- मदर डेयरी वालों ने बिजरौल, चौबली, नंगला आदि में कराई थी केले की खेती
जनवाणी संवाददाता |
बड़ौत: केन्द्र सरकार की ओर से तीन कृषि कानून लागू कर दिए गए। इसमें जहां किसान एमएसपी को जोड़ने की बात को लेकर आंदोलनरत हैं। वहीं साथ ही कांट्रेक्ट फार्मिंग को वह किसानों के लिए जहर मान रहे हैं। इस कांट्रेक्ट खेती को पंजाब के किसान अपने लिए नुकसानदेह मान रहे हैं।
तीनों ही कानून को किसानों में आक्रोश है। होती भी क्यों नहीं? क्षेत्र में अधिकांश परंपरागत गन्ने की खेती होती है। कृषि वैज्ञानिकों से लेकर कई एग्री कंपनियां किसानों को दूसरी फसलों में किसानों की आंखों पर ऐसा चश्मा चढ़ा देती हैं कि वह लखपति होने के चक्कर में तुरंत निर्णय ले लेते हैं।
क्षेत्र में मदर डेयरी की ओर से करीब एक दर्जन किसानों से करीब पंद्रह हेक्टेयर जमीन पर केले की खेती कांट्रेक्ट पर करवाई। किसानों को बीज, खाद आदि के लिए दिशा-निर्देश दिए गए। फसल खरीदने की बारी आई तो कांट्रेक्टर ढ़ूंढ़े नहीं मिले। किसानों को जैसे-तैसे अपने खेत खाली कर परंपरागत गन्ने की खेती को अपनाने पर मजबूर होना पड़ा।
इस संबंध में बिजरौल निवासी यशपाल सिंह ने बताया कि मदर डेयरी की ओर से चौबली गांव में एक कार्यालय खोला गया। वहां उनके अधिकारी व अन्य लोग बैठते थे। वह समय-समय पर किसानों की गोष्ठियां आयोजित करते थे। उसे ल पता लगा तो वह अपने कई साथियों के साथ पहुंचा।
उन्हें गोष्ठी में ऐसा लखपति बनने का सपना दिखाया कि उसने बिना कुछ सोचे-समझे केले की खेती शुरु कर दी। उसके अलावा बामनौली निवासी रणवीर सिंह, चौबली गांव निवासी सतीश त्यागी, आदर्श नंगला निवासी प्रह्लाद सिंह, मलकपुर गांव निवासी मिंटू, रठौड़ा आदि गांवों में केले की कांट्रेक्ट खेती शुरु हो गई।
उन्हें एग्री कंपनी के प्रबंधक की ओर से केले बीज के रूप में जड़ दिलवाई गई। किसानों ने नकद रुपये दिलवाए गए। उन्हें केले की खेती करने के लिए टिप्स दिए गए। उन्हें जब भी बताया जाता था तो वह फल खरीदने की गारंटी दी जाती थी। फसल तैयार हो गई तो उन्होंने संपर्क किया।
सभी किसानों के मन में केवल लखपति बनने का विचार था। फल लेने के लिए संपर्क किया तो कंपनी के अधिकारी आए। उन्होंने निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जो भाव तय हुआ था। उनसे आधे भी दाम नहीं मिल पाए। इसी तरह से कुछ किसानों के खेतों में भिंडी की फसल तैयार कराई गई। जब भिंडी के खरीदने की बारी आई तो किसानों से बड़ी भिंडी के ही दाम दिए गए।
खेत में पेड़ पर लगी छोटी भिंडी को उन्होंने नहीं खरीदी। बाद में सभी को खेत में जोतना पड़ा। यशपाल सिंह से जब पूछा कि क्या दूध के व्यवसाय वाली मदर डेयरी के अधिकारी फसल का कांट्रेक्ट करवा रहे थे या किसी फर्जी एग्रो कंपनी थी।
यशपाल सिंह ने बताया कि उन्हें वह मदर डेयरी दूध के व्यवसाय करने वाले ग्रुप के लोग ही खुद को बता रहे थे। उन्होंने बताया कि जिस तरह से वह केले व भिंडी की कांट्रेक्ट खेती से बर्बाद हो गए। उसकी तरह से यदि देश से तीनों कृषि कानून रद नहीं किए गए तो सभी किसान बर्बाद हो जाएंगे।