Friday, March 29, 2024
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तो बचेगा मनुष्य…

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Ravivani 8


Rajkumar Jain rajanधरती का
मिजाज
अचानक क्यों बदल गया है
क्यों बार-बार आता है
इसको इतना गुस्सा?
इसके अधिकारों का
हम कब तक करते रहेंगे
अतिक्रमण?
पहाड़ काटकर
नदियां बांधकर
उजाड़ कर जंगल सारे
अपने को बसा लिया हमने

शायद दुश्मन भी
नहीं करता
इतने छेद किए हमने
धरती माता के सीने में
बड़े-बड़े बांध, हाइवे
कारखाने उगाकर
आधुनिकता की चाह में
जल और वायु को भी
कर दिया प्रदूषित
जितना विषैला
आज इंसान हो गया
उतनी ही विषैली
भू माता भी हो गई
धरती को मां कहकर
सबसे ज्यादा दुर्दशा
हमने ही कर दी

जब तक
यह धरती माता
इसी तरह
रौंदी-कुचली जाती रहेगी
पर्यावरण असंतुलन से
उसका दम घुटने लगेगा
और कोप से उसके
आएँगे प्राकृतिक संकट
जिनसे पनपते हैं
बीमारी, बेकारी, गरीबी,
अनैतिकता और अत्याचार
और होता है
मानवता का विनाश

ओ मनुज,
यदि हमें
अपने को बचाना है
तो धरती मां की सेहत बचाएं
पर्यावरण को
सुरक्षित, संरक्षित कर
जल, थल, नभ की
खुशियां लौटाएं
याद रखें हम
यदि धरती माता बचेगी
तो ही बचेगा मनुष्य!


janwani address 45

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