- चार हजार मास्क बनाकर ग्रामीणों में मुफ्त बांटे
मुख्य संवाददाता|
सहारनपुर: सिर पर हया का नकाब हर समय रहता है, घर-परिवार है तो चौके-चूल्हे की जिम्मेदारी भी कम नहीं। पुंवारका ब्लाक के रेड़ी मोइद्दीनपुर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जनुबा इंसानी जज्बे के साथ कोरोना की संकट घड़ी में भी डटी रहती हैं।
ग्रामीणों को सरकारी राशन का वितरण हो, सेनेटाइजेशन का काम हो, लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना हो अथवा पोषण माह में घर-घर दस्तक देनी हो, जनुबा दिन-रात जुटी रहती हैं।
कोरोनाकाल में उन्होंने करीब चार हजार मास्क खुद तैयार किए, उन्हें मुफ्त में जरूरतमंदों को बांटा। उन्होंने ऐसे कई और काम किये हैं, पहले भी। इसके लिए वह सम्मानित भी हो चुकी हैं। फिलहाल, ग्रामीण परिवेश की यह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता औरों के लिए प्रेरणा और मिसाल है।
समाजशास्त्र से स्नातकोत्तर जनुबा सन 2007 में पुंवारका विकासखंड के गांव रेड़ी मोइद्दीनपुर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बनीं। विद्यार्थी जीवन से ही जनुबा का मन सामाजिक कार्यों में ज्यादा रमता था।
अब परिवार की जिम्मेदारियां भी हैं, बावजूद इसके उनका सेवा भाव कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने नारी सशक्तीकरण की दिशा में भी उल्लेखनीय काम किए हैं।
उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर पूर्व जिलाधिकारी आलोक पांडेय ने सम्मानित भी किया था। कई सामाजिक संस्थाओं ने भी उन्हें अवार्ड से नवाजा है।
इधर, कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता होने के नाते उनकी जिम्मेदारियां और बढ़ गईं। उन्होंने सबसे पहले सेनेटाइजर बनाने का काम शुरू किया। चिकित्सकों द्वारा साझा किए गए वीडियो को देखकर उन्होंने घर पर ही सैनिटाइजर बनाया। फिर सैनिटाइजर बनाने का तरीका गांव वालों को भी बताया।
कोरोना काल में घर-घर जाकर स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया। उन्होंने जागररूकता संबंधी नारे दीवारों पर लिखवाए। सबसे दिलचस्प काम किया मास्क बनाकर।
वह बताती हैं कि पहले उन्होंने होजरी का काम किया था। इसलिए, वह सिलाई, कढ़ाई और तुरपाई में भी पारंगत हैं। घर में बड़ी मात्रा में कपड़ों के टुकड़े पड़े थे। उन्होंने सिलाई मशीन पर हाथ चलाया और मास्क तैयार करने लगीं।
दो महीने के भीतर उन्होंने चार हजार मास्क तैयार कर डाले। अपने हाथों से बनाए इन मास्क को उन्होंने ग्रामीणों को मुफ्त में बांटा।
उनका कहना है कि उनके शौहर जुबैर रब्बानी ने इस नेक काम में हर संभव सहयोग किया। किसी भी सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए जुबैर उनको हमेशा प्रेरित करते रहते हैं।
करीब छह हजार आबादी वाले गांव मोइद्दीनपुर में जनुबा ने सरकार की ओर से मुफ्त में दिए जाने वाले राशन को घर-घर पहुंचवाया, ताकि कोई गड़बड़ी न होने पाए।
जिस समय कोरोना को लेकर पहला लाकडाउन हुआ तो जनुबा ने बाहर से आने वाले प्रवासियों की खूब मदद की। प्रवासियों को कैंप तक ले जाने, उनका हाल-चाल जानने से लेकर रिपोर्ट तैयार कर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचायी। आज वह अपने काम की बदौलत अलग पहचान रखती हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा त्रिपाठी कहती हैं कि जनुबा के कार्य से वह भी प्रभावित हैं। अन्य आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं के लिए जनुबा एक मिसाल हैं। उधर, जनुबा भी कहती हैं कि कर्तव्य उनके लिए इबादत की मानिंद है।