुस आए और अव्यवस्था पैदा कर दी तथा सपा जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह को अव्यवस्था फैलाने वाले कार्यकताओं को धकयाकर बाहर कर दिया गया।

बड़े सपा नेताओं ने बनाई सीमा प्रधान के निकाय चुनाव से दूरी

सपा के बड़े नेताओं में चल रही सपा विधायक अतुल प्रधान से नाराजगी को खत्म कराने के लिए सोमवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव मेरठ पहुंचे। कई बड़े सपा नेता अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान के चुनाव से दूरी बनाकर चल रहे हैं। सपा के बड़े नेताओं की ये दूरी अतुल प्रधान को बड़ी टेंशन दे रही हैं, लेकिन इस टेंशन को खत्म कराने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव मेरठ पहुंचे थे।

इसी वजह से अखिलेश ने अपना कार्यक्रम सपा के शहर विधायक रफीक अंसारी के घर पर लगाया था। उनके घर पर अखिलेश यादव 10 मिनट रुके, चाय-नाश्ता भी लिया, लेकिन नाराजगी को दूर कर गए या फिर नहीं? यह कहना मुश्किल होगा। क्योंकि अखिलेश यादव का स्वागत करने के लिए परतापुर हवाई पट्टी पर पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं किठौर से सपा विधायक शाहिद मंजूर, सिवालखास से सपा विधायक गुलाम मोहम्मद और पूर्व विधायक योगेश वर्मा, पूर्व विधायक प्रभुदयाल वाल्मीकि भी पहुंचे थे, लेकिन ये सपा के बड़े नेता सीमा प्रधान के रोड शो से गायब थे।

रफीक अंसारी का मान लेते है कि उनके घर पर अखिलेश यादव का कार्यक्रम था, इसी वजह से वह घर पर चले गए थे, लेकिन शाहिद मंजूर, गुलाम मोहम्मद, योगेश वर्मा, प्रभुदयाल वाल्मीकि जैसे दिग्गज नेता रोड शो से नदारद क्यों दिखे? अखिलेश ने खुद कमान तो संभाली, लेकिन नाराजगी दूर नहीं कर पाये। उनके रोड शो से बड़े सपा नेता नदारद थे। महापौर प्रत्याशी सीमा प्रधान के पक्ष में अखिलेश यादव पहुंचे थे।

मेरठ में बदलाव सपा करेगी, लेकिन माहौल जो सपा को टेंशन दे रही हैं, उसमें कितनी कामयाबी मिली, यह अभी कहना मुश्किल हैं। क्योंकि बड़े सपा नेताओं ने अखिलेश के इस रोड शो से किनारा ही रखा। हालांकि अखिलेश यादव के जाने के बाद शहर विधायक रफीक अंसारी ने कहा कि क्या कोई अपने वालिद से रुठता हैं। अखिलेश हमारे नेता हैं, उनसे कैसे रुठ सकते हैं।

क्योंकि नहीं पूरी ताकत से रफीक अंसारी ने चुनाव लड़ाने की बात कहीं हैं, लेकिन पूर्व विधायक योगेश वर्मा दलितों के बड़े नेता हैं, वह भी किनारा करें हुए हैं। उनका कहना है कि मवाना में चेयरमैन प्रत्याशी को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने दे रखी हैं, वहीं पर पार्टी प्रत्याशी को चुनाव लड़ा रहे हैं। बता दे, योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा इससे पहले मेयर रह चुकी हैं। उनका शहर में और दलितों में वजूद हैं। दलितों में उनको रिकॉर्ड मत भी मिले थे।

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