नीतू गुप्ता |
सर्दियों का मौसम आमतौर पर सभी को भाता है क्योंकि इस मौसम में स्वादिष्ट खाना पीना अच्छा लगता है और गर्म कपड़े पहन कर धूप में घूमना अच्छा लगता है। इन दोनों चीजों का असली मजा तब लिया जा सकता है जब आपका स्वास्थ्य अच्छा हो। सर्दियों में कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि हम स्वस्थ रहकर सर्दी का लुत्फ उठा सकें।
दिल के रोगी
सर्दियों में रक्त वाहन करने वाली नलियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे शरीर की सक्रियता धीमी पड़ जाती है और दिल तक रक्त प्रवाह की गति कम हो जाती है। इसके कारण दिल सही ढंग से काम नहीं करता। ऐसे में हमें अपने स्वास्थ्य की सही देखभाल करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त जो लोग फेफड़ों के संक्रमण से प्रभावित होते हैं उनका दिल और ज्यादा प्रभावित होता है। इसलिए फेफड़ों और दिल के रोगियों को सर्दियों में अपना बचाव करना चाहिए।
-ठंड से अपना बचाव करें। उचित गर्म वस्त्र पहनें। प्रात: ठंड में बाहर न निकलें। देर शाम में भी बाहर न निकलें।
-सर्दियों में दिल के रोगियों को अल्कोहल का सेवन कम कर देना चाहिए। मांसाहारी और गरिष्ठ भोजन का सेवन कम से कम करना चाहिए। इन चीजों के अधिक सेवन से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। संतुलित और सादा आहार ही लें।
-दिन में कम से कम आधे घंटे हेतु धूप में बैठें ताकि विटामिन डी मिल सके जो दिल के लिए अच्छा है।
-दिल रोगियों को सर्दियों में लिक्विड चीजें कम लेनी चाहिएं क्योंकि इन दिनों पसीना बहुत कम निकलता है। कभी कभी अधिक तरल पदार्थों के सेवन से फेफड़ों में पानी जमा हो जाता है जो दिल को नुकसान पहुंचा सकता है।
-जो दवा आप ले रहे हैं, दवा नियमित समय पर लेते रहें और आवश्यकता पड़ने पर मेडिकल चेकअप करवाते रहें इनमें लापरवाही न बरतें।
-सर्दियों में मानसिक तनाव बढ़ जाता है इसलिए दिल के रोगियों को तनाव और अकेलेपन से बचने का प्रयास करना चाहिए।
-सर्दियों में बाहर कम निकलने के कारण डिप्रेशन बढ़ जाता है। ऐसे में फोन पर संबधियों के साथ संपर्क बनाए रखें।
अस्थमा रोगी
अस्थमा श्वसन तंत्र में एलर्जी के कारण होता है जो मौसम में बदलाव के कारण बढ़ जाता है। किसी भी उम्र के रोगी को अस्थमा का अटैक परेशान कर सकता है। सर्दियों में वातावरण में उपस्थित धूलकण और वाहनों के धुएं का आवरण छाया रहता है जो स्मॉग कहलाता है। ऐसे में प्रदूषण से होने वाले अस्थमा रोगियों की परेशानी बढ़ जाती है।
-अस्थमा रोगियों को सर्दियों में बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
-हवा में नमी होने से अस्थमा रोगियों को सांस लेने में मुश्किल होती है। ऐसे में गाड़ी में बाहर जाते समय गाड़ी के शीशे बंद कर दें।
-अस्थमा रोगी कमरे में ब्लोअर या हीटर न लगा कर सोएं। इससे कमरे में उपस्थित प्राकृतिक आॅक्सीजन नष्ट हो जाती है। अगर ठंड ज्यादा हो तो कमरे में आॅयल हीटर लगाएं।
-ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
-जिन महिलाओं को अस्थमा हो, वे घर पर किचन में चिमनी जरूर लगवाएं।
-अगरबत्ती, धूप के धुएं से बच कर रहें। कीटाणुनाशक स्प्रे से दूरी बनाएं।
-दवा समय पर लेते रहें।
-सर्दियों में सब्जियों के गर्म सूप और हर्बल टी का सेवन करें।
हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगी
एक सर्वेक्षण के अनुसार सर्दियों में लोगों का रक्तचाप 33 प्रतिशत तक बढ़ जाता है इसलिए हाई ब्लडप्रेशर वाले रोगियों को पहले से सतर्क रहना चाहिए।
-अपने आहार में नमक का सेवन कम कर दें। अधिक तले खाद्य पदार्थ न खाएं। अल्कोहल, मांसाहारी भोजन, धूम्रपान का सेवन कम से कम करें।
-अपने वजन पर नियंत्रण रखें। सक्रिय जीवन शैली अपनाएं, व्यायाम को अपनी दिनचर्या कर अंग बनाएं।
-ज्यादा ठंड के दिनों में मार्निंग वाक धूप निकलने के बाद जाएं।
-क्रेश डाइटिंग न करें। इससे सेहत पर कुप्रभाव पड़ता है।
-ताजे फल, हरी सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक करें।
आर्थराइटिस रोगी
आर्थराइटिस हड्डियों से जुड़ा रोग है। सर्दियों में यह रोग अधिक सताता है। विशेषकर बुजुर्ग और स्त्रियां इस रोग से अधिक ग्रस्त मिलते हैं। आर्थराइटिस रोगियों को सर्दियों में अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए।
-सर्दियों की आहट होते ही ऐसे लोगों को गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए।
-बाहर निकलते समय उचित गर्म वस्त्र पहन कर निकलें ताकि हड्डियों में ठंड ज्यादा न घुसने पाए। रूमेटायड आर्थराइटिस में हाथ पैरों में दर्द होता है जो सर्दियों में बढ़ जाता है। पैरों में जुराबें और हाथों में दस्ताने पहनें।
-ठंड में घुटनों के दर्द से बचने हेतु नी कैप पहनें। रात्रि में हॉट वॉटर बॉटल से सिंकाई करें ताकि दर्द का प्रभाव कम रहे।
-जोड़ों में दर्द वाले रोगी दिन में धूप में अवश्य बैठे ताकि विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण की क्षमता बढ़ा सके।
-जिन लोगों ने नी रिपलेसमेंट कराया हो, उन्हें गर्म पानी की सिंकाई नहीं करनी चाहिए, न ही हीटर वाले कमरे में बैठना चाहिए। इससे इंफेक्शन हो सकता है क्योंकि कृत्रिम घुटने किसी धातु के बने होते हैं।
-सर्दियों में सरसों के तेल से या जैतून के तेल से जहां जोड़ों में दर्द हो, मालिश करानी चाहिए। इससे दर्द में लाभ मिलता है। इन तेलों की तासीर गर्म होती है।
-दर्द अधिक होने पर अस्थि रोग विशेषज्ञ से मिलकर उचित इलाज कराएं।