Wednesday, March 19, 2025
- Advertisement -

समाज में हिस्सा

Amritvani


एक धनाढ्य व्यक्ति की सामाजिक कर्म, लोगों से मेलजोल आदि में जरा-सी भी रुचि नहीं थी। इसके विपरीत उसकी पत्नी लोगों के सुख-दुख में हिस्सेदारी करती थी और वक्त-बेवक्त किसी भी मदद को तैयार रहती थी। वह अपने पति को बार-बार कहती कि कभी अपने काम के अलावा दुनिया की दुख-तकलीफों में भी हिस्सेदार बनो।

वह कहता, यह सब तो परलोक सुधारने की तरकीबें हैं। कर लेंगे! अभी बहुत समय पड़ा है, जल्दी क्या है? पत्नी सुनती, चुप रह जाती। वह रोज लोगों के जीवन को देखती तो पता चलता कि समय किसी के पास नहीं है। सब जल्दी में हैं। समय भी जल्दी-जल्दी बीत रहा है। समय का घड़ा प्रतिपल खाली होता जा रहा है।

एक-एक बूंद करके सागर खाली हो जाता है, तो यह तो छोटी सी जिंदगी है, कब खत्म हो जाएगी, पता नहीं! किसी को पता ही नहीं चलता कि जिंदगी खत्म हो गई और चुक गई। मौत द्वार पर आती है, तो लोग चौंकते हैं। वे सोचते ही नहीं कि मौत आने वाली है। पूरा जीवन ही मौत की ओर सफर है।

एक बार उस महिला का पति बीमार पड़ा। पति ने कहा, जल्दी वैद्य को बुलाओ, दवा की जरूरत है, मुझे घबराहट हो रही है। पत्नी ने कहा, छोड़ो जी; बहुत समय पड़ा है, बुला लेंगे। पति ने कहा, तू सुनती है कि नहीं? अभी बुला! पत्नी बोली, लेकिन जल्दी क्या है?

जब अन्य लोगों की सेवा में जल्दी नहीं थी, तो दवा अभी क्यों? मैं तो सुनती हूं कि सुख-दुख में हिस्सेदारी ही जीवन का उपचार है। जिंदगी हाथ से जाने लगती है, तो वैद्य अभी चाहिए और सर्वस्व हाथ से जा रहा है, तो भी अभी नहीं!


janwani address 4

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

अद्भुत चित्र

एक राजा के दरबार में एक चित्रकार था। वह...

कन्हैया लगा पाएंगे बिहार में कांग्रेस की नैया पार

बिहार की अधिसंख्य आबादी युवा है। लालू-नीतीश का दौर...

नागपुर : सत्ता का नया प्रयोग

ऐतिहासिक रूप से भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलनों...
spot_imgspot_img