Tuesday, May 20, 2025
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पराली पत्ती के समाधान को कृषि यंत्र अपनाएं किसान

  • सीडीओ ने किया जिला स्तरीय गोष्ठी का उद्घाटन

जनवाणी ब्यूरो |

शामली: मुख्य विकास अधिकारी शंभूनाथ तिवारी ने निरंतर बढ़ रही पराली और पत्ती न जलाए जाने का जहां किसानों से आह्वान किया, वहीं उन्होंने पत्ती पराली के समाधान के लिए आधुनिक कृषि यंत्र अपनाए जाने पर जोर दिया।

शुक्रवार को कृषि विभाग द्वारा प्रमोशन आफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेंट आफ क्रॉप रेज्डियू योजना के अंतर्गत फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषक जागरूकता कार्यक्रम एवं नेशनल मिशन आन एग्रीकल्चर एक्सस्टेशन एंड टेक्नोलॉजी (आत्मा) योजना के अंतर्गत जनपद स्तरीय रबि उत्पादकता गोष्टी एवं मेला का आयोजन किया गया।

शहर के दिल्ली रोड स्थित सिटी ग्रीन मैरिज होम में गोष्टी का शुभारंभ मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी शंभूनाथ तिवारी ने फीता काटकर एवं दीप प्रज्वलित कर किया। गोष्ठी में सीडीओ ने किसानों से अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी के निर्देशों का अनुपालन करते हुए पराली पत्ती न जलाएं।

क्योंकि पराली पत्ती जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है, जिसका स्वास्थ्य पर असर होता है। उन्होंने कहा कि पराली पत्ती खेत में जलाने से भूमि के अंदर उपलब्ध कीट मित्र का भी नुकसान होता है। किसानों से पराली पत्ती के समाधान के लिए कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे फार्म मशीनरी यंत्रों के माध्यम से समाधान करने की बात कही।

साथ ही, कहा कि यह क्षेत्र गन्ना बाहुल्य क्षेत्र है। गन्ने में जनपद का प्रदेश में प्रथम स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि दिन रात ट्यूबेल तथा समरसिबल से भूगर्भ जल का जो दोहन हो रहा है, वह आने वाली पीढ़ी के लिए चुनौती का विषय है। उन्होंने किसानों से पानी का दोहन न करने का अनुरोध किया।

मुख्य विकास अधिकारी ने किसानों से आग्रह किया कि सार्वजनिक स्थानों पर गोबर आदि का जमावड़ा ना करे। उसके लिए अपने खेत में एक गड्ढा बनाकर उसमें गोबर डालें और उसका कंपोस्ट खाद के रूप में खेत में इस्तेमाल करें। उन्होंने किसानों से फसल चक्र अपनाने और तकनीकी विधि से खेती करने का आह्वान किया।

साथ ही, कहा कि गाय को निराश्रित समझ कर ना छोड़े, क्योंकि गाय की सेवा करना पुण्य का काम होता है। सीडीओ ने 3 किसानों को फार्म मशीनरी की चाबी सौंपी। साथ ही, 25 किसानों को वेस्ट डी कंपोस्ट किट,10 किसानों को ट्राइकोड्रमा एवं 5 किसानों को सरसों मिनी किट उपलब्ध कराई।

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पराली जाने से खत्म होते हैं पोषक तत्व

इस अवसर पर आईएआरआई पूसा के वैज्ञानिक डा. वाईवी सिंह ने किसानों के साथ चर्चा करते हुए कहा कि पराली पत्ती जलाने से खेत के पोषक तत्व खत्म होते हैं। उन्होंने पराली पत्ती के नियंत्रण के समाधान के संबंध में किसानों को विस्तार से जानकारी दी। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक डा. वीरपाल सिंह ने किसानों को ड्रप मोर क्रप फसलों में जल का समुचित उपयोग करने के बारे में बताया गया। इसके अलावा संबंधित विभागों द्वारा अपने विभाग में योजनाओं से संबंधित स्टॉल भी लगाए गए जिनका अवलोकन सीडीओ शंभूनाथ तिवारी ने किया।

पराली पत्ती जलाने पर अर्थदंड का प्रावधान

कृषि उप निदेशक डा. शिवकुमार केसरी ने किसानों से कहा कि सर्वोच्च न्यायालय एवं एनजीटी द्वारा पारित आदेश में किसी भी फसल अवशेष को जलाने से होने वाले वायु प्रदुषण की रोकथाम के लिए शासन द्वारा कार्यवाही किए जाने के आदेश दिए गए हैं। यदि फसल अवशेष जलाने पराली तथा गन्ने की पत्ती या कोई भी अन्य फसल अवशेष की कोई घटना प्रकाश में आती है तो 2 एकड़ से कम तक 2500 रुपये प्रति घटना, 2-5 एकड़ तक 5000 रुपये प्रति घटना, 5 एकड़ से अधिक 15000 रुपये प्रति घटना का अर्थदण्ड कृषक पर लगाकर उसकी वसूली राजस्व विभाग द्वारा की जायगी। पराली पत्ती के समाधान के लिए खेत की बुवाई के लिए कृषि यंत्रों सुपर सीडर, रोटावेटर, मल्चर लेवलर आदि यंत्रों के संबंध में किसानों को जानकारी दी।

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